प्रभसिमरन सिंह का विस्फोटक शतक भारत ए की जीत का आधार बना।
कानपुर के मैदान पर क्रिकेट का एक ऐसा रोमांचक अध्याय लिखा गया, जिसे दर्शक लंबे समय तक याद रखेंगे। भारत ए ने ऑस्ट्रेलिया ए के खिलाफ तीसरे अनऑफिशियल वनडे मुकाबले में 317 रनों के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए, दो विकेट से शानदार जीत दर्ज की। इस जीत के साथ ही भारत ए ने तीन मैचों की सीरीज पर 2-1 से कब्जा जमा लिया। यह सिर्फ एक जीत नहीं थी, बल्कि युवा प्रतिभाओं के धैर्य, आक्रामकता और दृढ़ संकल्प का एक प्रमाण था।
मैच का संक्षिप्त सार:
ऑस्ट्रेलिया ए: 49.1 ओवर में 316 रन (जैक एडवर्ड्स 89, लियाम स्कॉट 73, अर्शदीप 3-38, राणा 3-61)
भारत ए: 45.1 ओवर में 8 विकेट पर 322 रन (प्रभसिमरन 102, अय्यर 62, पराग 62, मर्फी 4-42, संघा 4-72)
परिणाम: भारत ए ने 2 विकेट से जीत दर्ज की।
सीरीज: भारत ए ने ऑस्ट्रेलिया ए के खिलाफ 3 मैचों की अनऑफिशियल वनडे सीरीज 2-1 से जीती।
ऑस्ट्रेलिया ए का पलटवार: शुरुआती झटकों के बाद दमदार वापसी
टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलिया ए की शुरुआत लड़खड़ाती हुई थी। अर्शदीप सिंह और हर्षित राणा की घातक गेंदबाजी ने उन्हें 44 रन पर ही चार विकेट गंवाने पर मजबूर कर दिया। ऐसा लग रहा था कि भारतीय गेंदबाज उन्हें सस्ते में समेट देंगे, लेकिन क्रिकेट अप्रत्याशितताओं का खेल है। कूपर कोनोली (49 गेंदों में 64 रन) ने पारी को संभाला और फिर कप्तान जैक एडवर्ड्स (89 रन) और लियाम स्कॉट (73 रन) ने मिलकर सातवें विकेट के लिए 123 गेंदों पर 152 रनों की अविश्वसनीय साझेदारी कर डाली। यह साझेदारी ऐसी थी, जिसने मैच का रुख बदलने की क्षमता रखती थी। ऑस्ट्रेलिया ए ने निर्धारित 50 ओवर से पहले ही 316 रनों का एक मजबूत स्कोर खड़ा कर दिया, जो एक समय असंभव लग रहा था। अर्शदीप और हर्षित ने तीन-तीन विकेट लेकर भारतीय खेमे में थोड़ी उम्मीदें जगाईं।
भारत ए की तूफानी शुरुआत: प्रभसिमरन का `शॉट-पुट` शतक
317 रनों का लक्ष्य किसी भी टीम के लिए चुनौतीपूर्ण होता है, खासकर जब सीरीज दांव पर हो। लेकिन भारत ए के सलामी बल्लेबाज प्रभसिमरन सिंह के इरादे कुछ और ही थे। उन्होंने अभिषेक शर्मा के साथ मिलकर सिर्फ 11.2 ओवर में 83 रनों की ताबड़तोड़ साझेदारी कर डाली। प्रभसिमरन ने ऑस्ट्रेलिया ए के गेंदबाजों को मैदान के चारों ओर दौड़ाया। उनकी 68 गेंदों में 102 रनों की पारी, जिसमें आठ चौके और सात गगनचुंबी छक्के शामिल थे, ने भारतीय पारी की नींव रखी। यह एक ऐसा शतक था, जिसने विरोधियों के मनोबल को तोड़ने का काम किया और लक्ष्य को हासिल करने की उम्मीदें जगा दीं। जब वह आउट हुए, तब तक भारत ए एक मजबूत स्थिति में पहुंच चुका था।
अय्यर और पराग का मध्यक्रम में दबदबा: उम्मीदों को दी उड़ान
प्रभसिमरन द्वारा तय किए गए मंच का फायदा उठाते हुए, कप्तान श्रेयस अय्यर (58 गेंदों में 62 रन) और रियान पराग (55 गेंदों में 62 रन) ने मध्यक्रम में शानदार प्रदर्शन किया। इन दोनों ने चौथे विकेट के लिए 92 गेंदों पर 117 रनों की महत्वपूर्ण साझेदारी निभाई। अय्यर, जो ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले अपनी फॉर्म तलाश रहे थे, ने इस सीरीज में अपना दूसरा अर्धशतक लगाकर अपने चयन को सही साबित किया। पराग ने भी अपनी आक्रामक शैली का प्रदर्शन करते हुए तेजी से रन बनाए। 35वें ओवर में जब भारत ए का स्कोर 262 पर तीन विकेट था, तब जीत सिर्फ एक औपचारिकता लग रही थी।
अंतिम ओवरों का ड्रामा: मर्फी और संघा ने बढ़ाई धड़कनें
क्रिकेट में कहते हैं कि `जब तक अंतिम गेंद न फेंकी जाए, कुछ भी निश्चित नहीं होता।` यह बात इस मैच में पूरी तरह से सच साबित हुई। ऑस्ट्रेलिया ए के लेग-स्पिनर तनवीर संघा (4 विकेट) और ऑफ-स्पिनर टॉड मर्फी (4 विकेट) ने भारतीय बल्लेबाजी क्रम में तूफान ला दिया। संघा ने अय्यर और पराग को लगातार ओवरों में आउट कर मैच में ऑस्ट्रेलिया ए की वापसी कराई, जिसके बाद मर्फी ने भी दो गेंदों में दो विकेट लेकर भारतीय खेमे में खलबली मचा दी। देखते ही देखते, भारत ए ने 262/3 से 39 रन जोड़ते हुए पांच विकेट गंवा दिए। स्कोर 301 पर आठ विकेट हो गया, और जीत के लिए अभी भी 16 रनों की जरूरत थी। दर्शक अपनी सीटों से उठ खड़े हुए थे, सांसें थम-सी गई थीं।
निगम और अर्शदीप: गुमनाम नायकों की शांत साझेदारी
ऐसे दबाव भरे क्षणों में, जब अनुभवी बल्लेबाज पवेलियन लौट चुके थे, दो युवा खिलाड़ियों – विपराज निगम (24*) और अर्शदीप सिंह (7*) – ने असाधारण संयम और धैर्य का प्रदर्शन किया। नौवें विकेट के लिए उन्होंने अविजित 21 रनों की साझेदारी की और टीम को 24 गेंदें शेष रहते जीत दिला दी। यह साझेदारी सिर्फ रनों के बारे में नहीं थी, बल्कि यह दबाव में शांत रहने और जिम्मेदारी लेने की क्षमता के बारे में थी। इन दोनों ने यह साबित कर दिया कि क्रिकेट सिर्फ बड़े नामों का खेल नहीं, बल्कि उन गुमनाम नायकों का भी है जो जरूरत पड़ने पर चमक उठते हैं।
निष्कर्ष: एक यादगार सीरीज जीत और उज्ज्वल भविष्य
भारत ए की यह सीरीज जीत कई मायनों में खास है। इसने न केवल ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ संघर्ष करने और जीतने की क्षमता दिखाई, बल्कि युवा खिलाड़ियों को बड़े मंच पर अपनी प्रतिभा साबित करने का अवसर भी प्रदान किया। प्रभसिमरन का शतक, अय्यर और पराग का अनुभव, और निगम व अर्शदीप की अंत तक हार न मानने वाली भावना – ये सभी तत्व इस जीत के शिल्पकार थे। यह सीरीज भारतीय क्रिकेट के उज्ज्वल भविष्य की एक झलक पेश करती है, जहां युवा खिलाड़ी बड़े लक्ष्यों का पीछा करने और दबाव में प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। यह मैच उन थ्रिलर्स में से एक बन गया है जिसे क्रिकेट प्रेमी हमेशा याद रखेंगे।