दिल्ली टेस्ट में युवा भारत का दबदबा: जायसवाल और सुदर्शन ने वेस्टइंडीज को किया हैरान

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अक्टूबर 2025: फिरोज शाह कोटला के मैदान पर एक नई कहानी की शुरुआत

पहला दिन, पहला प्रहार: भारत की शानदार शुरुआत

दिल्ली के प्रतिष्ठित फिरोज शाह कोटला मैदान पर, भारत और वेस्टइंडीज के बीच दूसरे टेस्ट मैच के पहले दिन की समाप्ति एक ऐसे नजारे के साथ हुई, जिसने भारतीय क्रिकेट के भविष्य की एक और शानदार झलक पेश की। भारतीय कप्तान शुभमन गिल ने अपने सात प्रयासों में पहली बार टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। शायद उन्हें यह नहीं पता था कि उनके युवा खिलाड़ी कैरेबियाई गेंदबाजों पर किस कदर कहर बरपाने वाले हैं। दिन का खेल खत्म होने तक, भारत ने सिर्फ दो विकेट खोकर 318 रन का विशाल स्कोर खड़ा कर लिया था, और इस दबदबे के पीछे थे यशस्वी जायसवाल और साई सुदर्शन की लाजवाब पारियाँ। पिच धीमी थी, उम्मीद के मुताबिक, लेकिन भारतीय बल्लेबाजों के इरादे तेज थे।

यशस्वी जायसवाल: शतक नहीं, इतिहास का शतक!

मैच का मुख्य आकर्षण निस्संदेह यशस्वी जायसवाल रहे, जो दिन के अंत तक 173 रनों पर नाबाद लौटे। यह सिर्फ एक शतक नहीं था, बल्कि टेस्ट क्रिकेट में उनकी सातवीं सेंचुरी थी, और 24 साल से कम उम्र के सलामी बल्लेबाज के तौर पर यह उन्हें ग्रीम स्मिथ के साथ सबसे अधिक शतकों के मामले में शीर्ष पर ला खड़ा करती है। भारतीय बल्लेबाजों में, केवल महान सचिन तेंदुलकर ने 24 साल की उम्र से पहले उनसे अधिक शतक बनाए थे, जो जायसवाल के असाधारण टैलेंट को दर्शाता है। और तो और, यह पाँचवीं बार था जब जायसवाल ने अपने सात शतकों में से 150 का आंकड़ा पार किया – डॉन ब्रैडमैन के बाद 24 साल से कम उम्र में इतने 150+ स्कोर बनाने वाले वह विश्व के एकमात्र बल्लेबाज हैं। ये आँकड़े सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि एक युवा प्रतिभा के असाधारण कौशल, धैर्य और रनों की भूख की कहानी कहते हैं।

जायसवाल ने दिल्ली की धीमी पिच पर अपनी बल्लेबाजी का शानदार प्रदर्शन किया। पहले घंटे में उन्होंने बहुत सतर्कता बरती, मानो परिस्थितियों और गेंदबाजों को परख रहे हों। फिर वेस्टइंडीज के गेंदबाजों की ढीली गेंदों का पूरा फायदा उठाया, और जब वे वापसी करने लगे, तो फिर से अपनी पकड़ मजबूत कर ली। ऐसा लग रहा था मानो वह शतरंज खेल रहे हों, जहां हर चाल सोच-समझकर चली जाती है। वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों ने उन्हें जो ‘हाफ-वॉली’ और ‘शॉर्ट-बॉल’ का ‘बुफे’ परोसा, उन्होंने उसे ‘बाउंड्री’ में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सच कहूँ तो, कुछ मौकों पर वेस्टइंडीज की गेंदबाजी इतनी मेहमाननवाज़ लग रही थी कि जायसवाल को अपना शतक पूरा करने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी!

साई सुदर्शन: नंबर 3 की तलाश का अंत?

जायसवाल के साथ दूसरे बड़े नायक साई सुदर्शन रहे, जिन्होंने नंबर 3 पर बल्लेबाजी करते हुए 87 रनों की शानदार पारी खेली। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 40 से कम के औसत के साथ टेस्ट टीम में जगह बनाने वाले सुदर्शन पर निश्चित रूप से थोड़ा दबाव था, लेकिन उन्होंने इसे बेहतरीन तरीके से संभाला। राहुल के 38 रन पर आउट होने के बाद, सुदर्शन ने जायसवाल के साथ मिलकर 197 रनों की एक महत्वपूर्ण साझेदारी की, जिसने भारत को मैच में मजबूत स्थिति में ला दिया।

सुदर्शन की पारी लगभग त्रुटिहीन थी। 58 के स्कोर पर उन्हें एक जीवनदान मिला, लेकिन अंततः वह वेस्टइंडीज के बाएं हाथ के स्पिनर जोमेल वारिकन की एक शानदार गेंद पर आउट हुए, जिसने उम्मीद से कहीं ज्यादा टर्न लिया। यह वारिकन की दिन की दूसरी सफलता थी, जिन्होंने केएल राहुल को भी हवा में मात देकर स्टंप आउट किया था। सुदर्शन का आउट होना दिन की तीसरी सबसे बड़ी घटना थी, पहली जायसवाल का शतक और दूसरी भारत की मजबूत स्थिति।

वेस्टइंडीज का संघर्ष: अनुशासन बनाम पैठ

वेस्टइंडीज के गेंदबाजों ने पूरे दिन अनुशासित प्रदर्शन किया, जिसका प्रमाण यह है कि उन्होंने कोई अतिरिक्त रन नहीं दिया। यह अपने आप में सराहनीय था। हालांकि, दिल्ली की धीमी और बेजान पिच पर, उनकी गेंदबाजी में वह पैठ नहीं दिखी जो भारतीय बल्लेबाजों को लगातार परेशान कर सके। पहले और अंतिम सत्र में जहां उन्होंने कुछ हद तक कसी हुई गेंदबाजी की, वहीं मध्य सत्र में उन्होंने 126 रन लुटा दिए और कोई विकेट नहीं ले पाए। यह वही सत्र था जहां भारत ने मैच पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली और वेस्टइंडीज के हाथ से नियंत्रण पूरी तरह फिसलता चला गया।

जोमेल वारिकन ने निश्चित रूप से प्रभावित किया, अपनी स्पिन से दो महत्वपूर्ण विकेट लेकर। उनकी गेंदें कभी-कभी चौंकाने वाला टर्न ले रही थीं, जिससे भारतीय बल्लेबाजों को संभलकर खेलना पड़ा। लेकिन बाकी गेंदबाजों को जायसवाल और सुदर्शन के सामने जूझते देखा गया। तेज गेंदबाज जयडेन सील्स ने लंच के बाद के पहले ओवर में जायसवाल को कई ढीली गेंदें फेंकी, जिसने उन्हें अपना हाथ खोलने का मौका दिया। यह एक तरह से, वेस्टइंडीज की गेंदबाजी रणनीति पर एक सवालिया निशान छोड़ गया, “क्या इतनी ढीली गेंदबाजी का यह सही समय था, जब प्रतिद्वंद्वी टीम पहले से ही हावी स्थिति में थी?”

भविष्य की ओर: भारत का मजबूत इरादा

दिन का खेल समाप्त होने तक, जायसवाल के साथ कप्तान शुभमन गिल क्रीज पर थे। वेस्टइंडीज ने अंतिम सत्र में कुछ हद तक दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन भारतीय बल्लेबाज दृढ़ रहे। जायसवाल ने दिन के अंत से पहले कुछ और तेजी से रन बनाए, यह दर्शाता है कि उनकी रनों की भूख अभी मिटी नहीं थी। 87वें और 88वें ओवर में 17 रन बटोरना उनकी आक्रमण शैली का प्रमाण था, एक संकेत कि वह अगले दिन और भी बड़ी पारी खेलने के लिए तैयार हैं।

कुल मिलाकर, यह भारत के लिए एक शानदार दिन था, जिसने अपनी युवा बल्लेबाजी प्रतिभा के दम पर वेस्टइंडीज पर शुरुआती बढ़त बना ली। दिल्ली के इस मैदान पर भारत ने पिछले 38 सालों से कोई टेस्ट मैच नहीं हारा है, और इस शानदार प्रदर्शन के बाद यह रिकॉर्ड जारी रहने की संभावना और भी बढ़ गई है। क्रिकेट प्रेमियों को आने वाले दिनों में और भी रोमांचक खेल की उम्मीद है, लेकिन एक बात तो तय है: भारतीय क्रिकेट का युवा ब्रिगेड तैयार है, और वह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए बेताब है। वेस्टइंडीज को अगर वापसी करनी है, तो उन्हें अपनी रणनीति में कुछ गंभीर बदलाव करने होंगे, क्योंकि फिलहाल तो वे दिल्ली की तपिश में केवल दर्शक बन कर रह गए हैं।

आदित्य चंद्रमोहन

मुंबई में निवास करने वाले आदित्य चंद्रमोहन खेल पत्रकारिता में बारह वर्षों से सक्रिय हैं। क्रिकेट और कबड्डी की दुनिया में उनकी गहरी समझ है। वे खेल के सूक्ष्म पहलुओं को समझने और उन्हें सरल भाषा में प्रस्तुत करने में माहिर हैं।

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