डरहम के पतन से हैंपशायर को मिली नई ज़िंदगी: एक नाटकीय काउंटी चैंपियनशिप की कहानी

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इंग्लिश काउंटी क्रिकेट में अक्सर ऐसे पल आते हैं, जो क्रिकेट प्रेमियों को दांतों तले उंगलियां दबाने पर मजबूर कर देते हैं। लेकिन 2025 की काउंटी चैंपियनशिप डिवीजन वन का अंतिम मैच एक ऐसी कहानी लिख गया, जिसे हैंपशायर के प्रशंसक शायद ही कभी भुला पाएंगे। जब सब कुछ खत्म लग रहा था, तब किस्मत ने एक ऐसा पासा पलटा कि रेलीगेशन के दलदल में धंस चुकी इस टीम को एक नया जीवन मिल गया। जी हाँ, सरे से मिली हार के बावजूद, एक अप्रत्याशित घटनाक्रम ने हैंपशायर को डिवीजन वन में बने रहने का सुनहरा मौका दे दिया, और इस पूरी कहानी का नायक या यूँ कहें कि खलनायक, कोई और नहीं बल्कि डरहम की टीम थी।

Rahul Chahar bowls on Surrey debut, Hampshire vs Surrey, County Championship, Utilita Bowl, September 24, 2025
राहुल चाहर ने अपने डेब्यू पर 10 विकेट लेकर धूम मचा दी।

सरे से हार, पर किस्मत की मेहरबानी

अंतिम दिन का खेल शुरू हुआ। हैंपशायर को जीत के लिए 33 रन और चाहिए थे, और उनके पास सिर्फ एक विकेट बचा था। यह लक्ष्य असंभव तो नहीं था, लेकिन सरे के भारतीय स्पिनर राहुल चाहर जिस फॉर्म में थे, उसे देखते हुए यह पहाड़ जैसा लग रहा था। चाहर ने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 8 विकेट (एक पारी में 51 रन देकर) झटके, और मैच में कुल 10 विकेट लिए। उनके इस धमाकेदार प्रदर्शन की बदौलत सरे ने हैंपशायर को 20 रनों से हरा दिया।

मैच का यह नतीजा आते ही हैंपशायर के खेमे में मायूसी छा गई। उन्हें लगा कि उनका रेलीगेशन अब तय है। उनके खिलाड़ियों और प्रशंसकों को लगा कि एक भयानक सितंबर महीने का अंत और भी दुखद होने वाला है, जिसमें उन्हें पिच नियमों के उल्लंघन के लिए 8 अंकों की पेनल्टी मिली थी, दो पुरुष और एक महिला फाइनल गंवाए थे, और उनके लोकप्रिय कोच आदि बिररेल ने भी क्लब छोड़ने का फैसला किया था।

मैच का संक्षिप्त सार:

सरे 147 (वॉशिंगटन 3-5, एबट 3-27, फुलर 3-46) और 281 (अल्बर्ट 63, एबट 5-72) ने हैंपशायर 248 (वॉशिंगटन 56) और 160 (ओर्र 48, चाहर 8-51) को 20 रनों से हराया।

और फिर आया वह नाटकीय मोड़…

हैंपशायर की हार के कुछ ही क्षणों बाद, क्रिकेट जगत में एक और खबर ने तूफान ला दिया। लीड्स के हेडिंग्ले में चल रहे मैच में, डरहम की टीम यॉर्कशायर के खिलाफ बुरी तरह से लड़खड़ा गई। उन्हें डिवीजन वन में बने रहने के लिए सिर्फ एक ड्रॉ की जरूरत थी, लेकिन वे मात्र 85 रनों पर ढेर हो गए और मैच हार गए। यह एक अविश्वसनीय पतन था, जिसने सीधे तौर पर हैंपशायर को रेलीगेशन से बचा लिया!

यह सब कुछ इतना नाटकीय और अप्रत्याशित था कि हैंपशायर के खिलाड़ी और स्टाफ स्तब्ध रह गए। जो कुछ देर पहले एक दुखद अंत लग रहा था, वह अचानक एक चमत्कारी बचाव में बदल गया। डरहम अब वॉर्सेस्टरशायर के साथ अगले सीजन में डिवीजन टू में खेलेगा, और हैंपशायर ने `असंभव` को संभव कर दिखाया।

नियति का अजीब खेल: डरहम, एक बार फिर!

यहाँ एक दिलचस्प विडंबना भी है। 2016 में भी हैंपशायर को रेलीगेशन से बचाया गया था, और तब भी इसका कारण डरहम ही था। उस समय डरहम को वित्तीय समस्याओं के कारण डिवीजन वन से हटा दिया गया था, जिससे हैंपशायर को ऊपरी डिवीजन में बने रहने का मौका मिल गया था। नियति का यह अजीब खेल देखिए, कि लगभग एक दशक बाद, डरहम ही एक बार फिर अप्रत्यक्ष रूप से हैंपशायर के उद्धारकर्ता बन गए। इसे आप किस्मत कहिए या क्रिकेट का रोमांच, लेकिन ऐसा लगता है कि डरहम को हैंपशायर को बचाने की आदत सी हो गई है!

कप्तान की प्रतिक्रिया और भविष्य की उम्मीदें

हैंपशायर के कप्तान बेन ब्राउन, जिन्होंने जेम्स विंस के रेड-बॉल क्रिकेट से हटने के बाद अचानक से चार दिवसीय कप्तानी संभाली थी, ने इसे “एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण वर्ष” बताया। उन्होंने पिच नियमों के उल्लंघन के लिए 8 अंकों की कटौती को “अन्यायपूर्ण” भी करार दिया।

“यह वास्तव में एक चुनौतीपूर्ण वर्ष रहा है, मैदान के बाहर भी और मैदान पर भी,” ब्राउन ने कहा। “बहुत कुछ संभालना पड़ा। फिर विकेट पर अंकों की कटौती हुई, जिसके बारे में मैं कहूँगा कि यह अन्यायपूर्ण था। एक खिलाड़ी के तौर पर मुझे इससे निपटना मुश्किल लगता है। पेशेवर खेल में लोग कड़ी मेहनत करते हैं और किसी को घास के सही या गलत होने का फैसला करने देना खेल नहीं है।”

उनकी यह बात पूरी तरह से जायज लगती है। खेल मैदान पर होना चाहिए, न कि कागजों पर। हालांकि, इस नाटकीय बचाव ने टीम को राहत की सांस दी है। अब उनके पास अगले सीजन में बेहतर प्रदर्शन करने का एक और मौका है। हेड कोच आदि बिररेल की विदाई के साथ, टीम एक नए अध्याय की शुरुआत करेगी, उम्मीद है कि यह अध्याय कम नाटकीय और अधिक सफल होगा।

इस प्रकार, काउंटी चैंपियनशिप 2025 का समापन एक ऐसी कहानी के साथ हुआ, जिसे क्रिकेट इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। हैंपशायर ने हार कर भी जीत हासिल की, और यह साबित कर दिया कि क्रिकेट के खेल में कभी भी कुछ भी हो सकता है, जब तक आखिरी गेंद न फेंक दी जाए!

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आदित्य चंद्रमोहन

मुंबई में निवास करने वाले आदित्य चंद्रमोहन खेल पत्रकारिता में बारह वर्षों से सक्रिय हैं। क्रिकेट और कबड्डी की दुनिया में उनकी गहरी समझ है। वे खेल के सूक्ष्म पहलुओं को समझने और उन्हें सरल भाषा में प्रस्तुत करने में माहिर हैं।

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