एशेज की ज़ुबानी जंग: डेविड वॉर्नर की ‘नैतिक जीत’ पर स्टुअर्ट ब्रॉड का खुलासे भरा पलटवार!

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क्रिकेट जगत की सबसे प्रतिष्ठित और ज़बरदस्त प्रतिद्वंदिता – एशेज (Ashes) – एक बार फिर दस्तक देने को तैयार है। लेकिन मैदान पर गेंदबाज़ी और बल्लेबाज़ी की जंग से पहले, शब्दों की धार तेज़ हो चुकी है। यह मनोवैज्ञानिक युद्ध इंग्लैंड के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ स्टुअर्ट ब्रॉड और ऑस्ट्रेलिया के धुरंधर सलामी बल्लेबाज़ डेविड वॉर्नर के बीच शुरू हुआ है, और यकीन मानिए, इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही। वॉर्नर के `नैतिक जीत` वाले ताने पर ब्रॉड का पलटवार सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि आगामी सीरीज की रणनीति और दबाव का आईना है।

वॉर्नर का `आत्मविश्वास` और ब्रॉड का `कड़वा सच`

डेविड वॉर्नर ने अपनी टीम की जीत को लेकर ऐसा आत्मविश्वास जताया, मानो स्क्रिप्ट पहले ही लिखी जा चुकी हो। उन्होंने कहा कि अगर कप्तान पैट कमिंस अनुपलब्ध रहते हैं, तो ऑस्ट्रेलिया 3-1 से जीतेगा, और अगर कमिंस खेलते हैं, तो यह 4-0 की एकतरफा जीत होगी। वॉर्नर यहीं नहीं रुके; उन्होंने इंग्लैंड पर एक कटाक्ष करते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलियाई टीम तो एशेज के लिए खेल रही है, लेकिन इंग्लैंड की टीम केवल `नैतिक जीत` (Moral Victory) के लिए प्रयासरत है।

“हम एशेज के लिए खेल रहे हैं और वे (इंग्लैंड) एक नैतिक जीत के लिए खेल रहे हैं,” वॉर्नर ने चुटकी लेते हुए कहा।

लेकिन ब्रॉड ने इस `नैतिक जीत` वाले ताने को बड़ी गंभीरता से लिया और इसका करारा जवाब दिया। उन्होंने वॉर्नर की भविष्वाणी को सिरे से नकारते हुए ऑस्ट्रेलिया की मौजूदा टीम को 2010 के बाद की सबसे खराब ऑस्ट्रेलियाई टीम करार दिया। वहीं, अपनी टीम इंग्लैंड को उन्होंने 2010 के बाद की सबसे बेहतरीन इंग्लिश टीम बताया। ब्रॉड का यह बयान, उनके पॉडकास्ट `लव फॉर क्रिकेट` में आया, जो उन्होंने इंग्लैंड के विकेटकीपर-बल्लेबाज़ जोस बटलर के साथ होस्ट किया था। यह कहना गलत नहीं होगा कि ब्रॉड ने वॉर्नर के शब्दों का इस्तेमाल, उन पर ही वार करने के लिए किया।

ऑस्ट्रेलिया की छिपी हुई कमजोरियां: क्या वॉर्नर का आत्मविश्वास सिर्फ दिखावा है?

ब्रॉड का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया की टीम इस समय कई अंदरूनी समस्याओं से जूझ रही है, जो उसे उतना मजबूत नहीं रहने देती जितना वॉर्नर दावा कर रहे हैं। क्या वॉर्नर का यह `अटूट आत्मविश्वास` केवल एक दिखावा है, ताकि विपक्षी टीम पर दबाव बनाया जा सके? आइए, उन मुद्दों पर एक नज़र डालें जो ऑस्ट्रेलिया को परेशान कर रहे हैं:

  • तेज़ गेंदबाज़ी इकाई की उम्रदराज़ी: पैट कमिंस, मिचेल स्टार्क, जोश हेजलवुड और स्कॉट बोलैंड की तेज़ गेंदबाज़ी इकाई, जो कभी विरोधियों के लिए `दुःस्वप्न` थी, अब उम्र के ढलान पर है। लगातार चोटें और वर्कलोड उनके प्रदर्शन पर असर डाल सकते हैं।
  • कप्तान पैट कमिंस की फिटनेस: कप्तान खुद पीठ की चोट से जूझ रहे हैं और उनके पहले टेस्ट में खेलने पर संदेह है। अगर वह पूरी सीरीज से बाहर हो जाते हैं, तो यह ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए एक बड़ा झटका होगा।
  • अनुभवी बल्लेबाज़ों का खराब फॉर्म:

    • उस्मान ख्वाजा: 38 साल की उम्र में, ख्वाजा ने हाल ही में वेस्टइंडीज दौरे पर संघर्ष किया, जहां वह एक भी अर्धशतक नहीं बना पाए। विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल में भी उनका बल्ला खामोश रहा था।
    • मार्नस लाबुशेन: जो एक समय टेस्ट क्रिकेट के `बादशाह` माने जाते थे, पिछले दो सालों से शतक के सूखे से जूझ रहे हैं। 16 मैचों और 30 पारियों में उनका औसत 24.74 रहा है। हालांकि, शील्ड क्रिकेट में उनके हालिया शतक थोड़ी उम्मीद जगाते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वापसी अभी बाकी है।
  • युवा प्रतिभा की अस्थिरता: युवा बल्लेबाज़ सैम कॉन्सटास ने वेस्टइंडीज दौरे पर निराशाजनक प्रदर्शन किया, हालांकि भारत `ए` के खिलाफ उनका प्रदर्शन अच्छा रहा था। लेकिन घरेलू क्रिकेट में उनकी अस्थिरता चिंता का विषय है।
  • ऑलराउंडर का दुविधा: कैमरन ग्रीन की पीठ की सर्जरी के बाद उनकी फिटनेस को लेकर सवालिया निशान हैं। उनकी अनुपस्थिति में ब्यू वेबस्टर एक विकल्प हो सकते हैं, लेकिन ग्रीन की ऊंचाई, गति और अनुभव उन्हें एक बेहतर विकल्प बनाते हैं, बशर्ते वह फिट हों।

दबाव किस पर?

ब्रॉड का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया की टीम अब पहले जैसी योजनाबद्ध और लगातार नहीं दिख रही है। 2010/11 की एशेज सीरीज जैसी स्थिति है, जब ऑस्ट्रेलियाई टीम भ्रमित थी। इस सारी स्थिति को देखते हुए, ब्रॉड का यह कहना बिलकुल सही लगता है कि ऑस्ट्रेलिया पर ही अधिक दबाव होगा। वॉर्नर की 4-0 की भविष्वाणी, इन अंदरूनी चुनौतियों को देखते हुए, थोड़ी अतिरंजित लगती है। ऑस्ट्रेलिया में किसी भी टीम के लिए जीतना मुश्किल होता है, लेकिन जब टीम खुद सवालों से घिरी हो, तो यह चुनौती और भी बढ़ जाती है।

इंग्लैंड के लिए सुनहरा अवसर?

इंग्लैंड की टीम, जिसे ब्रॉड 2010 के बाद की अपनी सर्वश्रेष्ठ टीम बता रहे हैं, `बैज़बॉल` (Bazball) की आक्रामक रणनीति के साथ आत्मविश्वास से भरी हुई है। ऑस्ट्रेलिया की मौजूदा कमजोरियां इंग्लैंड को 2011 के बाद ऑस्ट्रेलिया में अपनी पहली एशेज सीरीज जीतने का एक बेहतरीन मौका दे सकती हैं, और कुल मिलाकर 2015 के बाद उनकी पहली एशेज जीत।

तो क्या यह एशेज इंग्लैंड के लिए 2011 के बाद ऑस्ट्रेलिया में पहली जीत का गवाह बनेगी? या डेविड वॉर्नर का आत्मविश्वास ही ऑस्ट्रेलियाई टीम को उसकी कमजोरियों से पार दिलाएगा? इन सभी सवालों का जवाब हमें 21 नवंबर को पर्थ में सीरीज शुरू होने के बाद ही मिलेगा। लेकिन एक बात तय है – यह एशेज ज़ुबानी जंग के साथ शुरू हुई है और मैदान पर इससे भी अधिक रोमांचक होने की उम्मीद है!

निरव धनराज

दिल्ली के प्रतिभाशाली खेल पत्रकार निरव धनराज हॉकी और बैडमिंटन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। उनकी रिपोर्टिंग में खिलाड़ियों की मानसिकता की गहरी समझ झलकती है।

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