भारतीय शतरंज का स्वर्ण युग: FIDE रैंकिंग में ऐतिहासिक प्रदर्शन और दिव्या देशमुख की उड़ान

खेल समाचार » भारतीय शतरंज का स्वर्ण युग: FIDE रैंकिंग में ऐतिहासिक प्रदर्शन और दिव्या देशमुख की उड़ान

अगस्त 2025 की फेडरेशन इंटरनेशनेल डेस एचेक्स (FIDE) रैंकिंग जारी हो चुकी है, और इस बार भारत ने शतरंज की दुनिया में अपनी एक अलग ही छाप छोड़ी है। यह सिर्फ एक महीने की रैंकिंग नहीं, बल्कि भारतीय शतरंज के `स्वर्ण युग` की ओर बढ़ते कदमों का एक स्पष्ट संकेत है। जहां एक ओर युवा प्रतिभाएं शीर्ष पर अपनी जगह बना रही हैं, वहीं अनुभवी खिलाड़ी भी अपनी चमक बरकरार रखे हुए हैं। इस बार की रैंकिंग का सबसे चमकदार पहलू है युवा ग्रैंडमास्टर दिव्या देशमुख का करियर का सर्वोच्च स्थान प्राप्त करना।

दिव्या देशमुख: एक नया मील का पत्थर

भारतीय महिला शतरंज की उभरती हुई सितारा, दिव्या देशमुख ने क्लासिकल प्रारूप में 15वां स्थान हासिल करके अपने करियर का नया कीर्तिमान स्थापित किया है। 2478 ईएलओ (ELO) अंकों के साथ, दिव्या ने न केवल अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है, बल्कि उन सभी युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा भी बनी हैं जो शतरंज में अपना भविष्य देख रहे हैं। उनकी यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि कड़ी मेहनत, लगन और सही मार्गदर्शन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। ऐसा लगता है, शतरंज की बिसात पर अब भारतीय शेरनियां भी दहाड़ने लगी हैं!

पुरुष वर्ग में भारतीय वर्चस्व: युवाओं का बोलबाला

ओपन क्लासिकल वर्ग में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन वाकई असाधारण रहा है। शीर्ष 25 में पांच भारतीय खिलाड़ी शामिल हैं, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है:

  • आर प्रज्ञानानंद: यह युवा प्रतिभा 2779 ईएलओ अंकों के साथ चौथे स्थान पर काबिज है। प्रज्ञानानंद ने लगातार अपने खेल से दुनिया को चौंकाया है और उनका शीर्ष 5 में शामिल होना भारतीय शतरंज के भविष्य की नींव को और मजबूत करता है।
  • अर्जुन एरिगैसी: 2776 ईएलओ अंकों के साथ पांचवें स्थान पर अर्जुन एरिगैसी का नाम दर्ज है। अर्जुन की रणनीतिक सोच और शांत स्वभाव उन्हें एक बेहतरीन खिलाड़ी बनाता है।
  • डी गुकेश: अर्जुन के साथ संयुक्त रूप से छठे स्थान पर (2776 ईएलओ) डी गुकेश भी हैं, जिन्होंने अपनी कम उम्र में ही ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल कर लिया था। यह तिकड़ी – प्रज्ञानानंद, एरिगैसी और गुकेश – भारतीय शतरंज का भविष्य हैं, और इनके बीच की प्रतिस्पर्धा ही इन्हें और निखार रही है।
  • विश्वनाथन आनंद: हमारे अपने `विशी` आनंद (Viswanathan Anand) अभी भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। 2743 ईएलओ अंकों के साथ 13वें स्थान पर होना, उनकी अद्भुत निरंतरता और खेल के प्रति समर्पण का प्रमाण है। जब नई पीढ़ी तेजी से आगे बढ़ रही हो, तब भी आनंद का शीर्ष 15 में बने रहना `पुरानी शराब` के स्वाद को दर्शाता है।
  • अरविंद चिदंबरम: 2723 ईएलओ अंकों के साथ 24वें स्थान पर अरविंद चिदंबरम का होना, भारतीय बेंच स्ट्रेंथ की गहराई को दर्शाता है।

महिला वर्ग में भी मजबूत उपस्थिति

दिव्या देशमुख के अलावा, भारतीय महिला शतरंज खिलाड़ियों ने भी अपनी उपस्थिति जोरदार तरीके से दर्ज कराई है। कोनेरू हम्पी (छठे स्थान पर, 2535 ईएलओ), हरिका द्रोणावल्ली (12वें स्थान पर, 2487 ईएलओ) और आर वैशाली (18वें स्थान पर, 2476 ईएलओ) ने क्लासिकल महिला वर्ग में शीर्ष 25 में जगह बनाई है। यह तिकड़ी, दिव्या के साथ मिलकर, महिला शतरंज में भारत की बढ़ती शक्ति का प्रतीक है।

रैपिड और ब्लिट्ज में भी चमक

सिर्फ क्लासिकल ही नहीं, रैपिड और ब्लिट्ज प्रारूपों में भी भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। विश्वनाथन आनंद, अर्जुन एरिगैसी, प्रज्ञानानंद और निहाल सरीन ने रैपिड ओपन वर्ग में अपनी जगह बनाई, जबकि ब्लिट्ज में भी अर्जुन, आनंद और प्रज्ञानानंद मौजूद रहे। महिला वर्ग में हम्पी, हरिका, वैशाली और दिव्या ने इन दोनों प्रारूपों में भी शीर्ष 25 में स्थान प्राप्त किया, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा का परिचायक है।

भारतीय शतरंज के लिए यह एक रोमांचक समय है। युवा ग्रैंडमास्टर तेजी से वैश्विक मंच पर पहचान बना रहे हैं, और अनुभवी खिलाड़ी अभी भी उन्हें कड़ी चुनौती दे रहे हैं। यह संतुलन ही भारत को शतरंज की दुनिया में एक `सुपरपावर` के रूप में स्थापित कर रहा है।

आगे की राह: भारत बनेगा शतरंज का गढ़?

यह रैंकिंग सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, बल्कि यह भारतीय शतरंज के सुनहरे भविष्य की कहानी कह रहे हैं। जिस तरह से छोटे शहरों से भी प्रतिभाएं निकलकर आ रही हैं और वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रही हैं, वह वाकई अद्भुत है। भारत में शतरंज को लेकर बढ़ती लोकप्रियता, बेहतर कोचिंग सुविधाएँ और युवा खिलाड़ियों को मिल रहा समर्थन इस खेल को एक नई ऊंचाई पर ले जा रहा है। क्या हम जल्द ही भारत को शतरंज का वैश्विक गढ़ बनते देखेंगे? इन रैंकिंग्स को देखकर तो यही लगता है कि यह सपना अब दूर नहीं!

शतरंज की बिसात पर भारत की यह चालें बहुत दमदार हैं, और दुनिया अब इन चालों को गंभीरता से ले रही है। हमें बस इंतजार करना है कि भारतीय तिरंगा कब शतरंज के शिखर पर लहराएगा, और ये युवा सितारे कब विश्व चैंपियन का ताज अपने सिर सजाएंगे।

प्रमोद विश्वनाथ

बेंगलुरु के वरिष्ठ खेल पत्रकार प्रमोद विश्वनाथ फुटबॉल और एथलेटिक्स के विशेषज्ञ हैं। आठ वर्षों के अनुभव ने उन्हें एक अनूठी शैली विकसित करने में मदद की है।

© 2025 वर्तमान क्रिकेट समाचारों का पोर्टल