एशिया कप का रण: बुमराह की अहमियत और सैमसन की ‘पहेली’, क्या है टीम इंडिया की रणनीति?

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एशिया कप 2023 के सुपर फोर मुकाबले अब अपने निर्णायक दौर में हैं। हर मैच के साथ समीकरण बदल रहे हैं, और भारतीय क्रिकेट टीम एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहां जीत के साथ-साथ भविष्य की रणनीतियाँ भी दांव पर हैं। मुख्य कोच की अनुपस्थिति में सहायक कोच के बयानों ने टीम के भीतर चल रही कुछ महत्वपूर्ण बहसों को उजागर किया है, खासकर दो नामों के इर्द-गिर्द: जसप्रीत बुमराह का कार्यभार और संजू सैमसन का बल्लेबाजी क्रम। यह सिर्फ खिलाड़ियों की बात नहीं, बल्कि आगामी बड़े टूर्नामेंटों, विशेषकर टी20 विश्व कप और टेस्ट सीरीज, के लिए टीम इंडिया के संतुलन की एक दिलचस्प पहेली है।

बुमराह: `आराम` एक दुर्लभ विचार?

जब भारतीय क्रिकेट के सबसे महत्वपूर्ण गेंदबाजों में से एक, जसप्रीत बुमराह के आराम की बात आती है, तो आमतौर पर यह एक संवेदनशील विषय बन जाता है। सहायक कोच ने स्पष्ट किया है कि बांग्लादेश के खिलाफ उन्हें आराम दिए जाने की संभावना `बहुत कम` है। उनका तर्क सीधा है: जब तक टीम फाइनल में अपनी जगह पक्की न कर ले, तब तक सर्वश्रेष्ठ टीम ही मैदान पर उतरेगी।

तो, क्या इसका मतलब यह है कि हम बुमराह को हर मैच में अपनी धारदार गेंदबाजी करते देखेंगे? ऐसा लगता है। हालांकि एक हल्की सी उम्मीद है कि अगर पाकिस्तान श्रीलंका को हरा देता है और भारत बांग्लादेश को, तो शायद श्रीलंका के खिलाफ आखिरी सुपर फोर मैच में बुमराह को `लक्ज़री` आराम मिल जाए। लेकिन, जैसा कि सहायक कोच ने स्वयं कहा, “अंतिम गेम में यह जानते हुए जाना कि आप क्वालीफाई कर चुके हैं, बहुत ही दुर्लभ है।”

कार्यभार प्रबंधन या टेस्ट की तैयारी?

यह दिलचस्प है कि कोच ने बुमराह के मौजूदा कार्यभार को वेस्टइंडीज के खिलाफ आगामी टेस्ट मैच (2 अक्टूबर से शुरू) के लिए `अच्छी तैयारी` भी बताया है। “वह शायद कुछ खिलाड़ियों को सभी गेम में गेंदबाजी कराएंगे और ट्रेनिंग व तैयारी के साथ लगभग 25-26 ओवर डालेंगे, जो टेस्ट से एक हफ्ते पहले के लिए काफी अच्छी संख्या है।” तो क्या यह रणनीति का हिस्सा है या फिर `कड़ी तैयारी` को `कार्यभार प्रबंधन` का नाम दिया जा रहा है, यह समय ही बताएगा। लेकिन इतना तो तय है कि बुमराह हर इनिंग में पावरप्ले में तीन ओवर डालकर टीम के लिए `भारी भरकम` काम कर रहे हैं। हालांकि, इसका परिणाम यह भी है कि डेथ ओवरों में भारत की गेंदबाजी इस एशिया कप में सबसे महंगी दूसरी टीम बन गई है। कप्तान सूर्यकुमार यादव भी चाहते हैं कि अन्य गेंदबाज डेथ ओवरों में जिम्मेदारी उठाएं।

संजू सैमसन: नंबर 5 की `पहेली`

बुमराह की बात से आगे बढ़ते हुए, एक और नाम है जो भारतीय टीम प्रबंधन के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है: संजू सैमसन। सहायक कोच ने सैमसन का पूरा समर्थन किया है, खासकर नंबर 5 के स्थान पर उनकी भूमिका को लेकर।

लेकिन आंकड़ों की कहानी कुछ और ही कहती है:

  • सलामी बल्लेबाज के तौर पर: 17 पारियों में 32.62 की औसत और 178.76 के स्ट्राइक रेट से 522 रन बनाए हैं, जिसमें 3 शतक और 1 अर्धशतक शामिल है।
  • अन्य स्थानों पर (मुख्यतः मध्यक्रम): 23 पारियों में 20.40 की औसत और 121.79 के स्ट्राइक रेट से 408 रन बनाए हैं, जिसमें 2 अर्धशतक शामिल हैं।

एशिया कप में भी सैमसन का प्रदर्शन (56 रन, जो उनका सबसे धीमा टी20ई अर्धशतक था, और 13 रन) उनके सलामी बल्लेबाज वाले फॉर्म से मेल नहीं खाता। यूएई की धीमी पिचों पर उन्हें पुरानी गेंद और स्पिन के खिलाफ संघर्ष करते देखा गया है।

कोच का कहना है कि शुभमन गिल, अभिषेक शर्मा और कप्तान का शीर्ष क्रम में स्थान पक्का होने के बाद, टीम को नंबर 5 पर एक मजबूत बल्लेबाज की तलाश है। “हम मानते हैं कि संजू इस काम के लिए सबसे अच्छा आदमी है और हमें कोई संदेह नहीं है कि वह भविष्य में उस भूमिका को निभाना सीख जाएगा।” `सीख जाएगा` – ये शब्द टीम प्रबंधन के विश्वास को दर्शाते हैं, लेकिन क्रिकेट की दुनिया में सीखने का समय हमेशा सीमित होता है। क्या सैमसन इस भरोसे पर खरे उतर पाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।

भारत का संतुलन का खेल: बड़े मंच की तैयारी

इन दोनों महत्वपूर्ण खिलाड़ियों के इर्द-गिर्द की बहस सिर्फ एक मैच या एक टूर्नामेंट तक सीमित नहीं है। यह भारतीय टीम के बृहद रणनीतिक संतुलन का हिस्सा है। एक तरफ एशिया कप जैसा महत्वपूर्ण टूर्नामेंट है, जिसे जीतना हर टीम का लक्ष्य होता है। दूसरी तरफ, कुछ ही महीनों में होने वाला टी20 विश्व कप और अन्य महत्वपूर्ण टेस्ट सीरीज हैं, जिनके लिए टीम को अपने मुख्य खिलाड़ियों को फिट और तैयार रखना है।

टीम प्रबंधन के सामने यह एक चुनौती है कि कैसे वे वर्तमान जीत के लिए सर्वश्रेष्ठ संयोजन चुनें और साथ ही भविष्य के लिए अपने खिलाड़ियों के कार्यभार और मनोबल का प्रबंधन करें। बुमराह को आराम देना या न देना, सैमसन को नंबर 5 पर बनाए रखना – ये सभी निर्णय न केवल तत्काल परिणामों को प्रभावित करेंगे, बल्कि भारत के बड़े टूर्नामेंटों की तैयारी की दिशा भी तय करेंगे। यह क्रिकेट का वह बारीक खेल है जहां हर चाल का अपना महत्व होता है, और भारतीय टीम इसी शतरंज की बिसात पर अपनी अगली चाल चलने को तैयार है।

प्रमोद विश्वनाथ

बेंगलुरु के वरिष्ठ खेल पत्रकार प्रमोद विश्वनाथ फुटबॉल और एथलेटिक्स के विशेषज्ञ हैं। आठ वर्षों के अनुभव ने उन्हें एक अनूठी शैली विकसित करने में मदद की है।

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