2025-26 ईरानी कप: विदर्भ ने शेष भारत को रोमांचक मुकाबले में पछाड़ा, तीसरी बार हासिल किया खिताब

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हर्ष दुबे अपने साथियों के साथ विकेट का जश्न मनाते हुए, विदर्भ बनाम शेष भारत, ईरानी कप, चौथा दिन, नागपुर, 4 अक्टूबर, 2025

हर्ष दुबे अपने साथियों के साथ एक महत्वपूर्ण विकेट का जश्न मनाते हुए।

नागपुर: क्रिकेट के मैदान पर अक्सर कहानी वही बनती है जहाँ दृढ़ संकल्प, रणनीति और कुछ जादुई व्यक्तिगत प्रदर्शनों का संगम होता है। 2025-26 के ईरानी कप (Irani Cup) में विदर्भ (Vidarbha) ने भी ऐसी ही एक कहानी लिखी, जब उन्होंने शेष भारत (Rest of India) को 93 रनों से मात देकर अपना तीसरा खिताब (third title) जीतकर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करा लिया। यह सिर्फ एक जीत नहीं थी, बल्कि यह विदर्भ की टीम भावना, अथक प्रयास और अंतिम क्षणों तक हार न मानने की जिद्द का प्रमाण थी। इस यादगार जीत के पीछे मुख्य सूत्रधार रहे हर्ष दुबे (Harsh Dubey) और यश ठाकुर (Yash Thakur), जिनकी धारदार गेंदबाजी ने मैच का रुख पूरी तरह से बदल दिया।

संक्षिप्त स्कोरकार्ड:

  • विदर्भ: पहली पारी 342 रन (अथर्व तायडे 143, यश राठौड़ 91; आकाश दीप 3-51) और दूसरी पारी 232 रन (मोखाडे 37; अंशुल कंबोज 4-34)
  • शेष भारत: पहली पारी 214 रन (रजत पाटीदार 66, अभिमन्यु ईश्वरन 52; यश ठाकुर 4-66) और दूसरी पारी 267 रन (यश धूल 92, मानव सुथार 56*; हर्ष दुबे 4-73)

परिणाम: विदर्भ ने शेष भारत को 93 रनों से हराया।

विदर्भ की ठोस नींव: तायडे और राठौड़ का बल्लेबाजी पराक्रम

इस ऐतिहासिक मुकाबले की नींव विदर्भ के बल्लेबाजों ने रखी। पहली पारी में अथर्व तायडे (Atharva Taide) ने 143 रनों की शानदार शतकीय पारी खेली, वहीं यश राठौड़ (Yash Rathod) ने भी 91 रनों का महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन दोनों की बल्लेबाजी ने मिलकर विदर्भ को 342 रनों के एक मजबूत स्कोर तक पहुंचाया। यह स्कोर पिच को देखते हुए काफी चुनौतीपूर्ण था और इसने शेष भारत पर शुरुआती दबाव बनाने का काम किया, जो पूरे मैच के दौरान बना रहा। शेष भारत के गेंदबाज आकाश दीप ने 3 विकेट जरूर लिए, लेकिन विदर्भ को अपनी पकड़ मजबूत करने से नहीं रोक पाए।

यश ठाकुर का शुरुआती वार: शेष भारत की पहली पारी का सिमट जाना

जब शेष भारत बल्लेबाजी करने उतरी, तो उन्हें पता था कि एक बड़ा स्कोर पीछा करना है। रजत पाटीदार (Rajat Patidar) के 66 और अभिमन्यु ईश्वरन (Abhimanyu Easwaran) के 52 रनों के अर्धशतकों के बावजूद, टीम विदर्भ की अनुशासित गेंदबाजी के सामने ज़्यादा देर टिक नहीं पाई। विदर्भ के तेज गेंदबाज यश ठाकुर (Yash Thakur) ने अपनी शानदार स्विंग और सटीक लेंथ से शेष भारत के बल्लेबाजों को परेशान किया और 4 महत्वपूर्ण विकेट झटके। नतीजतन, शेष भारत सिर्फ 214 रनों पर ढेर हो गई, जिससे विदर्भ को पहली पारी में 128 रनों की महत्वपूर्ण और निर्णायक बढ़त मिली। यह बढ़त मैच का टर्निंग पॉइंट साबित होने वाली थी।

दूसरी पारी की उलझन और चुनौतीपूर्ण लक्ष्य

अपनी दूसरी पारी में, विदर्भ के बल्लेबाज उतना प्रभाव नहीं छोड़ पाए जितना पहली पारी में दिखाया था। शेष भारत के गेंदबाज अंशुल कंबोज (Anshul Kamboj) ने 4 विकेट लेकर विदर्भ को 232 रनों पर ही समेट दिया। इस प्रदर्शन के बावजूद, शेष भारत को जीत के लिए 361 रनों का एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य मिला। यह लक्ष्य पांचवें दिन की घिसी हुई पिच पर, जहाँ स्पिनरों को मदद मिल रही थी, किसी पहाड़ से कम नहीं था। लेकिन क्रिकेट की खूबसूरती ही उसकी अनिश्चितता में है, और अंतिम दिन का खेल कुछ ऐसा ही साबित हुआ।

अंतिम दिन का महानाट्य: यश धूल की वीरता और दुबे-ठाकुर का निर्णायक प्रहार

मैच के पांचवें और अंतिम दिन, शेष भारत ने 30 रन पर 2 विकेट के स्कोर से अपनी पारी आगे बढ़ाई। जीत के लिए 361 रन का पीछा करना था, और मैदान पर तनाव साफ महसूस किया जा सकता था। रात के नाबाद बल्लेबाज और कप्तान रजत पाटीदार जल्दी ही आदित्य ठाकरे की गेंद पर कैच आउट हो गए, जिसके बाद ऋतुराज गायकवाड़ भी दर्शन नालकंडे का शिकार बने। ईशान किशन (Ishan Kishan) ने कुछ देर उम्मीद जगाई, लेकिन धैर्य खोकर हर्ष दुबे की गेंद पर डीप मिडविकेट पर कैच दे बैठे। 133 रन पर 6 विकेट गंवा चुकी शेष भारत की हार अब निश्चित लग रही थी।

हालांकि, यहाँ से कहानी ने एक नया मोड़ लिया। 22 वर्षीय युवा बल्लेबाज यश धूल (Yash Dhull) ने मानव सुथार (Manav Suthar) के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए 104 रनों की शानदार साझेदारी की। धूल ने 117 गेंदों में 8 चौके और 1 छक्के की मदद से 92 रन की जुझारू पारी खेली, जिससे विदर्भ के खेमे में चिंता की लहर दौड़ गई। वह अपनी टीम को जीत के करीब ले जा रहे थे, लेकिन फिर यश ठाकुर की एक गेंद पर डीप थर्ड पर कैच आउट हो गए। मैदान पर एक दिलचस्प `यश बनाम यश` की जंग देखने को मिली, जिसमें ठाकुर ने बाजी मारी। धूल के आउट होते ही ठाकुर ने अगली गेंद पर अंशुल कंबोज को भी बोल्ड कर दिया, और शेष भारत 237 रन पर 8 विकेट खो चुका था। विदर्भ की जीत अब बस औपचारिकता भर रह गई थी।

इसके बाद, हर्ष दुबे (Harsh Dubey) ने अपनी स्पिन का जादू बिखेरा। उन्होंने आकाश दीप को बोल्ड किया, जब उनकी एक शानदार कवर ड्राइव हवा में ही रह गई और सीधे स्टंप्स से टकराई। मानव सुथार (Manav Suthar) ने एक छोर संभाले रखा और अपना छठा प्रथम श्रेणी अर्धशतक पूरा किया, लेकिन दूसरे छोर से उन्हें कोई मजबूत साथ नहीं मिला। अंततः, हर्ष दुबे ने अंतिम विकेट लेकर शेष भारत की पारी को 267 रनों पर समेट दिया। दुबे ने 4 विकेट लेकर अपनी टीम को 93 रनों की यादगार जीत दिलाई और अपनी गेंदबाजी से सभी का दिल जीत लिया।

विदर्भ: टीम वर्क और दृढ़ता का प्रतीक

विदर्भ की यह जीत सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं थी, बल्कि यह टीम के सामूहिक प्रयास, रणनीतिक सूझबूझ और हर खिलाड़ी के दृढ़ संकल्प का परिणाम थी। पहली पारी में बल्लेबाजों ने पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा किया, तो गेंदबाजों ने उसे सफलतापूर्वक बचाया। शेष भारत ने भी अपनी बहादुरी और जुझारूपन का परिचय दिया, खासकर यश धूल की पारी ने मैच में जो जान फूंकी, उसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा। लेकिन अंत में, विदर्भ की टीम पूरी तरह से तैयार थी। यह उनका तीसरा ईरानी कप खिताब है, जो भारतीय घरेलू क्रिकेट में उनकी बढ़ती हुई ताकत और लगातार बेहतर प्रदर्शन का प्रमाण है। इस जीत ने एक बार फिर साबित कर दिया कि क्रिकेट में कभी हार नहीं माननी चाहिए, और छोटे-छोटे योगदान भी मिलकर बड़े परिणाम दे सकते हैं।

आदित्य चंद्रमोहन

मुंबई में निवास करने वाले आदित्य चंद्रमोहन खेल पत्रकारिता में बारह वर्षों से सक्रिय हैं। क्रिकेट और कबड्डी की दुनिया में उनकी गहरी समझ है। वे खेल के सूक्ष्म पहलुओं को समझने और उन्हें सरल भाषा में प्रस्तुत करने में माहिर हैं।

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