अभिषेक शर्मा: निडर क्रिकेट का नया चेहरा और उनके मार्गदर्शक

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2025 का एशिया कप, अभिषेक शर्मा के लिए सिर्फ एक और टूर्नामेंट नहीं था, बल्कि यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण पड़ाव और एक बुलंद बयान था। शुरुआती टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में उनकी क्षमता की झलक तो दिखी थी, लेकिन इस अभियान में उन्होंने खुद को खेल के सबसे ऊंचे स्तर पर एक गेम-चेंजर के रूप में स्थापित किया। उनका निडर दृष्टिकोण, जो जोखिम भरे स्ट्रोकप्ले पर आधारित है, कप्तान सूर्यकुमार यादव और मुख्य कोच गौतम गंभीर द्वारा उन पर रखे गए अटूट विश्वास के कारण ही संभव हो पाया। अभिषेक के अनुसार, इसी समर्थन ने उन्हें हर मैच को एक ही मानसिकता के साथ खेलने की आजादी दी, बिना किसी अतिरिक्त दबाव के।

जोखिम भरा खेल, शानदार पुरस्कार

एशिया कप में अभिषेक का प्रदर्शन किसी तूफानी पारी से कम नहीं था। सात मैचों में 200 की अविश्वसनीय स्ट्राइक-रेट से 314 रन बनाना और भारत की नौवीं एशिया कप जीत के लिए एक मजबूत नींव रखना – ये आँकड़े खुद अपनी कहानी कहते हैं। `प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट` चुने जाने के बाद अभिषेक ने बताया, “मैंने कभी महसूस नहीं किया कि यह एक दबाव वाला मैच है। हमने सभी मैचों की तैयारी समान रूप से की है। क्योंकि जिस तरह से मैं खेल रहा हूँ, मुझे लगा कि सूर्यकुमार भाई और गौतम गंभीर जी ने मुझे आत्मविश्वास दिया है, क्योंकि जब आप इस तरह का क्रिकेट खेलना चाहते हैं, तो आपको उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ता है।” यह बयान उनकी उस मानसिकता को दर्शाता है, जहाँ जोखिम लेना ही सफलता की कुंजी है, बशर्ते आपको सही मार्गदर्शन मिले।

यह दृष्टिकोण निसंदेह जोखिम भरा था, जहाँ असफलता का खतरा भी रहता है। लेकिन इसके पुरस्कार असफलताओं से कहीं अधिक थे, जैसा कि आँकड़ों से स्पष्ट है। अभिषेक स्वयं इस बात को स्वीकार करते हैं: “जाहिर है, अगर आप इतने उच्च जोखिम पर खेलना चाहते हैं, तो असफलताएं भी होती हैं। लेकिन जिस तरह से उन्होंने उस समय मुझे संभाला, जिस तरह से उन्होंने (गंभीर और सूर्यकुमार) उस समय मुझसे बात की, मुझे लगता है कि इसी वजह से, खासकर इस तरह से खेलने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आपके पास टीम के साथ ऐसा समर्थन हो।” यह केवल प्रतिभा का मामला नहीं है, बल्कि सही समय पर मिला मनोवैज्ञानिक समर्थन और विश्वास ही खिलाड़ियों को शीर्ष पर पहुँचने में मदद करता है। किसी खिलाड़ी को यह बताना कि “गलती करो, हम तुम्हारे साथ हैं”, शायद यही आधुनिक क्रिकेट कोचिंग का सार है।

संघर्षों का सफर: हर ठोकर एक सबक

अभिषेक को इस मुकाम तक पहुँचने में समय लगा है। 2018 की अंडर-19 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य, जहाँ उनके साथ वर्तमान टेस्ट कप्तान शुभमन गिल भी थे, उनका रास्ता उसके बाद बिल्कुल सीधा नहीं रहा। आईपीएल में दिल्ली कैपिटल्स के साथ और घरेलू क्रिकेट में भी, वे लगातार छाप छोड़ने के लिए संघर्ष करते रहे। क्रिकेट के पंडितों ने शायद उन्हें “अगला बड़ा सितारा” टैग नहीं दिया होगा, लेकिन अभिषेक ने अपनी राह खुद बनाई। पीछे मुड़कर देखें तो, उन्हें लगता है कि उन “मोड़ों और असफलताओं” ने उन्हें ऐसे सबक दिए, जो शायद उन्हें तुरंत सफलता मिल जाती तो वे नहीं सीख पाते। यह एक कड़वा सच है कि हर चमकता सितारा पहले अँधेरे से गुजरता है।

“मैंने अंडर-19 खेला और उसके बाद मुझे मौका मिला। तो यह बहुत ऊपर-नीचे रहा, क्योंकि (कुछ खिलाड़ियों के लिए रास्ता सीधा होता है जबकि दूसरों के लिए, उन्हें सब कुछ अनुभव करना पड़ता है)। तो मुझे लगा, मुझे उसकी (सब कुछ अनुभव करने की) जरूरत थी। क्योंकि एक खिलाड़ी के रूप में, अगर मैं सीधे आता, तो मुझे सब कुछ सीखने को नहीं मिलता। लेकिन जाहिर है, मुझे सामान्य से अधिक समय काम करने को मिला। कई खिलाड़ियों को वह नहीं मिलता लेकिन मुझे अधिक मिला।”

यह परिप्रेक्ष्य आज भी उनके साथ है, जहाँ वे सूर्यकुमार की कप्तानी को एक बड़े प्रभाव के रूप में श्रेय देते हैं। अभिषेक के अनुसार, उन्हें सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली बात यह थी कि कप्तान का व्यवहार कितना कम बदलता है, चाहे रन बने हों या नहीं। यह एक महान नेता का गुण है, जो अपने खिलाड़ियों में आत्मविश्वास भरता है और उन्हें स्थिरता प्रदान करता है।

सूर्यकुमार की कप्तानी और भविष्य की राह

सूर्यकुमार यादव की कप्तानी का एक ऐसा पहलू है, जिसने अभिषेक को गहराई से प्रभावित किया है। “जब से मैं टीम में शामिल हुआ हूँ, यहाँ तक कि जब वह 100 रन बनाते हैं, तब भी वह उसी तरह हँसते हैं, वह सबसे उसी तरह बात करते हैं। भले ही वह जल्दी आउट हो जाएँ, वह सभी को साथ लेकर चलते हैं। तो मुझे लगता है, यह उनकी सबसे अच्छी गुणवत्ता है जो मैंने देखी है। मैं भी यह सीखना चाहता हूँ क्योंकि टी-20 में खासकर, आप लगातार ऊपर-नीचे होते रहते हैं। लेकिन आपको एक संतुलन बनाना होगा, टीम के साथ कैसे रहना है, हर चीज का आनंद कैसे लेना है।” यह दर्शाता है कि मानसिक स्थिरता और टीम भावना किसी भी खिलाड़ी के लिए कितनी महत्वपूर्ण है, खासकर उस प्रारूप में जहाँ हर गेंद पर खेल बदल सकता है।

अभिषेक का मानना है कि यह तो बस शुरुआत है। “मुझे लगता है कि यह हमारी टीम की सिर्फ शुरुआत है और अभी बहुत कुछ आना बाकी है।” उनका यह बयान न केवल उनके व्यक्तिगत आत्मविश्वास को दर्शाता है, बल्कि भारतीय क्रिकेट के भविष्य के लिए भी एक उम्मीद जगाता है। उनके जैसे युवा खिलाड़ी, जिन्हें सही मार्गदर्शन और समर्थन मिलता है, वे ही खेल को नई ऊंचाइयों पर ले जाते हैं। एशिया कप में अभिषेक शर्मा का निडर उदय क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक प्रेरणादायक कहानी है, जो दिखाती है कि आत्मविश्वास, दृढ़ संकल्प और सही सलाह के साथ, कोई भी खिलाड़ी अपनी क्षमता को पूरी तरह से साकार कर सकता है और क्रिकेट के मैदान पर अपनी अमिट छाप छोड़ सकता है।

प्रमोद विश्वनाथ

बेंगलुरु के वरिष्ठ खेल पत्रकार प्रमोद विश्वनाथ फुटबॉल और एथलेटिक्स के विशेषज्ञ हैं। आठ वर्षों के अनुभव ने उन्हें एक अनूठी शैली विकसित करने में मदद की है।

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