अहमदाबाद में जुरेल का जलवा: पहला टेस्ट शतक, भारतीय सेना और पिता के सम्मान में ‘गार्ड ऑफ ऑनर’

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क्रिकेट के मैदान पर जब कोई युवा खिलाड़ी अपने देश का प्रतिनिधित्व करता है, तो यह गौरव का क्षण होता है। लेकिन जब वही खिलाड़ी अपनी पहली बड़ी उपलब्धि को देश के उन वीर सपूतों को समर्पित करता है, जो सीमा पर जान न्योछावर करने को तैयार रहते हैं, तो यह क्षण महज़ खेल से कहीं आगे निकल जाता है। कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला अहमदाबाद में, जहाँ भारतीय क्रिकेट टीम के विकेटकीपर-बल्लेबाज ध्रुव जुरेल ने अपने पहले टेस्ट शतक को अनोखे अंदाज़ में भारतीय सेना और अपने कारगिल युद्ध के वीर पिता को समर्पित कर सबका दिल जीत लिया।

एक यादगार शतक और `गार्ड ऑफ ऑनर` का भावुक पल

वेस्टइंडीज के खिलाफ चल रहे टेस्ट मैच के दूसरे दिन, ध्रुव जुरेल ने 125 रनों की शानदार शतकीय पारी खेली। उनकी यह पारी केवल रनों का अंबार नहीं थी, बल्कि दृढ़ संकल्प, धैर्य और उत्कृष्ट बल्लेबाजी का प्रमाण थी। रवींद्र जडेजा के साथ मिलकर उन्होंने एक महत्वपूर्ण साझेदारी निभाई, जिसने भारत को 448/5 के विशाल स्कोर तक पहुँचाने में मदद की और वेस्टइंडीज पर 286 रनों की मज़बूत बढ़त दिला दी। लेकिन इस शतक को और भी खास बनाया उनके जश्न के तरीक़े ने। शतक पूरा करने के बाद, जुरेल ने अपने बल्ले को `गार्ड ऑफ ऑनर` की मुद्रा में लहराया, जो भारतीय सेना और विशेष रूप से अपने पिता, सेवानिवृत्त सेना veteran नेम् चंद, को उनकी ओर से एक हार्दिक श्रद्धांजलि थी।

पिता की विरासत और देश सेवा का सम्मान

ध्रुव जुरेल के लिए यह सिर्फ एक क्रिकेटिंग उपलब्धि नहीं थी, बल्कि अपने बचपन की प्रेरणा और देश के प्रति असीम सम्मान व्यक्त करने का एक मंच था। उनके पिता, नेम् चंद, 1999 के कारगिल युद्ध के योद्धा रहे हैं। जुरेल ने अपनी अर्धशतकीय पारी के बाद भी अपने पिता को `सलाम` कर सम्मान व्यक्त किया था, लेकिन शतक के बाद का `गार्ड ऑफ ऑनर` एक अलग ही स्तर का भावुक पल था।

“अर्धशतक के बाद मैंने अपने पिता को सलाम किया था, लेकिन शतक के बाद का यह जश्न कुछ ऐसा था जो मेरे दिमाग में बहुत लंबे समय से था। मैं बचपन से ही भारतीय सेना के बहुत करीब रहा हूँ, मैंने अपने पिता को देखा है।” जुरेल ने कहा, “हम मैदान पर जो करते हैं और वे युद्ध के मैदान पर जो करते हैं, वह बहुत मुश्किल है और आप उसकी तुलना नहीं कर सकते। मेरे मन में हमेशा उनके लिए सम्मान रहेगा और भविष्य में मैं जो कुछ भी करूँगा, वह उनके लिए ही होगा।”

यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जहाँ एक ओर कई खिलाड़ी अपनी व्यक्तिगत पहचान और चमक-दमक वाली उपलब्धियों में व्यस्त रहते हैं, वहीं जुरेल का यह सरल, फिर भी गहरा, इशारा खेल को केवल आंकड़ों से कहीं ऊपर ले जाता है। यह हमें याद दिलाता है कि कुछ कहानियाँ सिर्फ क्रिकेट स्कोरकार्ड में नहीं, बल्कि दिल में दर्ज होती हैं।

क्रिकेट के मैदान पर देशभक्ति का नया अध्याय

जुरेल ने स्पष्ट किया कि उनका यह शतक उन सभी को समर्पित है जो देश की सेवा करते हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने पिता से सेना के बारे में कई सवाल पूछे हैं और उन्हें सेना की जीवनशैली हमेशा से आकर्षित करती रही है। उनके इस बयान से पता चलता है कि क्रिकेट के प्रति उनके जुनून के साथ-साथ देश के प्रति उनकी अटूट निष्ठा भी है।

इस मैच में, ध्रुव जुरेल के अलावा केएल राहुल और रवींद्र जडेजा ने भी शतक जड़े, जिससे भारत की बल्लेबाजी की गहराई साबित हुई। लेकिन जुरेल के शतक को जो चीज़ अमर बना गई, वह था उसका भावनात्मक जुड़ाव और भारतीय सेना के प्रति उनका अविस्मरणीय `गार्ड ऑफ ऑनर`। यह पल सिर्फ क्रिकेट इतिहास में ही नहीं, बल्कि लाखों भारतीयों के दिलों में हमेशा के लिए दर्ज हो गया है, एक युवा सितारे द्वारा देश के असली नायकों को दी गई एक भव्य सलामी के रूप में। यह दर्शाता है कि खेल और देशभक्ति के धागे कितने मज़बूती से एक-दूसरे से जुड़े हो सकते हैं।

निरव धनराज

दिल्ली के प्रतिभाशाली खेल पत्रकार निरव धनराज हॉकी और बैडमिंटन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। उनकी रिपोर्टिंग में खिलाड़ियों की मानसिकता की गहरी समझ झलकती है।

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