नागपुर के शांत सुबह में, जब क्रिकेट के दिग्गजों और उभरते सितारों के बीच जंग छिड़ने वाली थी, ईरानी कप 2025/26 का पहला दिन उम्मीदों और आशंकाओं से भरा था। विदर्भ, जो एक मजबूत शेष भारत टीम का सामना कर रहा था, के लिए यह सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि अपनी काबिलियत साबित करने का मौका था। और पहले दिन के खेल ने दिखा दिया कि विदर्भ ने इस चुनौती को कितनी गंभीरता से लिया है।
एक चुनौतीपूर्ण शुरुआत: जब गेंदबाज हावी रहे
मैच की शुरुआत विदर्भ के लिए उतनी आसान नहीं रही जितनी उन्होंने सोची होगी। शेष भारत के गेंदबाजों ने अपनी गेंदों से आग उगली, खासकर **आकाश दीप**, जिन्होंने इंग्लैंड दौरे के बाद प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में वापसी करते हुए अपनी धारदार गेंदबाजी का प्रदर्शन किया। अमन मोखाडे (19 रन) को आठवें ओवर में ही चलता कर आकाश दीप ने शेष भारत को पहली सफलता दिलाई। उनकी किफायती गेंदबाजी (14 ओवर में केवल 2.50 की इकोनॉमी) ने विदर्भ के बल्लेबाजों पर दबाव बनाए रखा।
इस बीच, राजस्थान के हरफनमौला खिलाड़ी **मानव सुथार** ने अपनी स्पिन का जादू बिखेरा। ऑस्ट्रेलिया ए के खिलाफ आठ विकेट लेने के बाद आत्मविश्वास से भरे सुथार ने अपनी पहली ही ओवर में दो विकेट लेकर विदर्भ के मध्यक्रम को झकझोर दिया। पहले उन्होंने ध्रुव शोरी (18 रन) को गलत लाइन पर खेलते हुए बोल्ड किया, और फिर तीन गेंदों बाद दानिश मलेवार को विकेट के पीछे इशान किशन के हाथों कैच आउट करवाया। ये वो क्षण थे जब लगा कि विदर्भ की पारी ताश के पत्तों की तरह ढह जाएगी। 80 रन पर 3 विकेट खोकर विदर्भ मुश्किल में थी।

तायडे और राठौड़ का अभेद्य गढ़: 184 रनों की साझेदारी
लेकिन क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है, और यही इसकी खूबसूरती है। जब विदर्भ संकट में थी, तब 25 वर्षीय **यश राठौड़** ने क्रीज संभाली। वह दलीप ट्रॉफी में शानदार फॉर्म में थे, जहाँ उन्होंने पाँच पारियों में 124.67 की औसत से 374 रन बनाए थे। उन्होंने अथर्व तायडे के साथ मिलकर एक ऐसी साझेदारी बनाई जिसने शेष भारत के गेंदबाजों को पसीना छुड़ा दिया। यह सिर्फ रनों की साझेदारी नहीं थी, बल्कि दृढ़ संकल्प और संयम का अद्भुत प्रदर्शन था।
तायडे और राठौड़ ने मिलकर दूसरे सत्र में कोई विकेट नहीं गिरने दिया, और ऐसा लग रहा था कि वे दिन का खेल समाप्त होने तक क्रीज पर टिके रहेंगे। तायडे ने अपनी पारी को बड़ी कुशलता से संभाला, जबकि राठौड़ ने अपने आक्रामक शॉट्स से रन गति बनाए रखी। दोनों के बीच 184 रनों की महत्वपूर्ण साझेदारी ने विदर्भ को एक मजबूत स्थिति में पहुँचा दिया। अथर्व तायडे ने अपने बल्ले से शानदार शतक जड़कर अपनी टीम को स्थिरता प्रदान की, यह दर्शाता है कि बड़े मुकाबलों में दबाव को कैसे झेलना चाहिए।
राठौड़ का दर्दनाक अंत और शेष भारत की वापसी
हर अच्छी कहानी में एक मोड़ आता है, और विदर्भ के लिए यह मोड़ यश राठौड़ के आउट होने के साथ आया। 74वें ओवर में मानव सुथार को एक छक्का जड़ने के बाद, राठौड़ ने अगली गेंद पर फिर से बड़ा शॉट खेलने की कोशिश की, लेकिन इस बार वह चूक गए और मिड-ऑफ पर कैच आउट हो गए। 91 रन पर आउट होना किसी भी बल्लेबाज के लिए दुखद होता है, खासकर जब शतक दहलीज पर हो। राठौड़ की यह पारी विदर्भ के लिए सोने पे सुहागा साबित हो सकती थी, पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
राठौड़ के आउट होने के बाद, शेष भारत के गेंदबाजों ने एक बार फिर अपनी पकड़ मजबूत की। दिन का खेल समाप्त होने से ठीक पहले, आकाश दीप ने विदर्भ के कप्तान अक्षय वाडकर (5 रन) को विकेट के पीछे कैच आउट कराकर शेष भारत को पाँचवीं सफलता दिलाई। दिन के अंत तक, विदर्भ का स्कोर 280 रन पर 5 विकेट था, जिसमें अथर्व तायडे 118 रन बनाकर नाबाद थे और यश ठाकुर उनके साथ क्रीज पर थे।
आगे की राह: पहले पारी की बढ़त का महत्व
ईरानी कप में, अगर मैच पाँच दिनों में निर्णायक परिणाम तक नहीं पहुँच पाता, तो पहली पारी में बढ़त बनाने वाली टीम को विजेता घोषित किया जाता है। ऐसे में, अथर्व तायडे की नाबाद पारी विदर्भ के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है। दूसरे दिन, विदर्भ की कोशिश होगी कि वह अपनी पारी को जितना हो सके उतना लंबा खींचे ताकि शेष भारत पर एक महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की जा सके। यह पहली बार नहीं है जब विदर्भ इस परिस्थिति में है; उन्होंने 2018-19 के ईरानी कप में भी पहली पारी की बढ़त के दम पर ही खिताब जीता था।
पहला दिन जहाँ तायडे और राठौड़ की शानदार बल्लेबाजी के लिए याद किया जाएगा, वहीं शेष भारत के गेंदबाजों, खासकर आकाश दीप और मानव सुथार, ने भी अपनी छाप छोड़ी। यह मुकाबला अभी भी बराबरी पर खड़ा है और अगले दिन का खेल यह तय करेगा कि कौन सी टीम इस रोमांचक जंग में अपनी पकड़ मजबूत कर पाती है। क्रिकेट के प्रशंसक निश्चित रूप से आने वाले दिनों में और भी रोमांचक खेल की उम्मीद कर सकते हैं।