क्रिकेट जगत की शीर्ष संस्था, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC), की हाल ही में सिंगापुर में संपन्न हुई वार्षिक बैठक ने खेल के भविष्य के लिए कई महत्वपूर्ण रास्ते खोले हैं। यह सिर्फ कागजी कार्रवाई नहीं थी, बल्कि क्रिकेट के वैश्विक स्वरूप, उसके मानवीय सरोकारों और सबसे बड़े `टेस्ट` की मेजबानी को लेकर निर्णायक घोषणाओं का एक पिटारा था। आइए जानते हैं इन फैसलों के पीछे की कहानी और उनके दूरगामी प्रभाव।
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल: इंग्लैंड का एकाधिकार या अनुभव की जीत?
क्रिकेट के सबसे बड़े `टेस्ट` का मंच एक बार फिर इंग्लैंड ही होगा। आईसीसी ने घोषणा की है कि अगले तीन विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) फाइनल – 2027, 2029 और 2031 – की मेजबानी इंग्लैंड को सौंपी गई है। यह निर्णय `हाल के फाइनलों की सफलतापूर्वक मेजबानी के ट्रैक रिकॉर्ड` को देखते हुए लिया गया है।
अभी तक संपन्न हुए सभी तीन WTC फाइनल की मेजबानी इंग्लैंड ने ही की है। 2021 का फाइनल जो मूल रूप से लॉर्ड्स में होना था, कोविड-19 के कारण साउथेम्प्टन में खेला गया। 2023 का फाइनल द ओवल में हुआ, और 2025 का संस्करण अंततः लॉर्ड्स को आवंटित किया गया है। अब यह संयोग है या इंग्लैंड की पिचें और वातावरण ही इस `अग्निपरीक्षा` के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हैं, यह बहस का विषय हो सकता है। पर सच यह है कि इंग्लैंड ने अपनी मेजबानी क्षमताओं को बार-बार साबित किया है, फिर चाहे वह लॉर्ड्स की ऐतिहासिकता हो, द ओवल की जीवंतता हो, या साउथेम्प्टन की आधुनिक सुविधाएं। शायद ICC ने पाया है कि जब बात टेस्ट क्रिकेट के शिखर की होती है, तो `घर वापस` जाना ही सबसे सुरक्षित विकल्प है।
क्रिकेट का मानवीय चेहरा: विस्थापित अफगान महिला क्रिकेटरों के लिए आशा की किरण
इस बैठक का एक और महत्वपूर्ण और संवेदनशील निर्णय विस्थापित अफगान महिला क्रिकेटरों के समर्थन के लिए एक कार्यक्रम की स्थापना करना था। यह पहल केवल खेल नहीं, बल्कि मानवीयता और सहयोग की भावना का प्रतीक है। आईसीसी, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI), इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (CA) के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास के रूप में इसे स्थापित किया गया है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य उच्च-प्रदर्शन पहल, घरेलू खेलने के अवसर और प्रमुख आईसीसी वैश्विक आयोजनों, जैसे भारत में 2025 आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप और इंग्लैंड में 2026 आईसीसी महिला टी20 विश्व कप में भागीदारी के माध्यम से संरचित सहायता प्रदान करना है। यह दर्शाता है कि क्रिकेट सिर्फ प्रतिस्पर्धा का मंच नहीं, बल्कि एक ऐसा माध्यम भी है जो मुश्किल परिस्थितियों में फंसे लोगों को सहारा और प्रेरणा दे सकता है। खेल का यह सामाजिक दायित्व निश्चित रूप से सराहनीय है।
क्रिकेट का वैश्विक विस्तार: नए सदस्यों का स्वागत
आईसीसी ने अपनी वैश्विक पहुंच का विस्तार करते हुए दो नए एसोसिएट सदस्यों – तिमोर-लेस्ते क्रिकेट फेडरेशन और जाम्बिया क्रिकेट यूनियन – का स्वागत किया है। इसके साथ ही एसोसिएट सदस्यों की कुल संख्या बढ़कर 110 हो गई है। यह निर्णय क्रिकेट के लगातार बढ़ते दायरे और इसे वास्तव में एक वैश्विक खेल बनाने की दिशा में आईसीसी की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
तिमोर-लेस्ते और जाम्बिया जैसे देशों का क्रिकेट मानचित्र पर आना बताता है कि यह खेल अब पारंपरिक क्रिकेट खेलने वाले देशों की सीमाओं से बाहर निकलकर नए क्षेत्रों में अपनी जड़ें जमा रहा है। यह न केवल क्रिकेट की लोकप्रियता में वृद्धि का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आईसीसी उन देशों में खेल के विकास और प्रचार के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है जहां अभी इसकी उपस्थिति मजबूत नहीं है। कौन जानता है, शायद आने वाले दशकों में हम तिमोर-लेस्ते या जाम्बिया के खिलाड़ियों को बड़े अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपना जलवा बिखेरते हुए देखें।
कुल मिलाकर, सिंगापुर में हुई आईसीसी की वार्षिक बैठक ने क्रिकेट के भविष्य के लिए एक स्पष्ट रोडमैप पेश किया है। चाहे वह प्रतिष्ठित WTC फाइनल की मेजबानी का लगातार इंग्लैंड को मिलना हो, मानवीय सहायता के माध्यम से खेल के सामाजिक दायित्व को निभाना हो, या नए देशों में क्रिकेट के विस्तार की महत्वाकांक्षा हो – ये सभी निर्णय दर्शाते हैं कि आईसीसी न केवल खेल के व्यावसायिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है, बल्कि उसके सामाजिक और भौगोलिक विस्तार के प्रति भी गंभीर है। यह वाकई विश्व क्रिकेट के लिए एक रोमांचक समय है।