ईरानी कप: विदर्भ की ‘निचले क्रम की क्रांति’ ने शेष भारत को 361 रनों के लक्ष्य में उलझाया

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ईरानी कप, भारतीय घरेलू क्रिकेट का वह मंच जहाँ युवा प्रतिभाएँ और अनुभवी खिलाड़ी अपनी चमक बिखेरते हैं, इस बार फिर से इतिहास रचने को तैयार है। विदर्भ और शेष भारत के बीच नागपुर में खेला जा रहा 2025/26 का यह महामुकाबला अब अपने निर्णायक मोड़ पर आ चुका है। चौथे दिन के खेल की समाप्ति पर, विदर्भ ने `शेष भारत` के सामने 361 रनों का एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य रखकर ट्रॉफी पर अपनी दावेदारी मजबूत कर ली है। क्या शेष भारत इस पहाड़ जैसे लक्ष्य को भेद पाएगा, या विदर्भ तीसरी बार खिताब पर कब्जा जमाएगा? यह सवाल अब सबकी जुबान पर है।

विदर्भ के निचले क्रम का `जवाब` और नई उम्मीदें

मैच के चौथे दिन की शुरुआत विदर्भ के लिए काफी मुश्किलों भरी रही। 96 रन पर दो विकेट से आगे खेलते हुए, शेष भारत के गेंदबाजों, खासकर युवा तेज गेंदबाज अंशुल कंबोज, ने शुरुआती झटके देकर विदर्भ को 105 रन पर 5 विकेट की नाजुक स्थिति में पहुँचा दिया। ऐसा लगने लगा था कि शेष भारत मैच पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है, और विदर्भ के लिए बड़ा लक्ष्य सेट करना अब मुश्किल होगा।

लेकिन क्रिकेट का खेल अनिश्चितताओं से भरा होता है, और विदर्भ के निचले क्रम के बल्लेबाजों ने इसे एक बार फिर साबित कर दिखाया। टीम के कप्तान अक्षय वडककर (36 रन) ने एक छोर संभाला, तो वहीं हर्ष दुबे (29 रन) और दर्शन नलकांडे (39 रन) ने महत्वपूर्ण पारियाँ खेलीं। इन पारियों ने न सिर्फ स्कोरबोर्ड को गति दी, बल्कि टीम को एक सम्मानजनक स्कोर 232 रन तक पहुँचाया। यह सिर्फ रन नहीं थे, यह आत्मविश्वास की खुराक थी, जिसने टीम को एक लड़ने लायक स्कोर तक पहुँचाया। इन बल्लेबाजों ने दिखाया कि क्रिकेट सिर्फ शीर्ष क्रम के सितारों का खेल नहीं, बल्कि हर खिलाड़ी का योगदान कितना मायने रखता है – एक ऐसी सीख जो शायद कई `विशेषज्ञों` को भी याद रखने की ज़रूरत है।

कंबोज का कहर: शेष भारत की गेंदबाजी का नेतृत्व

शेष भारत के लिए, युवा तेज गेंदबाज अंशुल कंबोज की जितनी तारीफ की जाए कम है। उन्होंने सिर्फ 12 ओवर में 34 रन देकर 4 महत्वपूर्ण विकेट झटके। उनकी गेंदों में वो धार थी, जिसने विदर्भ के मध्यक्रम को तहस-नहस कर दिया। दानेश मालेवार, ध्रुव शोरे, यश राठौड़ और कप्तान वडककर जैसे बल्लेबाजों को पवेलियन भेजने का श्रेय उन्हें जाता है। कंबोज की यह शानदार गेंदबाजी ने यह साबित कर दिया कि भारतीय क्रिकेट में तेज गेंदबाजी की प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, बस उन्हें सही मंच और मौके की तलाश है। उनकी यह स्पेल, बाकी खिलाड़ियों के लिए एक `कठोर प्रशिक्षण` जैसी थी, जहाँ हर गलती पर खामियाजा भुगतना पड़ा।

लक्ष्य का पीछा: शेष भारत की लड़खड़ाती शुरुआत

361 रनों के चुनौतीपूर्ण लक्ष्य का पीछा करते हुए, शेष भारत के सलामी बल्लेबाजों आर्यन जुयाल और अभिमन्यु ईश्वरन से एक मजबूत और ठोस शुरुआत की उम्मीद थी। हालांकि, विदर्भ के गेंदबाजों ने कुछ और ही ठान रखा था। आदित्य ठाकरे ने आर्यन जुयाल के स्टंप्स बिखेर कर उन्हें सस्ते में पवेलियन भेजा। इसके तुरंत बाद, हर्ष दुबे ने अभिमन्यु ईश्वरन को एलबीडब्ल्यू आउट कर शेष भारत को दूसरा झटका दिया। ईश्वरन ने रिव्यू लिया, लेकिन भाग्य उनके साथ नहीं था, और उन्हें अपनी किस्मत पर थोड़ा मुस्कुराते हुए पवेलियन लौटना पड़ा।

चौथे दिन का खेल समाप्त होने तक, शेष भारत का स्कोर 30/2 था, और उन्हें अभी भी जीत के लिए 331 रन बनाने हैं, जबकि उनके हाथ में सिर्फ 8 विकेट बाकी हैं। क्रीज पर अनुभवी बल्लेबाज ईशान किशन (5*) और रजत पाटीदार (2*) मौजूद हैं, जिन पर अब टीम की सारी उम्मीदें टिकी हैं।

निर्णायक दिन: इतिहास रचने का मौका

अब सारा दारोमदार ईशान किशन और रजत पाटीदार पर है, जिन्हें पांचवें दिन एक बड़ी और मैच जिताऊ साझेदारी करनी होगी। विदर्भ, जो पिछले एक दशक में 2017-18 और 2018-19 में दो बार ईरानी कप जीत चुका है, अब अपनी तीसरी ट्रॉफी पर नजर गड़ाए हुए है। यह उनके लिए एक और स्वर्णिम अवसर है, अपने शानदार घरेलू क्रिकेट रिकॉर्ड में एक और अध्याय जोड़ने का।

पांचवां दिन सिर्फ एक क्रिकेट मैच का आखिरी दिन नहीं होगा, बल्कि यह दृढ़ संकल्प, रणनीति और दबाव को झेलने की क्षमता का एक परीक्षण होगा। क्या शेष भारत `असंभव` को संभव कर दिखाएगा, या विदर्भ एक बार फिर इतिहास रचेगा? इसका जवाब तो पांचवें दिन ही मिलेगा, जब गेंद और बल्ले की अंतिम जंग होगी। दर्शक सांसें थामे इस रोमांचक मुकाबले के अंत का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि ईरानी कप का इतिहास ऐसे ही यादगार पलों से भरा पड़ा है।

आदित्य चंद्रमोहन

मुंबई में निवास करने वाले आदित्य चंद्रमोहन खेल पत्रकारिता में बारह वर्षों से सक्रिय हैं। क्रिकेट और कबड्डी की दुनिया में उनकी गहरी समझ है। वे खेल के सूक्ष्म पहलुओं को समझने और उन्हें सरल भाषा में प्रस्तुत करने में माहिर हैं।

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