एशिया कप 2025: भारत की रणनीतिक चालें और चुपचाप संघर्ष करते सितारे

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एशिया कप, क्रिकेट के मैदान पर सिर्फ चौके-छक्के और विकेटों का खेल नहीं, बल्कि रणनीतियों, दबाव और चुपचाप किए गए बलिदानों का भी एक महासंग्राम है। जब विश्व कप जैसे बड़े आयोजनों की तैयारी चल रही हो, तब इस क्षेत्रीय प्रतियोगिता में हर कदम भविष्य की नींव रखता है। भारतीय टीम भी इस राह पर अग्रसर है, और इस यात्रा में कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हैं जिनके योगदान को सिर्फ आंकड़ों की कसौटी पर परखना अन्याय होगा।

जसप्रीत बुमराह: आंकड़ों से परे का जादूगर

पिछले तीन एशिया कप मैचों में जसप्रीत बुमराह के खाते में भले ही सिर्फ तीन विकेट आए हों और उनकी इकॉनमी रेट 8.36 रही हो, लेकिन टीम प्रबंधन उनकी इस `असाधारण रूप से कठिन` भूमिका से संतुष्ट है। सहायक कोच रयान टेन डोसचेट का मानना है कि बुमराह यूएई की परिस्थितियों में एक बेहद चुनौतीपूर्ण काम कर रहे हैं।

जरा सोचिए, एक टी20 मैच में अपने पहले तीन ओवर पावरप्ले में फेंकना और फिर अंतिम ओवरों में वापसी करना, यह कोई आसान काम नहीं। 2019 के बाद से बुमराह ने शायद ही कभी T20I में पावरप्ले के पहले छह ओवरों में से तीन ओवर फेंके हों। यह दर्शाता है कि टीम उनसे क्या उम्मीद कर रही है। उनका काम सिर्फ विकेट लेना नहीं, बल्कि विपक्षी बल्लेबाजों पर लगाम कसना, दबाव बनाना और दूसरों के लिए रास्ता साफ करना है। एक तरह से, वह टीम के लिए `अदृश्य` दीवार का काम कर रहे हैं, जो दिखती तो नहीं, लेकिन हर हमले को झेल जाती है।

“गेंदबाजी की दुनिया में, आंकड़े अक्सर कहानी का केवल एक सिरा बताते हैं। बाकी हिस्सा, रणनीति और समर्पण की गहरी परतों में छिपा होता है, जहां एक गेंदबाज अपनी टीम के लिए बिना किसी शोर-शराबे के महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।”

टेन डोसचेट ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान के खिलाफ उनका प्रदर्शन शायद सबसे शानदार नहीं था, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि इस भूमिका में रन पड़ना या विकेट न मिलना असामान्य नहीं है। यह सब वेस्टइंडीज के खिलाफ आगामी टेस्ट मैच और एशिया कप के महत्व को देखते हुए उनके वर्कलोड प्रबंधन का हिस्सा है। भारतीय टीम फिलहाल दो तेज गेंदबाजों और स्पिनरों की मजबूत फौज के साथ उतर रही है, और इस सेटअप में बुमराह की भूमिका `निर्णायक` मानी जा रही है। ऐसे में, टूर्नामेंट के फाइनल तक उनके आराम करने की संभावना न के बराबर है, क्योंकि टीम हर मैच में अपनी सर्वश्रेष्ठ एकादश के साथ उतरना चाहती है।

संजू सैमसन की नई पारी: मध्यक्रम का संतुलन साधते

वहीं, एक और खिलाड़ी जो अपनी चिर-परिचित भूमिका से हटकर नई चुनौती का सामना कर रहे हैं, वह हैं संजू सैमसन। आईपीएल और भारतीय टीम के लिए अधिकांश सफलताएं शीर्ष तीन में हासिल करने वाले सैमसन को एशिया कप में मध्यक्रम में, खासकर नंबर 5 पर बल्लेबाजी करनी पड़ रही है।

पहले दो मैचों में उन्हें बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला। ओमान के खिलाफ `डेड रबर` मैच में उन्हें नंबर 3 पर भेजा गया, जहां उन्होंने 45 गेंदों में 56 रन बनाकर अपनी क्लास दिखाई। लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ सुपर फोर मुकाबले में वह फिर से नंबर 5 पर आ गए और 17 गेंदों पर 13 रन बनाकर हारिस रऊफ का शिकार हो गए। यह आसान नहीं है, खासकर जब आपकी पहचान विस्फोटक शुरुआत देने वाले बल्लेबाज की हो, और आपको अचानक उस भूमिका में ढलना पड़े जहां आपको पारी को संभालने और फिर तेज गति से खत्म करने की जरूरत हो।

टेन डोसचेट के अनुसार, सैमसन अभी भी इस नई भूमिका को समझने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि पाकिस्तान के खिलाफ विकेट थोड़ा धीमा था, लेकिन शुभमन गिल, अभिषेक शर्मा, कप्तान और तिलक वर्मा के टॉप ऑर्डर में शानदार प्रदर्शन को देखते हुए, टीम को नंबर 5 पर एक भरोसेमंद खिलाड़ी की जरूरत है। टीम प्रबंधन का मानना है कि संजू ही इस काम के लिए `सर्वश्रेष्ठ` हैं और भविष्य में वह इस भूमिका को बखूबी निभाना सीख जाएंगे। यह सामंजस्य और लचीलेपन की परीक्षा है, जो किसी भी बड़े टूर्नामेंट से पहले खिलाड़ी और टीम के लिए महत्वपूर्ण होती है।

बेंच स्ट्रेंथ और प्रतियोगिता का दबाव

एशिया कप का प्रारूप ऐसा है जहां गलती की गुंजाइश बहुत कम है। चार मैचों में दो जीत भी आपको फाइनल में जगह की गारंटी नहीं देती। यही कारण है कि जितेश शर्मा और रिंकू सिंह जैसे बेंच पर बैठे खिलाड़ियों को अब तक मौका नहीं मिला है। टेन डोसचेट ने कहा कि इस तरह के कड़े मुकाबले में `पेडल से पैर हटाना` संभव नहीं है, और खिलाड़ियों को मौका देने या उनकी पोजीशन में लचीलेपन को परखने के लिए द्विपक्षीय सीरीज ज्यादा उपयुक्त होती हैं।

भारत बुधवार को बांग्लादेश के खिलाफ एक बार फिर अपनी सर्वश्रेष्ठ टीम के साथ उतरेगा। दोनों ही टीमों ने अपने पहले सुपर फोर मैच जीते हैं और जो भी इस मुकाबले में दो अंक हासिल करेगा, वह फाइनल की दौड़ में मजबूत स्थिति में आ जाएगा। जैसा कि टेन डोसचेट ने कहा, “सबका सम्मान करें, किसी से न डरें।” भारतीय टीम अपने प्रोसेस पर ध्यान केंद्रित कर रही है और बांग्लादेश को एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी मानती है, जो टी20 क्रिकेट के नए स्टाइल को अपना रहा है। मैदान पर दिखने वाली चमक से परे, बुमराह और सैमसन जैसे खिलाड़ियों का अदृश्य संघर्ष और टीम की रणनीतिक चालें ही इस एशिया कप में भारत की जीत की कहानी लिखेंंगी।
आदित्य चंद्रमोहन

मुंबई में निवास करने वाले आदित्य चंद्रमोहन खेल पत्रकारिता में बारह वर्षों से सक्रिय हैं। क्रिकेट और कबड्डी की दुनिया में उनकी गहरी समझ है। वे खेल के सूक्ष्म पहलुओं को समझने और उन्हें सरल भाषा में प्रस्तुत करने में माहिर हैं।

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