भारत और इंग्लैंड के बीच हाल ही में समाप्त हुई टेस्ट सीरीज के दौरान, एक गेंद ने क्रिकेट जगत में बहस छेड़ दी थी। यह गेंद थी भारतीय तेज गेंदबाज आकाश दीप द्वारा इंग्लैंड के अनुभवी बल्लेबाज जो रूट को फेंकी गई, जिस पर रूट क्लीन बोल्ड हो गए थे। यह विकेट भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण था, लेकिन कुछ ही समय बाद इस पर सवाल उठने लगे।
सवाल उठाने का कारण था आकाश दीप के गेंदबाजी फॉलो-थ्रू की फुटेज। वीडियो में उनका पिछला पैर (बैकफुट) क्रीज के समानांतर बनी रिटर्न क्रीज से काफी बाहर जाता हुआ दिखाई दे रहा था। इसे देखकर कुछ कमेंटेटर्स और प्रशंसकों ने तुरंत इसे `बैकफुट नो बॉल` करार दिया, जिससे रूट के आउट होने की वैधता पर ही प्रश्नचिह्न लग गया। क्या रूट का विकेट वास्तव में नियमों के अनुसार था?
क्रिकेट के नियमों का अंतिम संरक्षक और व्याख्याता कौन है? ज़ाहिर है, मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी)। जब भी कोई नियम उलझता है या उस पर विवाद होता है, तो एमसीसी का स्पष्टीकरण ही अंतिम शब्द माना जाता है। और इस बार भी एमसीसी ने इस `विवादास्पद` डिलीवरी पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।
एमसीसी ने घोषणा की है कि आकाश दीप द्वारा जो रूट को फेंकी गई वह गेंद पूरी तरह से कानूनी थी। जी हां, आपने सही पढ़ा – कानूनी। सारे विवादों पर अब एमसीसी के फैसले से विराम लग गया है। लेकिन एमसीसी ने ऐसा क्यों कहा? इसकी जड़ें क्रिकेट के कानून 21.5.1 में छुपी हैं, जो बैकफुट नो बॉल से संबंधित है।
एमसीसी के अनुसार, नियम इस बात पर केंद्रित है कि गेंदबाज के पिछले पैर का जमीन से `पहला संपर्क` कहाँ होता है। इसका मतलब है कि जब पैर का कोई भी हिस्सा पहली बार जमीन को छूता है, तो उस क्षण पैर की स्थिति देखी जाती है। यदि उस पहले संपर्क के समय पैर का कोई भी हिस्सा रिटर्न क्रीज के अंदर है और उसे छू नहीं रहा है, तो डिलीवरी कानूनी मानी जाएगी।
एमसीसी ने विस्तार से बताया कि भले ही आकाश दीप का पैर पहली बार संपर्क करने के बाद क्रीज से बाहर फिसल गया हो या उसका कुछ हिस्सा बाद में बाहर गिरा हो, नियम के अनुसार महत्वपूर्ण क्षण वह था जब पैर ने पहली बार जमीन को छुआ। उस समय, आकाश दीप का पैर रिटर्न क्रीज के अंदर था। इसलिए, ऑन-फील्ड अंपायरों और थर्ड अंपायर पॉल रीफेल द्वारा इसे नो बॉल न कहना क्रिकेट के नियमों के अनुसार बिल्कुल सही फैसला था।
जो रूट का यह विकेट भारत के लिए खेल का रुख मोड़ने वाला साबित हुआ था और भारत ने उस टेस्ट मैच में शानदार जीत दर्ज कर सीरीज 1-1 से बराबर कर ली थी। एमसीसी के इस स्पष्टीकरण ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि क्रिकेट के नियम कभी-कभी फुटेज में दिखने वाली चीज़ों से ज़्यादा बारीक होते हैं। जिसे दर्शक या कमेंटेटर सरसरी तौर पर `आउट` या `नो बॉल` समझ सकते हैं, नियम की किताब में उसकी व्याख्या अलग हो सकती है। और जब नियम की बात आती है, तो एमसीसी का कहना ही अंतिम है – भले ही कुछ लोगों को यह `टेक्निकल` लगे!