एशिया कप 2025: शाहीन अफरीदी का आत्मविश्वासी पलटवार और पाकिस्तान का खिताबी सपना

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एशिया कप 2025 का रोमांच अपने चरम पर है, और क्रिकेट जगत की निगाहें एक बार फिर पाकिस्तान के प्रदर्शन पर टिकी हैं। हालिया आलोचनाओं और दबाव के बीच, टीम के युवा तेज गेंदबाज शाहीन शाह अफरीदी ने अपनी टीम के बचाव में एक मजबूत बयान दिया है। क्या यह सिर्फ जुबानी जंग है, या पाकिस्तान वाकई फाइनल की दौड़ में एक मजबूत दावेदार बन चुका है? आइए, इस सफर पर एक नज़र डालते हैं।

शाहीन का आत्मविश्वास: “हम हार नहीं रहे!”

जब भी कोई टीम लगातार उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती, तो आलोचकों की फौज तैयार हो जाती है। पाकिस्तान टी20 टीम भी इससे अछूती नहीं रही। लेकिन शाहीन अफरीदी, जिन्हें मैदान पर अपनी रफ्तार और स्विंग के लिए जाना जाता है, अब मैदान के बाहर भी अपनी बातों से `बाउंसर्स` फेंक रहे हैं। श्रीलंका के खिलाफ तीन विकेट लेने के बाद उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि टीम “हार नहीं रही” है। उनके अनुसार, पिछले चार में से तीन सीरीज पाकिस्तान ने जीती हैं।

यह बात थोड़ी दिलचस्प लगती है। अफरीदी ने यह भी स्वीकार किया कि टीम ने हाल ही में “उच्च रैंकिंग वाली टीमों” के खिलाफ जीत हासिल नहीं की है, लेकिन साथ ही जोड़ा कि ऐसे मैच ज्यादा खेले भी नहीं गए। एक तरफ आप जीत का दावा करते हैं, दूसरी तरफ स्वीकार करते हैं कि सबसे बड़ी चुनौती अभी बाकी है। इसे आत्मविश्वास कहें या यथार्थवाद का एक बारीक मिश्रण, यह तो वक्त ही बताएगा। फिलहाल, टीम का ध्यान 13 साल बाद एशिया कप का खिताब जीतने पर केंद्रित है।

गेंदबाजी की नई रणनीति: गति बनाम स्पिन

श्रीलंका के खिलाफ अबू धाबी में मिली जीत में पाकिस्तान की गेंदबाजी रणनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। पूरे 13 मैचों में ऐसा पहली बार हुआ कि पावरप्ले में किसी स्पिनर को गेंद नहीं सौंपी गई। मध्यम गति के गेंदबाज हुसैन तलत को तीन ओवर दिए गए, और उन्होंने अपने पहले ही ओवर (पारी के आठवें ओवर) में दो महत्वपूर्ण विकेट लेकर मैच का रुख मोड़ दिया। यह एक बड़ा संकेत है कि पाकिस्तान अपनी पारंपरिक स्पिन-केंद्रित पावरप्ले रणनीति से हटकर तेज गेंदबाजों पर अधिक भरोसा कर रहा है।

शाहीन अफरीदी ने इस बदलाव को `स्ट्रगल` मानने से इनकार किया। उनका कहना है कि टी20 क्रिकेट में अच्छी पिचों पर बल्लेबाज तेज गेंदबाजों पर हावी होने की कोशिश करते हैं। टीम अब अपनी गेंदबाजी में विविधता लाने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि अपने मुख्य गेंदबाजों को उतारें और खेल को जल्दी खत्म करें।” यह सुनकर कुछ क्रिकेट पंडित शायद मुस्कुरा रहे होंगे, क्योंकि क्रिकेट में “जल्दी खत्म करें” की रणनीति कभी-कभी खुद ही भारी पड़ जाती है। लेकिन इस बार, यह काम कर गया।

बांग्लादेश की चुनौती और भारत-पाकिस्तान महामुकाबले की आहट

एशिया कप फाइनल तक पहुंचने के लिए पाकिस्तान को गुरुवार को बांग्लादेश से भिड़ना है, जो उनके लिए एक तरह से नॉकआउट मुकाबला हो सकता है। बांग्लादेश वह एकमात्र टीम है जिसने पिछले चार महीनों में पाकिस्तान को टी20ई सीरीज जीतने से रोका है। शाहीन ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा, “जब भी आप ऐसी टीमों के खिलाफ खेलते हैं, तो आपको पहले ही वार करने की कोशिश करनी चाहिए। उन्हें मौका नहीं देना चाहिए।” यह बात बिल्कुल सही है, क्योंकि क्रिकेट में `मौका` शब्द अक्सर `मौका चूक गया` में बदल जाता है।

हालांकि, सबकी निगाहें पहले से ही रविवार पर टिकी हैं। क्या एशिया कप में पहली बार भारत-पाकिस्तान फाइनल देखने को मिलेगा? यह सवाल हवा में तैर रहा है, और उत्साह चरम पर है। शाहीन भी इस पर नजर गड़ाए हुए हैं, लेकिन उन्होंने बार-बार यह दोहराया कि अभी कोई भी टीम फाइनल में नहीं पहुंची है।

मैदान पर तकरार और जुबानी जंग

दिलचस्प बात यह है कि श्रीलंका के खिलाड़ियों के साथ पाकिस्तान का बर्ताव दोस्ताना रहा, हाथ मिलाना और गले मिलना आम बात थी। लेकिन भारत के खिलाफ, माहौल कुछ अलग था। मैदान पर कई बार जुबानी जंग हुई, खासकर भारत के सलामी बल्लेबाजों और पाकिस्तान के तेज गेंदबाजों के बीच। भारतीय सलामी बल्लेबाज अभिषेक शर्मा ने तो यह भी कह दिया कि पाकिस्तान “बिना किसी कारण के हम पर हमला कर रहा था।”

मैच के बाद, भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने भी पाकिस्तान पर तंज कसने का मौका नहीं छोड़ा, यह कहते हुए कि भारत के हालिया दबदबे के कारण यह मुकाबला अब `प्रतिद्वंद्विता` नहीं रह गया है। शाहीन अफरीदी, जिन्हें पलटवार का अवसर मिला, उन्होंने समझदारी से काम लिया। उन्होंने कहा, “यह उनकी राय है; उन्हें जो कहना है कहने दें। न तो वे फाइनल में हैं, न हम। हम देखेंगे कि फाइनल के लिए क्या होता है। हम सिर्फ एशिया कप जीतना चाहते हैं, और इसके लिए अपना सब कुछ लगा देंगे।” एक खिलाड़ी की तरफ से यह एक परिपक्व प्रतिक्रिया थी, जिसने आग में घी डालने की बजाय पानी डाला। या शायद, यह सिर्फ `फाइनल तक इंतजार करो और देखो` वाला बयान था।

जैसे-जैसे एशिया कप 2025 का समापन करीब आ रहा है, पाकिस्तान क्रिकेट टीम अपनी राह पर दृढ़ दिख रही है। शाहीन अफरीदी का आत्मविश्वास, नई गेंदबाजी रणनीति और संभावित भारत-पाकिस्तान फाइनल की उत्तेजना ने इस टूर्नामेंट को और भी रोमांचक बना दिया है। क्या पाकिस्तान 13 साल के सूखे को खत्म कर पाएगा? या कोई और टीम बाजी मार लेगी? जवाब मैदान पर ही मिलेगा, लेकिन इससे पहले, बांग्लादेश की चुनौती को पार करना होगा।

आदित्य चंद्रमोहन

मुंबई में निवास करने वाले आदित्य चंद्रमोहन खेल पत्रकारिता में बारह वर्षों से सक्रिय हैं। क्रिकेट और कबड्डी की दुनिया में उनकी गहरी समझ है। वे खेल के सूक्ष्म पहलुओं को समझने और उन्हें सरल भाषा में प्रस्तुत करने में माहिर हैं।

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