वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे टेस्ट से पहले, भारतीय क्रिकेट टीम के सहायक कोच रयान टेन डोशेट ने टीम की रणनीति का खुलासा किया है। यह सिर्फ एक मैच जीतने की बात नहीं, बल्कि भविष्य के लिए खिलाड़ियों को गढ़ने की एक सुनियोजित प्रक्रिया है। दिल्ली की सूखी और पैची पिच के बावजूद, टीम संयोजन में बदलाव की संभावना कम है, और इसका कारण है – एक दूरदृष्टि जिसे `युवा प्रतिभा विकास` कहा जाता है।
ऑलराउंडर की तलाश: नीतीश और फिटनेस का पेंच
भारतीय क्रिकेट टीम को अक्सर विदेशी दौरों पर एक ऐसे तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर की कमी खलती रही है, जो टीम को सही संतुलन दे सके। इसी जरूरत को पूरा करने के लिए नीतीश पर दांव लगाया जा रहा है। अहमदाबाद में तेज गेंदबाजों के अनुकूल पिच के लिए चुने गए संयोजन को दिल्ली में भी बरकरार रखने का फैसला, भले ही दिल्ली की पिच तेज गेंदबाजों के लिए मददगार न हो, एक रणनीति का हिस्सा है। कोच डोशेट कहते हैं, “हमें पिछले हफ्ते नीतीश को ज्यादा देखने का मौका नहीं मिला। इसलिए, यह उन्हें एक और मौका देने और टीम के संतुलन को न बिगाड़ने का एक बहुत अच्छा अवसर है।”
यह बात थोड़ी विडंबनापूर्ण लगती है कि एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर को ऐसी पिच पर मौका दिया जा रहा है, जो तेज गेंदबाजी के लिए उपयुक्त नहीं है। लेकिन यह दर्शाता है कि टीम प्रबंधन सिर्फ तात्कालिक परिणामों से परे देख रहा है। वे नीतीश को निखारने के लिए `खेल का समय` देना चाहते हैं, भले ही हालात आदर्श न हों।
हार्दिक पांड्या की परछाई और शारीरिक चुनौतियां
नीतीश को एक शानदार तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर और बल्लेबाज के रूप में देखा जाता है। हालांकि, उनकी क्षमता की सबसे बड़ी बाधा उनका शरीर हो सकता है। डोशेट सीधे शब्दों में कहते हैं, “वह इस देश में देखे गए पहले ऑलराउंडर नहीं हैं, जिन पर यह बात लागू होती है। हार्दिक पांड्या भी इसी तरह के खिलाड़ी हैं, जिनकी क्षमताओं पर हमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन उनके शरीर का टेस्ट क्रिकेट की कठोरता को झेल पाना एक अलग मामला है।” यह एक गंभीर तकनीकी चुनौती है, जहां कौशल और प्रतिभा तो अपार है, लेकिन शरीर की सहनशीलता ही असली परीक्षा है। नीतीश ने ऑस्ट्रेलिया में अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाया है, अब उन्हें अपनी गेंदबाजी को भी निखारना होगा, खासकर विदेशी सीरीज के बीच में पर्याप्त खेल का समय प्राप्त करके।
बल्लेबाजी क्रम में लचीलापन और कड़ी प्रतिस्पर्धा
नीतीश को नंबर 8 पर बल्लेबाजी कराने के फैसले पर काफी बहस हुई है। लेकिन डोशेट का मानना है कि इससे टीम में लचीलापन और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा आती है। “हमारे लिए यह सौभाग्य की बात है कि वाशी (वाशिंगटन सुंदर), जड्डू (रवींद्र जडेजा) और अक्षर (अक्षर पटेल) लगभग एक जैसे खिलाड़ी हैं, जो नंबर 5 से 8 तक कहीं भी बल्लेबाजी कर सकते हैं,” वे कहते हैं। हालिया प्रदर्शन में, यूके में वाशी के रन और पिछले छह महीनों में जड्डू का जबरदस्त फॉर्म, इन सभी खिलाड़ियों की बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है। जब नीतीश चोट के बाद टीम में लौटे, तो उन्हें सूची में पीछे धकेल दिया गया, और यही कारण है कि उन्होंने नंबर 8 पर बल्लेबाजी की।
यह उन खिलाड़ियों के लिए एक मजबूत संदेश भी है जो इन स्थानों के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं: आपको बहुमुखी होना होगा। आपको 5 से 8 तक कहीं भी बल्लेबाजी करने में सक्षम होना होगा। यह खिलाड़ियों को बेहतर बनाने का एक तरीका है, कि वे विभिन्न परिदृश्यों और विभिन्न स्थितियों में प्रदर्शन कर सकें।
साई सुदर्शन का संघर्ष: नंबर तीन की जिम्मेदारी
भारतीय टीम के शीर्ष क्रम में एक और युवा चेहरा, साई सुदर्शन, अपने टेस्ट करियर की मिली-जुली शुरुआत के बावजूद प्रबंधन का समर्थन प्राप्त कर रहे हैं। इंग्लैंड दौरे पर नंबर 3 पर शुरुआत करने के बाद, उन्होंने अपनी जगह करुण नायर को गंवा दी थी, लेकिन अंतिम टेस्ट के लिए इसे वापस हासिल कर लिया। अब उन्हें इस स्थान को अपना बनाने का एक और मौका मिला है।
डोशेट ने साई के बारे में कहा, “वह इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि इस माहौल में आपको अपनी जगह के लिए लड़ना पड़ता है। करुण नायर को इंग्लैंड में चार टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला था। बहुत सारे अच्छे खिलाड़ी हैं जो उस जगह पर कब्जा करने वाले के पीछे पड़े हैं।” यह भारतीय क्रिकेट की कड़वी सच्चाई है – यहां हर स्थान के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा है। प्रबंधन साई में बहुत विश्वास रखता है, लेकिन उन्हें मैदान पर रन बनाकर अपनी क्षमता साबित करनी होगी।
अव्यवस्थित कार्यक्रम और मानसिक दृढ़ता
टेस्ट क्रिकेट का मौजूदा `स्टार्ट-स्टॉप` कार्यक्रम युवा खिलाड़ियों के लिए लय हासिल करना मुश्किल बना देता है। डोशेट इस पर प्रकाश डालते हैं, “यह मदद नहीं करता कि आपके पास यूके में पांच टेस्ट मैच हैं और फिर आप अगला टेस्ट मैच खेलने के लिए छह सप्ताह इंतजार करते हैं। अगले हफ्ते इस टेस्ट के बाद भी ऐसा ही हो रहा है, हमारे पास साढ़े तीन सप्ताह तक कोई टेस्ट मैच नहीं है।” यह आधुनिक क्रिकेट की प्रकृति है, और खिलाड़ियों को इस चुनौती से पार पाना सीखना होगा। साई को कप्तान और कोचिंग स्टाफ का पूरा समर्थन प्राप्त है, और उनसे जल्द ही अपने वादे पूरे करने की उम्मीद है।
भारतीय क्रिकेट में प्रतिस्पर्धा का शाश्वत नियम
ध्रुव जुरेल का उदय, जिन्होंने पहले टेस्ट में शतक लगाकर प्रभावित किया, मध्य क्रम में प्रतिस्पर्धा को और बढ़ा देता है। ऋषभ पंत की वापसी से यह मुकाबला और भी कड़ा हो जाएगा। डोशेट कहते हैं, “मुझे लगता है कि ध्रुव जुरेल ने पिछले हफ्ते अच्छा खेला है, जैसा कि हम हमेशा से जानते थे। इसके अलावा, अन्य अच्छे खिलाड़ी भी हैं जो शीर्ष तीन या शीर्ष चार स्थानों के लिए लड़ रहे हैं।”
यह प्रतिस्पर्धा भारतीय क्रिकेट का एक अभिन्न अंग है। “मुझे नहीं लगता कि आप भारत में क्रिकेट खेलने के करियर को तब तक आगे बढ़ा सकते हैं जब तक आप इस तरह की प्रतिस्पर्धा और लोगों व मीडिया के दबाव की उम्मीद न करें,” डोशेट कहते हैं। यह इस खेल का एक अनिवार्य हिस्सा है, और साई जैसे खिलाड़ियों को इससे निपटने के लिए मजबूत होना होगा। उन्हें बस मैदान पर जाकर वो रन बनाने होंगे जिसके वे हकदार हैं। भारतीय क्रिकेट हमेशा से ही प्रतिभाओं का गढ़ रहा है, और यह लगातार बढ़ता दबाव ही इस खेल को इतना रोमांचक और अप्रत्याशित बनाता है।