शतरंज की बिसात पर भारत का दबदबा एक बार फिर नए आयाम छू रहा है। विश्व शतरंज महासंघ (फीडे) द्वारा जारी जुलाई 2025 की क्लासिकल रैंकिंग ने एक ऐसे ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनाया है, जिसकी चर्चा आने वाले कई दशकों तक होगी। चेन्नई के 18 वर्षीय विलक्षण खिलाड़ी आर प्रज्ञानानंद ने शतरंज के जादूगर और पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद को पीछे छोड़ते हुए भारत के नंबर 1 शतरंज खिलाड़ी का गौरवपूर्ण खिताब हासिल कर लिया है। यह केवल एक रैंकिंग बदलाव नहीं, बल्कि भारतीय शतरंज में एक नए युग की शुरुआत का संकेत है।
पीढ़ियों का संगम: जब अनुभव युवा जोश के सामने झुका
विश्वनाथन आनंद ने दशकों तक भारतीय शतरंज के शिखर पर अपनी बादशाहत कायम रखी। उनके नाम के साथ `नंबर 1` का तमगा लगभग एक पर्यायवाची बन चुका था। ऐसे में प्रज्ञानानंद का यह कारनामा किसी चमत्कार से कम नहीं, बल्कि अथक परिश्रम, अद्वितीय प्रतिभा और स्टील जैसी दृढ़ता का परिणाम है। यह कुछ ऐसा है जैसे क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर के बाद विराट कोहली का आना, लेकिन एक ही टीम में। आनंद ने युवा खिलाड़ियों को हमेशा प्रोत्साहित किया है, और शायद अब वे मुस्कुरा रहे होंगे, यह देखकर कि उनकी विरासत कितने सक्षम हाथों में है। यह युवा भारतीय प्रतिभाओं के लिए एक प्रेरणा है कि कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन से कोई भी शिखर तक पहुँच सकता है।
वैश्विक मंच पर भारतीय शतरंज की गड़गड़ाहट
प्रज्ञानानंद की यह उपलब्धि भारत के लिए गर्व का विषय है, और वह विश्व रैंकिंग में चौथे स्थान पर काबिज हैं। लेकिन कहानी सिर्फ उनकी नहीं है। भारतीय शतरंज एक `गोल्डन जनरेशन` के दौर से गुजर रहा है। टॉप 25 क्लासिकल ओपन रैंकिंग में भारत के पाँच खिलाड़ी शामिल हैं – यह अपने आप में एक असाधारण उपलब्धि है। प्रज्ञानानंद (2779) के बाद अर्जुन एरिगैसी (2776) और डी गुकेश (2776) क्रमशः पाँचवें और छठे स्थान पर हैं, जबकि विश्वनाथन आनंद (2743) 13वें और अरविंद चिदंबरम (2724) 24वें स्थान पर हैं। यह दिखाता है कि भारतीय शतरंज केवल एक चमकते सितारे पर निर्भर नहीं है, बल्कि एक मजबूत नींव और कई उज्ज्वल भविष्य के ध्रुव तारों से लैस है।
तेज और बिजली की गति: रैपिड और ब्लिट्ज में भी धाक
क्लासिकल शतरंज के अलावा, रैपिड और ब्लिट्ज प्रारूपों में भी भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी छाप छोड़ी है। रैपिड ओपन में विश्वनाथन आनंद (11वें) और अर्जुन एरिगैसी (16वें) अपनी तेज सोच और रणनीति के साथ जमे हुए हैं, वहीं निहाल सरीन (25वें) भी इस सूची में शामिल हैं। ब्लिट्ज में अर्जुन एरिगैसी (13वें) और आर प्रज्ञानानंद (17वें) अपनी बिजली-सी चालों से विरोधियों को चौंका रहे हैं, जबकि आनंद (18वें) भी इस रोमांचक प्रारूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
शतरंज की `रानियाँ`: महिला शक्ति का भी बोलबाला
भारतीय महिला शतरंज खिलाड़ियों ने भी वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति दमदार तरीके से दर्ज कराई है। क्लासिकल महिला रैंकिंग में कोनेरू हम्पी (5वें) लगातार शीर्ष पर बनी हुई हैं, और उनके साथ हारिका द्रोणावल्ली (12वें), आर वैशाली (15वें) और युवा सनसनी दिव्या देशमुख (18वें) भी शीर्ष 25 में शामिल हैं। यह महिला शक्ति का शानदार प्रदर्शन है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। रैपिड और ब्लिट्ज प्रारूपों में भी हम्पी, हारिका, वैशाली और दिव्या ने अपना स्थान बनाया है, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है।
विश्व पटल पर शतरंज का महानायक
हालांकि भारतीय सितारे चमक रहे हैं, विश्व के नंबर 1 की बात करें तो नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन अभी भी क्लासिकल, रैपिड और ब्लिट्ज तीनों ओपन श्रेणियों में निर्विवाद रूप से शीर्ष पर बने हुए हैं। उनकी निरंतरता और अद्वितीय कौशल उन्हें शतरंज की दुनिया का वर्तमान महानायक बनाता है। महिला वर्ग में चीन की हाउ यिफान और जू वेंजन का दबदबा कायम है, जो दिखाता है कि शतरंज की दुनिया में प्रतिस्पर्धा कितनी तीव्र है।
आगे की राह: भारतीय शतरंज का सुनहरा भविष्य
प्रज्ञानानंद का भारत के नंबर 1 खिलाड़ी बनना केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक गौरव का क्षण है। यह दर्शाता है कि भारत में शतरंज की प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। सही प्रशिक्षण, समर्थन और अवसर मिलने पर ये युवा खिलाड़ी विश्व मंच पर भारत का नाम और भी ऊँचा कर सकते हैं। भारतीय शतरंज अब केवल एक खेल नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय जुनून बनता जा रहा है, और यह रोमांचक यात्रा अभी तो बस शुरू हुई है। उम्मीद है कि आने वाले समय में हमें और भी कई ऐसे ही सुखद आश्चर्य देखने को मिलेंगे।