मैच का सार:
- इंडिया A: 413/6 (50 ओवर)
- ऑस्ट्रेलिया A: 242 ऑल आउट (33.1 ओवर)
- परिणाम: इंडिया A 171 रनों से विजयी
- शतक: श्रेयस अय्यर (110), प्रियांश आर्या (101)
- प्रमुख गेंदबाज: निशांत संधू (4/50)
कानपुर के ऐतिहासिक मैदान पर, जहाँ क्रिकेट की गाथाएँ अक्सर नए अध्याय लिखती हैं, एक ऐसा ही धमाकेदार मुकाबला देखने को मिला जिसने भारतीय युवा प्रतिभा और अनुभवी नेतृत्व का अद्भुत संगम दिखाया। इंडिया A और ऑस्ट्रेलिया A के बीच खेली जा रही अनऑफिशियल वनडे सीरीज के पहले मुकाबले में, भारतीय टीम ने कंगारुओं को चारों खाने चित करते हुए एकतरफा जीत दर्ज की। यह सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि एक घोषणा थी कि भारतीय क्रिकेट की बेंच स्ट्रेंथ कितनी मजबूत है।
शतकों की बरसात: जब बल्लेबाजों ने मैदान पर मचाया कोहराम
बारिश के कारण एक दिन की देरी से शुरू हुए इस मैच में, जब ऑस्ट्रेलिया A ने टॉस जीतकर इंडिया A को पहले बल्लेबाजी का न्योता दिया, तो शायद उन्हें अंदाजा नहीं था कि वे तूफान को निमंत्रण दे रहे हैं। भारत A के सलामी बल्लेबाज प्रियांश आर्या और पंजाब किंग्स (PBKS) के उनके साथी प्रभसिमरन सिंह ने मिलकर 135 रनों की धुआंधार साझेदारी करके एक मजबूत नींव रखी। आर्या, जिन्होंने आईपीएल 2025 में अपनी बल्लेबाजी का जलवा दिखाया था, ने इस फॉर्म को बरकरार रखते हुए शानदार 101 रन बनाए।
लेकिन असली रंग जमाया कप्तान श्रेयस अय्यर ने। चैंपियंस ट्रॉफी के बाद अपने पहले लिस्ट A मैच में वापसी करते हुए, अय्यर ने धमाकेदार बल्लेबाजी का प्रदर्शन किया। 12 चौके और 4 छक्कों की मदद से उन्होंने 110 रनों की एक बेहतरीन पारी खेली, यह साबित करते हुए कि सफेद गेंद क्रिकेट में उनका कोई सानी नहीं। ऐसा लग रहा था मानो वह लाल गेंद क्रिकेट से ब्रेक के बाद अपनी सारी ऊर्जा इसी मैच के लिए बचाकर लाए हों। उनका बल्ला आग उगल रहा था और ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के पास कोई जवाब नहीं था।
अय्यर और आर्या के अलावा, रियान पराग (67) और आयुष बदोनी (50) ने भी अर्धशतकीय पारियां खेलकर टीम के विशाल स्कोर में महत्वपूर्ण योगदान दिया। निशांत संधू ने भी अंत में तेजी से रन जोड़े, जिससे भारत A ने 50 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर 413 रनों का एक पहाड़ जैसा लक्ष्य खड़ा कर दिया। यह स्कोर ऑस्ट्रेलिया A के लिए किसी एवरेस्ट से कम नहीं था, और इसे देखकर विरोधी टीम के खेमे में निश्चित रूप से बेचैनी बढ़ गई होगी।
ऑस्ट्रेलिया A का संघर्ष: जब लक्ष्य बना चुनौती
414 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया A ने शुरुआत तो अच्छी की। एक समय वे 13वें ओवर में 1 विकेट पर 116 रन बनाकर मजबूत स्थिति में दिख रहे थे। सलामी बल्लेबाज मैकेंज़ी हार्वे ने 62 गेंदों पर 68 रन बनाकर कुछ उम्मीदें जगाईं। कप्तान सदरलैंड ने भी 33 गेंदों पर 50 रन की तेज पारी खेली, लेकिन यह सिर्फ तूफान से पहले की खामोशी थी।
कूपर कॉनौली के विकेट गिरने के साथ ही ऑस्ट्रेलियाई पारी ताश के पत्तों की तरह ढहने लगी। भारतीय स्पिनरों, खासकर निशांत संधू (4/50), रवि बिश्नोई (2/49) और आयुष बदोनी (1/46) ने मिलकर कंगारुओं को अपने जाल में फंसा लिया। उन्होंने मिलकर सात विकेट झटके, और ऑस्ट्रेलिया A की टीम 33.1 ओवर में सिर्फ 242 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। भारतीय स्पिनरों ने इस बात का पुख्ता सबूत दिया कि उपमहाद्वीप की पिचों पर वे कितने खतरनाक हो सकते हैं। एक समय मजबूत दिख रही ऑस्ट्रेलियाई पारी ने अपने अंतिम 9 विकेट सिर्फ 126 रनों पर गंवा दिए, जो उनकी बल्लेबाजी की गहराई पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।
श्रेयस अय्यर की वापसी का जलवा: एक ब्रेक, एक शतक!
पिछले कुछ समय से लाल गेंद क्रिकेट से ब्रेक लेकर अपनी पीठ की समस्या से उबर रहे श्रेयस अय्यर की यह वापसी बेहद शानदार रही। इस मैच में उनका शतक सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि सफेद गेंद क्रिकेट के लिए उनकी फिटनेस और फॉर्म का प्रमाण है। जब भारतीय टीम को बड़े टूर्नामेंट्स में उनके अनुभव और मिडिल ऑर्डर की स्थिरता की जरूरत होगी, तो यह पारी चयनकर्ताओं को एक स्पष्ट संदेश देगी। कौन कहता है कि ब्रेक से फॉर्म बिगड़ता है? अय्यर ने तो फॉर्म और निखार लिया है!
युवा प्रतिभाओं का उदय: भारत के भविष्य की झलक
इस मैच में गुरजपनीत सिंह ने भी अपना लिस्ट A डेब्यू किया और 5 ओवर में 40 रन देकर 1 विकेट लिया। यह दिखाता है कि भारत के पास युवा प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, जो राष्ट्रीय टीम के लिए दरवाजे खटखटा रही हैं। तिलक वर्मा जैसे एशिया कप के हीरो भी अगले दो वनडे में टीम के साथ जुड़ने वाले हैं, जिससे भारत A की बल्लेबाजी और मजबूत होगी।
यह जीत सिर्फ एक मैच की जीत नहीं है, बल्कि यह आत्मविश्वास की जीत है, यह युवा टैलेंट और अनुभवी कप्तानी के सही मिश्रण की जीत है। भारत A ने ऑस्ट्रेलिया A को यह संदेश दे दिया है कि इस सीरीज में उन्हें कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। आगामी मैचों में देखना दिलचस्प होगा कि क्या कंगारू अपनी गलतियों से सबक सीख पाते हैं, या भारत A का दबदबा यूं ही बरकरार रहता है।