भारतीय क्रिकेट के अनुभवी तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा, जो अपनी रफ्तार और विकेट लेने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं, आजकल अपने मैदान के अंदर के किस्सों से क्रिकेट प्रेमियों को गुदगुदा रहे हैं। हाल ही में उन्होंने एक पॉडकास्ट में युवा खिलाड़ियों के साथ हुई कुछ ऐसी घटनाओं का जिक्र किया, जो यह साबित करती हैं कि क्रिकेट सिर्फ रनों और विकेटों का खेल नहीं, बल्कि जोश, जुनून और कभी-कभी हल्की-फुल्की छेड़छाड़ का भी मंच है। ये किस्से न सिर्फ खेल के प्रतिस्पर्धी स्वभाव को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि मैदान के बाहर खिलाड़ी कैसे एक-दूसरे का सम्मान करते हैं।
जब आयुष बडोनी को ईशांत ने कहा, “जेब में डाल के ले जाऊंगा!”
साल 2024 के आईपीएल में दिल्ली कैपिटल्स और लखनऊ सुपर जायंट्स के बीच एक मुकाबला चल रहा था। पिच पर युवा आयुष बडोनी मौजूद थे और सामने थे अनुभवी ईशांत शर्मा। बडोनी ने ईशांत की गेंद पर एक शानदार चौका जड़ दिया। युवा जोश से भरे बडोनी ने पलटकर ईशांत की तरफ देखा, मानो कह रहे हों, “मैंने लगा दिया!” यह पल तनावपूर्ण प्रतिस्पर्धा का एक आदर्श उदाहरण था, लेकिन ईशांत के पास इस पर प्रतिक्रिया देने का अपना ही तरीका था।
लेकिन ईशांत भी पुराने खिलाड़ी हैं, जिन्होंने सालों तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला है। उन्होंने बडोनी की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा, “बडोनी, जेब में डाल के ले जाऊंगा तुझे, जेब में!” यह सुनकर बडोनी ने अपनी नजरें झुका लीं, लेकिन उनका प्रदर्शन रुका नहीं। उन्होंने उस मैच में एक जुझारू अर्धशतक जड़कर अपनी टीम को मजबूत स्कोर तक पहुंचाया। यह घटना बताती है कि दबाव में भी खिलाड़ी कैसे अपने प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, भले ही विरोधी टीम का अनुभवी खिलाड़ी उन्हें “जेब में डालने” की धमकी दे रहा हो।
यह किस्सा सिर्फ एक मजाकिया स्लेजिंग नहीं, बल्कि दो खिलाड़ियों के बीच का एक अनूठा संबंध भी दर्शाता है। खास बात यह है कि आयुष बडोनी ने घरेलू क्रिकेट में ईशांत की कप्तानी भी की है। ऐसे में मैदान पर यह हल्की-फुल्की नोकझोंक खेल की गरिमा को बनाए रखती है, वहीं यह भी दिखाती है कि कैसे युवा खिलाड़ी अपने सीनियर्स का सम्मान करते हुए भी मैदान पर अपनी छाप छोड़ने से नहीं हिचकिचाते। ईशांत शर्मा ने बताया कि ऐसी बातें मैदान पर ही रह जाती हैं। मैदान के बाहर खिलाड़ी दोस्त होते हैं और एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। यह क्रिकेट की सच्ची भावना है, जहां प्रतिस्पर्धा चरम पर होती है, लेकिन व्यक्तिगत संबंध भी मजबूत रहते हैं।
आशुतोष शर्मा के साथ `विवाद` का सच: मीडिया की अटकलें या हकीकत?
हाल ही में मीडिया में ईशांत शर्मा और युवा बल्लेबाज आशुतोष शर्मा के बीच मैदान पर किसी बहस को लेकर काफी खबरें चली थीं। इन खबरों में दावा किया गया था कि ईशांत ने आशुतोष के साथ कुछ अनुचित व्यवहार किया, जिसके कारण उन्हें मैच फीस का नुकसान भी उठाना पड़ा होगा। मीडिया ने इस घटना को एक बड़े विवाद के रूप में प्रस्तुत किया, जिससे कई क्रिकेट प्रशंसकों के मन में गलत धारणा बन गई।
हालांकि, ईशांत ने इन अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए सच्चाई बयां की। उन्होंने बताया कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। उन्होंने कहा,
“मैं उसे धीमी बाउंसर फेंक रहा था, और उसने पुल शॉट खेलने की कोशिश की, जिससे गेंद उसके बाइसेप्स पर लगी। यह 50 डिग्री सेल्सियस की गर्मी थी, और मैंने सिर्फ आशुतोष से पूछा था कि उसे कहाँ चोट लगी है। आशुतोष ने जवाब दिया, `भाई, यहाँ (बाइसेप्स पर) लगी है।` बस इतना ही था।”
ईशांत ने जोर देकर कहा कि अगर कुछ गलत हुआ होता, तो उन्हें मैच फीस का नुकसान होता या डिमेरिट पॉइंट मिलते, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “वह इतना जूनियर है और खेल रहा है, मैं उसे कुछ क्यों कहूंगा?” यह स्पष्टीकरण दिखाता है कि कैसे कभी-कभी मैदान के अंदर के सामान्य पल मीडिया की सुर्खियां बन जाते हैं और उन्हें गलत तरीके से पेश किया जाता है। ईशांत ने यहां एक अनुभवी खिलाड़ी के रूप में जिम्मेदारी निभाई, न केवल अपने बारे में गलत धारणा को दूर किया, बल्कि एक युवा खिलाड़ी के प्रति अपनी चिंता भी व्यक्त की। यह दिखाता है कि अनुभवी खिलाड़ी सिर्फ अपने खेल से नहीं, बल्कि अपने व्यवहार से भी युवाओं का मार्गदर्शन करते हैं।
एक अनुभवी की नई यात्रा: दिल्ली से गुजरात तक
ईशांत शर्मा, जो पिछले साल आईपीएल में दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेले थे, उन्हें 2025 के मेगा ऑक्शन से पहले टीम ने रिलीज कर दिया था। यह आईपीएल की व्यावसायिक प्रकृति का हिस्सा है, जहां टीमों को लगातार अपने संतुलन और रणनीति को बदलना पड़ता है। लेकिन उनके अनुभव और कौशल को देखते हुए, गुजरात टाइटंस ने उन्हें अपनी टीम में शामिल कर लिया है। यह एक अनुभवी खिलाड़ी के लिए एक नई शुरुआत है, और उम्मीद है कि वे नई टीम में भी अपनी गेंदबाजी से कमाल दिखाएंगे और युवा खिलाड़ियों को मार्गदर्शन देंगे। उनका यह स्थानांतरण दर्शाता है कि उम्र के बावजूद अनुभव का महत्व हमेशा बना रहता है।
ईशांत शर्मा के ये किस्से हमें याद दिलाते हैं कि क्रिकेट सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है। यह मानवीय संबंधों, सम्मान, प्रतिस्पर्धा और कभी-कभी हंसी-मजाक का भी खेल है। यह मैदान के अंदर की गरमागरम बहस और मैदान के बाहर की गहरी दोस्ती का एक अद्भुत मिश्रण है। भारतीय क्रिकेट भाग्यशाली है कि उसके पास ऐसे खिलाड़ी हैं जो खेल की इन गहराइयों को समझते हैं और उसे दर्शकों के सामने भी खूबसूरती से पेश करते हैं। उनकी यह यात्रा युवाओं के लिए प्रेरणा है कि कैसे खेल को गंभीरता से लेते हुए भी उसके मानवीय पहलुओं को महत्व दिया जा सकता है।