स्विट्जरलैंड में चल रहा प्रतिष्ठित बिएल शतरंज महोत्सव अब अपने निर्णायक चरण में पहुँच चुका है। जीएमटी-मास्टर्स टूर्नामेंट में हर चाल के साथ बदलता समीकरण, उम्मीदों और निराशाओं का खेल, रोमांच को सातवें आसमान पर ले जा रहा है। भारतीय ग्रैंडमास्टर अराविनध चिदंबरम ने जिस तरह से वापसी की है, वह किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है।
राउंड 7 का नाटकीय मोड़: जब उम्मीदें बदलीं!
टूर्नामेंट के सातवें राउंड से पहले, शीर्ष पर बैठे खिलाड़ियों के बीच समीकरण साफ दिख रहा था: फेडोसेव और सलेम, अराविनध से डेढ़ अंक आगे थे। लेकिन, शतरंज के इस युद्ध में, जहाँ हर मोहरा मायने रखता है, बड़े-बड़े नाम भी अपनी रणनीति से फिसलते नज़र आए।
सबसे पहले, भारतीय ग्रैंडमास्टर अराविनध चिदंबरम ने एक बेहतरीन खेल का प्रदर्शन करते हुए सह-अग्रणी सलेम को मात्र 28 चालों में मात दे दी। यह जीत अराविनध के लिए संजीवनी बूटी साबित हुई, और उन्होंने खुद को दौड़ में सबसे आगे खड़ा कर लिया। जिस सहजता से उन्होंने सलेम को हराया, वह उनकी मानसिक दृढ़ता और शतरंज की गहरी समझ का प्रमाण है।
दूसरी तरफ, एक और सह-अग्रणी, व्लादिमीर फेडोसेव, वोलोदर मुर्ज़िन के खिलाफ साढ़े पाँच घंटे से अधिक समय तक चले मैराथन मैच में उलझे रहे। फेडोसेव के पास मिडिलगेम में स्पष्ट फायदे थे, लेकिन वे उन्हें भुनाने में नाकाम रहे। रानी के आदान-प्रदान के बाद, वे खुद बचाव की स्थिति में आ गए। टाइम-प्रेशर में मुर्ज़िन ने सटीक चालें चलीं और फेडोसेव को दो प्यादों के नुकसान के साथ हार माननी पड़ी। यह परिणाम साबित करता है कि शतरंज सिर्फ रणनीति का खेल नहीं, बल्कि धैर्य और दबाव में प्रदर्शन करने की क्षमता का भी है।
फाइनल राउंड का रोमांचक समीकरण
इन नाटकीय परिणामों के बाद, टूर्नामेंट का निर्णायक दौर और भी दिलचस्प हो गया है। अराविनध चिदंबरम अब 27 अंकों के साथ शीर्ष पर हैं, और टूर्नामेंट जीतने की अपनी महत्वाकांक्षा को स्पष्ट रूप से दर्शा रहे हैं।
अंतिम दौर में, फेडोसेव और सलेम एक-दूसरे के खिलाफ खेलेंगे। इन दोनों को पता है कि अगर उन्हें बिएल फेस्टिवल का विजेता बनना है, तो उन्हें हर हाल में यह मैच जीतना होगा। लेकिन अगर उनमें से कोई एक जीतता है, तो अराविनध पर दबाव बढ़ जाएगा। उन्हें मुर्ज़िन के खिलाफ काले मोहरों से अपना खेल जीतना ही होगा। एक ड्रॉ भी उनके लिए पर्याप्त नहीं होगा, क्योंकि इस स्थिति में, टाई-ब्रेक के नियमों के अनुसार, फेडोसेव या सलेम (जो भी जीतेगा) उन्हें पछाड़ सकते हैं।
और यहीं पर शतरंज का पेचीदा नियम टाई-ब्रेक अपनी भूमिका निभाता है। इस मामले में, टाई-ब्रेक का आधार एक्सेन्टस चेस960 टूर्नामेंट के परिणाम होंगे, जिसमें फेडोसेव और सलेम दोनों ने अराविनध से बेहतर प्रदर्शन किया था। यह अपने आप में एक अनोखी स्थिति है, जहाँ क्लासिकल शतरंज के परिणाम भी एक ऐसे फॉर्मेट पर निर्भर हो सकते हैं, जिसकी लोकप्रियता शायद उतनी न हो!
कौन बनेगा बिएल का चैंपियन?
सभी निगाहें अंतिम राउंड पर टिकी हैं। क्या अराविनध चिदंबरम अपनी बढ़त बनाए रख पाएंगे और भारत के लिए एक और गौरवपूर्ण पल हासिल करेंगे? या फेडोसेव और सलेम अपनी पूरी ताकत लगाकर वापसी करेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन दबाव को झेलकर चैंपियन बनता है। शतरंज प्रेमियों के लिए यह एक ऐसा फाइनल है, जिसे मिस नहीं किया जा सकता!
बिएल जीएमटी-मास्टर्स टूर्नामेंट में अब बस एक कदम बाकी है। कौन बाजी मारेगा, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इतना तय है कि यह टूर्नामेंट इतिहास के पन्नों में अपनी नाटकीयता के लिए याद रखा जाएगा।