अभिषेक शर्मा का धीमा, लेकिन शानदार उदय: सीढ़ियों से शिखर तक का सफर

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अभिषेक शर्मा अर्धशतक का जश्न मनाते हुए, भारत बनाम बांग्लादेश, एशिया कप, दुबई

हाल ही में संपन्न हुए एशिया कप में भारतीय क्रिकेट टीम के युवा सलामी बल्लेबाज अभिषेक शर्मा ने अपने शानदार प्रदर्शन से सभी का दिल जीत लिया। टूर्नामेंट के `प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट` का खिताब हासिल करना उनकी मेहनत और दृढ़ संकल्प का परिणाम था। उन्होंने 7 पारियों में 314 रन बनाकर न केवल भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि कुछ सफलताएँ `एलीवेटर` से नहीं, बल्कि `सीढ़ियों` से चढ़कर हासिल की जाती हैं।

धीमी गति से मिली सफलता के अनमोल सबक

अभिषेक शर्मा ने खुद इस बात पर जोर दिया है कि उन्हें अपने कुछ साथियों, जैसे शुभमन गिल और पृथ्वी शॉ की तरह राष्ट्रीय टीम में तेज़ी से जगह न मिलने का कोई अफसोस नहीं है। उनका मानना है कि इस धीमी गति और घरेलू क्रिकेट के लंबे संघर्ष ने उन्हें ऐसे अनमोल सबक सिखाए हैं, जो वे तेज़ी से आगे बढ़ने पर शायद कभी नहीं सीख पाते। यह विचार कई मायनों में प्रेरक है। जब सफलता तुरंत मिल जाती है, तो अक्सर सीखने की प्रक्रिया कहीं पीछे छूट जाती है। लेकिन जब हर कदम पर चुनौतियाँ और उतार-चढ़ाव आते हैं, तो खिलाड़ी न केवल अपनी तकनीक को सुधारता है, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत होता है।

“उतार-चढ़ाव तो आए हैं। कुछ खिलाड़ी आसानी से टीम में आ जाते हैं, कुछ मुश्किलों के बाद आते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि यह (घरेलू क्रिकेट का संघर्ष) जरूरी था। अगर मैं (राष्ट्रीय टीम के) खिलाड़ी के रूप में जल्दी आ जाता, तो मैं कुछ चीजें नहीं सीख पाता।”

यह कथन अभिषेक की उस परिपक्वता को दर्शाता है, जो उन्होंने अपने अनुभव से अर्जित की है। उनका मानना है कि संघर्ष ही उन्हें एक बेहतर खिलाड़ी और इंसान बनाता है।

युवराज सिंह का मार्गदर्शन और खेल में आमूल-चूल परिवर्तन

अभिषेक के करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ 2021 में महामारी के बाद आया, जब उन्होंने अपने खेल को पूरी तरह से निखारने का फैसला किया। इस बदलाव में महान भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह का मार्गदर्शन उनके लिए संजीवनी बूटी साबित हुआ। युवराज की देखरेख में, अभिषेक ने खुद को एक मध्यक्रम के फिनिशर और अंशकालिक बाएं हाथ के स्पिनर से एक आक्रामक सलामी बल्लेबाज के रूप में ढाल लिया, जो बड़े शॉट्स खेलने में माहिर है। यह परिवर्तन केवल तकनीक का नहीं, बल्कि मानसिकता का भी था, जहां उन्होंने जोखिम उठाने और मैच पर हावी होने की कला सीखी।

एशिया कप में धमाकेदार प्रदर्शन: पाकिस्तान के खिलाफ बहादुरी

एशिया कप में अभिषेक का प्रदर्शन किसी सपने से कम नहीं था। उन्होंने लगातार तीन अर्धशतक सहित कुल 314 रन बनाए, जो उन्हें टूर्नामेंट का शीर्ष स्कोरर बनाता है। इस प्रदर्शन का सबसे यादगार पहलू पाकिस्तान के खिलाफ उनकी बल्लेबाजी थी, जहाँ उन्होंने शाहीन शाह अफरीदी जैसे विश्वस्तरीय गेंदबाज का सामना निडरता से किया। विपक्षी टीम के प्रमुख गेंदबाज पर दबाव बनाकर, अभिषेक ने न केवल अपनी टीम को मजबूत शुरुआत दी, बल्कि यह भी दिखा दिया कि वे बड़े मैचों के खिलाड़ी हैं। उनके इस प्रदर्शन ने उन्हें टी20 विश्व कप में भारत के पहले पसंद के सलामी बल्लेबाज के रूप में लगभग पक्का कर दिया है।

टीम का समर्थन और आक्रामक क्रिकेट की नई सोच

अभिषेक अपनी सफलता का श्रेय टीम प्रबंधन द्वारा दी गई आज़ादी को भी देते हैं। सूर्यकुमार यादव और गौतम गंभीर जैसे दिग्गजों ने उन्हें खुलकर खेलने का आत्मविश्वास दिया। जब आप उच्च जोखिम वाला खेल खेलते हैं, तो असफलताएँ भी आती हैं, लेकिन टीम का अटूट समर्थन ही खिलाड़ियों को अपने स्वाभाविक खेल पर टिके रहने में मदद करता है।

“जब से मैं (राष्ट्रीय) टीम में आया हूं, मुझे कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि यह दबाव वाला मैच है। हमने हर मैच के लिए एक ही तरह से तैयारी की। सूर्य भाई (सूर्यकुमार यादव) और जीजी (गौतम गंभीर) भाई ने मुझे आत्मविश्वास दिया है। जब आप उच्च जोखिम वाला खेल खेलना चाहते हैं, तो असफलताएं आती हैं। लेकिन जिस तरह से उन्होंने मुझे संभाला, उसी के कारण मैं ऐसा खेल पाता हूं।”

अभिषेक ने यह भी बताया कि आक्रामक बल्लेबाजी की यह रणनीति पूरी टीम ने अपनाई है, और वे इसे आगे भी जारी रखेंगे, चाहे विरोधी टीम कोई भी हो। यह भारतीय क्रिकेट में एक नई आक्रामक सोच का प्रतीक है, जो भविष्य के लिए शुभ संकेत है।

यह तो बस शुरुआत है: भविष्य के चमत्कार

अभिषेक शर्मा को पूरा विश्वास है कि यह तो भारतीय टीम के लिए बस एक शुरुआत है। उनके मुताबिक, “आगे और भी चमत्कार होंगे।” यह आत्मविश्वास केवल उनके व्यक्तिगत प्रदर्शन से नहीं, बल्कि टीम की एकजुटता और नई रणनीति से भी आता है। आगामी टी20 विश्व कप में भारत की खिताबी रक्षा के लिए अभिषेक शर्मा जैसे खिलाड़ी महत्वपूर्ण होंगे, जो निडर होकर खेलते हैं और दबाव में भी बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं।

सच कहूँ तो, कभी-कभी `धीमा और स्थिर` वाला रास्ता ही हमें सबसे खूबसूरत नज़ारे दिखाता है और सबसे मज़बूत बनाता है। अभिषेक शर्मा की कहानी इसका एक जीता-जागता प्रमाण है। उनकी यह यात्रा हमें सिखाती है कि सफलता की कोई तयशुदा गति नहीं होती, और हर संघर्ष हमें एक बेहतर कल के लिए तैयार करता है।

यह लेख क्रिकेट विशेषज्ञों और खेल विश्लेषकों के विचारों पर आधारित है।
आदित्य चंद्रमोहन

मुंबई में निवास करने वाले आदित्य चंद्रमोहन खेल पत्रकारिता में बारह वर्षों से सक्रिय हैं। क्रिकेट और कबड्डी की दुनिया में उनकी गहरी समझ है। वे खेल के सूक्ष्म पहलुओं को समझने और उन्हें सरल भाषा में प्रस्तुत करने में माहिर हैं।

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