DRS ड्रामा: जब युवा ध्रुव जुरेल की पैनी निगाहों ने बदली अहमदाबाद टेस्ट की तस्वीर

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क्रिकेट के मैदान पर अक्सर कुछ ऐसे पल आते हैं जो खेल का रुख बदल देते हैं, और कभी-कभी ये पल किसी युवा खिलाड़ी की अविश्वसनीय सूझबूझ का नतीजा होते हैं। अहमदाबाद में चल रहे भारत बनाम वेस्टइंडीज पहले टेस्ट मैच के पहले दिन ऐसा ही एक रोमांचक वाकया देखने को मिला, जिसने भारतीय टीम को एक अहम बढ़त दिलाई। यह कहानी है युवा विकेटकीपर ध्रुव जुरेल की, जिनकी DRS (Decision Review System) मास्टरक्लास ने न सिर्फ एक महत्वपूर्ण विकेट हासिल किया, बल्कि कप्तान शुभमन गिल को भी अपनी क्षमता का लोहा मनवाया।

एक पेचीदा फैसला और युवा विकेटकीपर का विश्वास

मैच के पहले दिन, वेस्टइंडीज की पारी के सातवें ओवर में, जब जसप्रीत बुमराह अपनी शानदार लय में गेंदबाजी कर रहे थे, उन्होंने ओपनर जॉन कैंपबेल को एक बेहतरीन गुड-लेंथ डिलीवरी फेंकी। कैंपबेल ने शॉट खेलने का प्रयास किया, लेकिन गेंद उनके बल्ले के पास से गुजरते हुए पैड्स के करीब से निकली। भारतीय खिलाड़ियों ने जोरदार अपील की, कुछ तो विकेट का जश्न मनाने भी लगे, लेकिन ऑन-फील्ड अंपायर ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और आउट का इशारा नहीं किया। बल्ले और पैड्स की निकटता को देखते हुए अंपायर का यह फैसला समझा जा सकता था, क्योंकि कई बार ऐसा भ्रम हो जाता है कि आवाज बल्ले से आई या पैड्स से।

लेकिन यहीं पर ध्रुव जुरेल की पैनी निगाहें और उनका विश्वास काम आया। बाकी खिलाड़ी जहां दुविधा में थे, जुरेल पूरी तरह आश्वस्त थे कि गेंद ने बल्ले का किनारा लिया था। उन्होंने तुरंत कप्तान शुभमन गिल से DRS लेने का आग्रह किया। गिल, जो शायद पहली बार इतने बड़े मंच पर कप्तान के रूप में इस तरह के फैसले का सामना कर रहे थे, शुरू में थोड़ा हिचकिचाए। यह समझा जा सकता है; एक गलत DRS रिव्यू टीम के लिए महंगा साबित हो सकता है।

“ज़ोर से आवाज़ आया है!”: जुरेल का निर्णायक आग्रह

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में जुरेल को गिल से कहते हुए सुना गया, “ज़ोर से आवाज़ आया है!”। यह सिर्फ एक वाक्य नहीं था, यह एक युवा खिलाड़ी का अपने अंतर्ज्ञान और स्थिति को पढ़ने की क्षमता पर अटूट विश्वास था। जुरेल की यह स्पष्टता और आत्मविश्वास ही था जिसने शुभमन गिल को अंततः अंपायर के फैसले को चुनौती देने के लिए प्रेरित किया। क्रिकेट में अक्सर कहा जाता है कि विकेटकीपर `खेल के सबसे अच्छे जज` होते हैं, और जुरेल ने उस दिन इस बात को पूरी तरह से साबित कर दिया।

DRS का रहस्य और विजयी आलिंगन

DRS का निर्णय लिया गया, और मैदान पर सभी की निगाहें बड़ी स्क्रीन पर टिक गईं। पहला रीप्ले अस्पष्ट था, जिससे कुछ पल के लिए संदेह गहराया। लेकिन तीसरे अंपायर ने बारीकी से पड़ताल की। अल्ट्रा-एज तकनीक ने साफ दिखाया कि गेंद ने दो बार स्पाइक (आवाज) दर्ज की थी – एक बल्ले के पैड से टकराने की और दूसरी गेंद के बल्ले के बाहरी किनारे को चूमने की। यह बिल्कुल स्पष्ट था। तीसरा स्पाइक, जो बल्ले और गेंद के संपर्क का था, निर्णायक साबित हुआ।

जैसे ही बड़ी स्क्रीन पर `आउट` का संकेत चमका, अहमदाबाद का स्टेडियम भारतीय समर्थकों की खुशी से गूंज उठा। जॉन कैंपबेल को पवेलियन लौटना पड़ा, और एक राहत भरी मुस्कान के साथ शुभमन गिल ने तुरंत ध्रुव जुरेल को गले लगा लिया। यह केवल एक विकेट की खुशी नहीं थी, यह युवा कप्तान का अपने युवा विकेटकीपर पर विश्वास दिखाने और उस विश्वास के सही साबित होने की खुशी थी। यह पल युवा क्रिकेटरों के बीच की बॉन्डिंग और उनके एक-दूसरे पर भरोसे का भी प्रतीक था।

भारत का दबदबा: गेंदबाजों का शानदार प्रदर्शन

इस महत्वपूर्ण विकेट ने वेस्टइंडीज की पारी की कमर तोड़ दी। मोहम्मद सिराज ने शानदार गेंदबाजी करते हुए 4 विकेट (38 रन देकर) झटके, जबकि जसप्रीत बुमराह ने 3 विकेट (41 रन देकर) हासिल किए। इन दोनों तेज गेंदबाजों ने मिलकर वेस्टइंडीज के बल्लेबाजी क्रम को ध्वस्त कर दिया। कुलदीप यादव और वाशिंगटन सुंदर ने भी विकेट लेकर अपना योगदान दिया। वेस्टइंडीज की टीम 44.1 ओवर में सिर्फ 162 रन पर ढेर हो गई। कप्तान जस्टिन ग्रीव्स ने हालांकि 32 रन बनाकर कुछ संघर्ष दिखाया, लेकिन बाकी बल्लेबाजों ने टेस्ट क्रिकेट के लिए आवश्यक धैर्य और दृढ़ता का प्रदर्शन नहीं किया।

निष्कर्ष: युवा प्रतिभा और टीम भावना की जीत

ध्रुव जुरेल का यह पल सिर्फ एक DRS अपील की सफलता नहीं थी, बल्कि यह भारतीय क्रिकेट में युवा प्रतिभाओं के बढ़ते कद और उनके निर्भीक फैसलों का प्रतीक था। यह दर्शाता है कि कैसे युवा खिलाड़ी दबाव में भी अपनी सूझबूझ और आत्मविश्वास से टीम के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं। शुभमन गिल का जुरेल पर भरोसा दिखाना और उसके बाद का आलिंगन, भारतीय टीम में पनप रही बेहतरीन टीम भावना को उजागर करता है। अहमदाबाद टेस्ट के पहले दिन, ध्रुव जुरेल ने यह साबित कर दिया कि कुछ निर्णय मैदान पर अनुभव से नहीं, बल्कि तेज दिमाग और निडर विश्वास से लिए जाते हैं, जो अक्सर सबसे प्रभावशाली साबित होते हैं।

निरव धनराज

दिल्ली के प्रतिभाशाली खेल पत्रकार निरव धनराज हॉकी और बैडमिंटन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। उनकी रिपोर्टिंग में खिलाड़ियों की मानसिकता की गहरी समझ झलकती है।

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