अब्दुर रज्जाक का नया ‘स्पिन’: चयनकर्ता से BCB निदेशक पद की दावेदारी तक

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क्रिकेट के मैदान पर अपनी बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाजी से विरोधियों को नचाने वाले अब्दुर रज्जाक अब बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (BCB) के गलियारों में एक नई पारी शुरू करने को तैयार हैं। यह कहानी सिर्फ एक इस्तीफे की नहीं, बल्कि क्रिकेट प्रशासन में एक खिलाड़ी के महत्वाकांक्षी कदम की है, जहां खेल के नियम थोड़े अलग होते हैं।

मैदान से बोर्डरूम तक: एक नया अध्याय

बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रीय स्पिनर और वर्तमान चयनकर्ता अब्दुर रज्जाक ने 6 अक्टूबर को होने वाले बीसीबी चुनावों में अपनी किस्मत आज़माने के लिए चयन समिति से इस्तीफा दे दिया है। शनिवार को इस खबर की पुष्टि करते हुए, रज्जाक ने बताया कि उन्होंने कैटेगरी 1 से अपना नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया है। उनका यह बयान, उनके लंबे और सफल क्रिकेट करियर के बाद, प्रशासन की दुनिया में एक नए मोड़ का संकेत देता है।

“मैंने बीसीबी चुनाव में शामिल होने के लिए चयनकर्ता के पद से इस्तीफा दे दिया है,” रज्जाक ने कहा। “मैंने इस देश की सेवा एक खिलाड़ी और एक चयनकर्ता के रूप में की है, और अब मैं निर्वाचित होने पर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल होकर आगे आने वाली नई चुनौती को स्वीकार करना चाहता हूं।”

जनवरी 2021 में चयनकर्ता नियुक्त किए गए रज्जाक का यह कदम खेल के प्रति उनके गहरे जुनून और इसे बड़े पैमाने पर प्रभावित करने की इच्छा को दर्शाता है। यह क्रिकेट के मैदान से लेकर बोर्डरूम तक की एक स्वाभाविक प्रगति लगती है, जहां अनुभव और समझ की उतनी ही जरूरत होती है जितनी कि रणनीतिक सूझबूझ की।

खुल्ना डिवीजन का प्रतिनिधित्व: रज्जाक की प्राथमिकता

निदेशक पद के लिए नामांकन पत्र खरीदने के बाद, अब्दुर रज्जाक की नज़र खुल्ना डिवीजन का प्रतिनिधित्व करने पर है। यह सिर्फ एक सीट जीतने की बात नहीं, बल्कि अपने गृह क्षेत्र की क्रिकेटिंग आवाज़ को बांग्लादेश क्रिकेट के सर्वोच्च प्रशासनिक निकाय तक पहुंचाना है। यह दर्शाता है कि उनकी महत्वाकांक्षा व्यक्तिगत उन्नति से बढ़कर क्षेत्रीय क्रिकेट विकास तक फैली हुई है।

BCB चुनाव: सत्ता के समीकरण और चुनौतियाँ

बीसीबी चुनाव प्रक्रिया अपने आप में कम जटिल नहीं है। कुल 25 निदेशक अध्यक्ष का चुनाव करते हैं – इनमें 12 क्लबों से, 10 डिवीजन और जिलों से, राष्ट्रीय खेल परिषद (NSC) द्वारा नामित दो, और श्रेणी तीन से एक प्रतिनिधि शामिल होते हैं। यह प्रक्रिया दर्शाती है कि बोर्ड में आना केवल लोकप्रियता का खेल नहीं, बल्कि विभिन्न हितधारकों के जटिल समीकरणों, समझौतों और क्रिकेट की `सियासी पिच` पर सावधानीपूर्वक बल्लेबाजी का परिणाम है।

मतदाता सूची और विवाद: पारदर्शिता की अग्निपरीक्षा

26 सितंबर को, बीसीबी की चुनाव आयोग ने आगामी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के चुनावों के लिए 191 पार्षदों की अंतिम मतदाता सूची की घोषणा की। इस सूची में कुछ ऐसे नाम भी थे जिन्होंने काफी बहस को जन्म दिया। उदाहरण के लिए, 15 ढाका-आधारित क्लबों के पार्षद भी शामिल थे, जिन्हें पहले 23 सितंबर को जारी मसौदा सूची से अनियमितताओं के लिए भ्रष्टाचार विरोधी आयोग (ACC) की जांच के अधीन होने के कारण बाहर कर दिया गया था।

चुनाव आयुक्त ने इस फैसले पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि इन 15 क्लबों को पार्षद पद इसलिए दिया गया क्योंकि उन्हें ACC द्वारा अभी तक कानूनी रूप से दोषी नहीं ठहराया गया था। यह स्थिति बीसीबी के लिए एक दिलचस्प दुविधा प्रस्तुत करती है: क्या कानूनी प्रक्रिया पूरी होने तक इंतजार किया जाए, या क्रिकेट के लोकतांत्रिक ढांचे को प्राथमिकता दी जाए? यह फैसला दर्शाता है कि बीसीबी प्रशासन पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, जब तक कि कानूनी रूप से कोई दोष साबित न हो जाए।

इसके अतिरिक्त, पांच जिलों – सिलहट, बोगरा, पबना, सिराजगंज और नौगांव – के पार्षदों को भी मंजूरी दी गई, हालांकि नरसिंगदी जिले के पार्षद का पद रिक्त रहा। पूर्व बीसीबी अध्यक्ष फारुक अहमद के पार्षद पद को भी बरकरार रखा गया, क्योंकि आयोग उनकी देर से प्रस्तुत की गई स्पष्टीकरण से संतुष्ट था। यह सब दिखाता है कि चुनावी प्रक्रिया कितनी सूक्ष्म और विचार-विमर्श से भरी होती है, जहां हर आपत्ति और स्पष्टीकरण पर बारीकी से गौर किया जाता है। 25 सितंबर को, चुनाव आयोग ने बीसीबी कार्यालय में मसौदा मतदाता सूची के संबंध में प्रस्तुत की गई 38 आपत्तियों पर सुनवाई भी की थी, जो इस प्रक्रिया की गंभीरता को और बढ़ा देता है।

अगले कदम: नामांकन से वोटिंग तक

बीसीबी ने शनिवार से बीसीबी कार्यालय में सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे के बीच बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स चुनाव के लिए नामांकन पत्र वितरित करना शुरू कर दिया था। उम्मीदवारों को अपने फॉर्म अगले दिन (28 सितंबर) जमा करने थे। अब सबकी निगाहें 6 अक्टूबर पर टिकी हैं, जब चुनाव होंगे और बांग्लादेश क्रिकेट के भविष्य की दिशा तय होगी। अब्दुर रज्जाक जैसे पूर्व खिलाड़ियों का प्रशासन में आना, निश्चित रूप से खेल के विकास में एक नई ऊर्जा ला सकता है।

अब्दुर रज्जाक का यह कदम खेल के मैदान से बाहर भी अपने अनुभव और दृष्टि का उपयोग करने की इच्छा को दर्शाता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्रिकेट के इन नए `राजनेताओं` के आने से बांग्लादेश क्रिकेट में क्या बदलाव आते हैं। क्या वे सिर्फ चुनाव जीतेंगे, या वास्तव में खेल के लिए `गेम चेंजर` साबित होंगे? उनका यह `नया स्पिन` बांग्लादेश क्रिकेट के लिए कितना प्रभावी साबित होता है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

प्रमोद विश्वनाथ

बेंगलुरु के वरिष्ठ खेल पत्रकार प्रमोद विश्वनाथ फुटबॉल और एथलेटिक्स के विशेषज्ञ हैं। आठ वर्षों के अनुभव ने उन्हें एक अनूठी शैली विकसित करने में मदद की है।

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