बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड चुनाव: सत्ता की जंग और वीजा का पेच

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क्रिकेट, बांग्लादेश के रग-रग में बसा खेल, अक्सर अपनी रोमांचक जीत और जुनून के लिए जाना जाता है। लेकिन इस बार, मैदान के बाहर की सरगर्मी मैदान के अंदर के खेल पर भारी पड़ रही है। एक तरफ जहाँ बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (BCB) के चुनावों को लेकर सियासी पिच गर्म है, वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ी अजीबोगरीब प्रशासनिक बाधाओं से जूझ रहे हैं। यह सिर्फ खेल नहीं, बल्कि सत्ता, नौकरशाही और जुनून की एक जटिल कहानी है।

सियासी पिच का घमासान: आरोप, खंडन और अदालती आदेश

आने वाले 6 अक्टूबर को BCB के बहुप्रतीक्षित चुनाव होने हैं, और माहौल में तनाव स्पष्ट रूप से महसूस किया जा सकता है। मौजूदा BCB अध्यक्ष अमीनल इस्लाम, जिनका कार्यकाल 5 अक्टूबर को समाप्त हुआ, मजबूती से इस बात का खंडन करते हैं कि चुनावों में सरकार का कोई हस्तक्षेप है। उनका कहना है कि खेल सलाहकार ने निष्पक्ष चुनाव और एक बेहतर बोर्ड बनाने के लिए दिन-रात काम किया है, और उन्हें कहीं से भी कोई सरकारी प्रभाव महसूस नहीं होता। यह बात उन्होंने शेर-ए-बांग्ला नेशनल क्रिकेट स्टेडियम में पत्रकारों से कही।

लेकिन, कहानी में एक मोड़ है। इससे पहले, दिग्गज खिलाड़ी तमीम इकबाल ने चुनावों से अपना नाम वापस ले लिया था, और 15 क्लबों को चुनावों में भाग लेने से रोकने के बाद सरकारी हस्तक्षेप का आरोप लगाया था। यह आरोप हवा में नहीं थे। हालांकि, रविवार को एक अदालती आदेश आया जिसने इन 15 क्लबों को चुनावों में भाग लेने की अनुमति दे दी, जिससे स्थिति और भी दिलचस्प हो गई। क्या यह वाकई निष्पक्षता की जीत थी, या एक और सियासी चाल? अमीनल इस्लाम इन बहिष्कारों को व्यक्तिगत मामला बताते हैं, और कहते हैं कि वह केवल संविधान और चुनाव आयोग के दायरे में रहना चाहते हैं।

अमीनल ने बड़े ही दार्शनिक अंदाज़ में कहा, “मैं हर दिन कुछ सीख रहा हूँ। मैंने एक बात सीखी है – कि हर घंटा बदलता है। यानी, एक घंटे बाद सब कुछ बदल जाता है।” उनके इस बयान में चुनावों की अप्रत्याशित प्रकृति का सार छिपा है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि चुनाव में “उतार-चढ़ाव” सामान्य हैं, खासकर उनके लिए यह पहली बार है। एक तरह से, यह स्वीकारोक्ति अपने आप में एक संदेश है कि राजनीति का खेल क्रिकेट की पिच से भी ज़्यादा पेचीदा हो सकता है।

पर्दे के पीछे की रणनीतियाँ: बोर्ड का विजन और चुनौतियाँ

अपनी प्रशासनिक यात्रा के बारे में बात करते हुए, अमीनल इस्लाम ने पिछले चार महीनों में हासिल किए गए अनुभवों और सफलताओं पर ज़ोर दिया। उन्होंने महसूस किया कि एक टीम के रूप में काम करना कितना महत्वपूर्ण है, और कहा कि बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के दस सम्मानित निदेशकों और सभी कर्मचारियों के पूर्ण सहयोग से काफी सफलताएँ मिलीं। उनकी सबसे बड़ी “विफलता” पत्रकारों के साथ संचार में सुधार की आवश्यकता को माना गया, जो शायद एक राजनयिक जवाब था।

BCB के निदेशक नज़्मुल अबेदिन ने भी बोर्ड के कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे पूरे देश में एक मजबूत नेटवर्क बनाया गया है, और 64 जिलों के साथ संचार स्थापित किया गया है। बुनियादी ढाँचे के मुद्दों पर सरकार के साथ विस्तृत चर्चाएँ हुई हैं और कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति भी हुई है। यह सब कुछ, जैसा कि उन्होंने बताया, इन चुनावों से काफी पहले शुरू किया गया था। यह दर्शाता है कि जबकि बाहरी दुनिया सत्ता की लड़ाई पर ध्यान केंद्रित कर रही है, पर्दे के पीछे कुछ लोग शायद क्रिकेट के भविष्य के लिए नींव रख रहे थे। या कम से कम, ऐसी कोशिश कर रहे थे।

वीजा का अप्रत्याशित बाउंसर: खिलाड़ियों की मुश्किलें

इन सभी प्रशासनिक उथल-पुथल के बीच, राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों को भी अनपेक्षित बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। BCB के क्रिकेट संचालन के अध्यक्ष ने पुष्टि की है कि सलामी बल्लेबाज सौम्या सरकार को वीजा संबंधी जटिलताओं के कारण तीन मैचों की T20I श्रृंखला से बाहर कर दिया गया है। वहीं, एक और सलामी बल्लेबाज नईम शेख को भी यूएई यात्रा के लिए मंजूरी का इंतजार है।

यह स्थिति वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है। BCB के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने सभी आवश्यक कागज़ात समय पर भेजे थे, लेकिन यूएई वीजा प्राप्त करना हाल ही में काफी जटिल हो गया है। कल्पना कीजिए, एक खिलाड़ी अपनी टीम के लिए मैदान पर उतरने को तैयार है, लेकिन एक कागज़ का टुकड़ा उसे रोक देता है। यह स्थिति न केवल खिलाड़ी के लिए निराशाजनक है, बल्कि टीम की तैयारियों और मनोबल पर भी असर डालती है। अफगानिस्तान के खिलाफ तीन मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला बुधवार को अबू धाबी के जायद क्रिकेट स्टेडियम में शुरू होने वाली है, और अगर वीजा में देरी जारी रहती है, तो बांग्लादेश को नईम शेख के बिना श्रृंखला शुरू करनी पड़ सकती है। यह दिखाता है कि कैसे प्रशासनिक लापरवाही या नौकरशाही की धीमी गति सीधे खेल के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है।

बांग्लादेश क्रिकेट इस समय एक ऐसे दोराहे पर खड़ा है जहाँ प्रशासनिक शक्ति संघर्ष और खिलाड़ियों की व्यावहारिक चुनौतियाँ एक साथ चल रही हैं। एक तरफ बोर्ड के सदस्य सत्ता की कुर्सी पर काबिज होने के लिए दांव-पेंच खेल रहे हैं, तो दूसरी तरफ खिलाड़ियों को देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए वीजा जैसे साधारण मुद्दों से जूझना पड़ रहा है। यह बांग्लादेशी क्रिकेट की एक जटिल तस्वीर पेश करता है, जहाँ खेल के जुनून को अक्सर अदालती आदेशों, सियासी आरोपों और वीजा संबंधी अड़चनों का सामना करना पड़ता है। उम्मीद है कि इन सभी चुनौतियों के बावजूद, बांग्लादेशी क्रिकेट आगे बढ़ेगा और मैदान पर उसका प्रदर्शन इन सभी शोर-शराबे से ऊपर उठकर चमकेगा। आखिर में, खेल ही सबसे ऊपर होना चाहिए, है ना?

प्रमोद विश्वनाथ

बेंगलुरु के वरिष्ठ खेल पत्रकार प्रमोद विश्वनाथ फुटबॉल और एथलेटिक्स के विशेषज्ञ हैं। आठ वर्षों के अनुभव ने उन्हें एक अनूठी शैली विकसित करने में मदद की है।

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