एशिया कप का ‘ट्रॉफी ड्रामा’: क्या जीत के सम्मान से भी बड़ा है प्रोटोकॉल?

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भारतीय क्रिकेट टीम ने एशिया कप 2023 में शानदार जीत दर्ज कर देश का गौरव बढ़ाया, लेकिन जीत के बाद की तस्वीरें कुछ और ही कहानी बयां कर रही थीं। ट्रॉफी और पदकों की अनुपस्थिति ने एक ऐसा विवाद खड़ा कर दिया है, जिसकी गूंज अब एशियाई क्रिकेट परिषद (ACC) के गलियारों से लेकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) तक पहुंचने की आशंका है। यह सिर्फ एक ट्रॉफी का मामला नहीं, बल्कि खेल भावना, सम्मान और क्षेत्रीय क्रिकेट कूटनीति का सवाल बन गया है।

जीत का अधूरा जश्न: कहां गई वो ट्रॉफी?

एशिया कप 2023 के फाइनल में भारतीय टीम ने दमदार प्रदर्शन करते हुए श्रीलंका को एकतरफा मुकाबले में हराया। यह एक ऐतिहासिक जीत थी, जिसे पूरे देश ने सराहा। लेकिन जश्न के बाद जो हुआ, वह किसी को भी हैरान कर सकता है। विजयी टीम को पारंपरिक रूप से दी जाने वाली ट्रॉफी और पदक मंच पर मौजूद नहीं थे। खबरों के अनुसार, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के अध्यक्ष मोहसिन नकवी, जो उस समय दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में मौजूद थे, ट्रॉफी लेकर चले गए थे। भारतीय खिलाड़ियों ने उनसे ट्रॉफी स्वीकार करने से मना कर दिया था, और यहीं से इस `ट्रॉफी फियास्को` की शुरुआत हुई।

दुबई में गरमागरम एसीसी बैठक: `प्रोटोकॉल` बनाम `सम्मान`

इस अनपेक्षित घटना के बाद, 30 सितंबर को दुबई में एशियाई क्रिकेट परिषद की बैठक बुलाई गई। यह बैठक वर्चुअली आयोजित की गई, जिसमें भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) के प्रतिनिधि आशीष शेलार और राजीव शुक्ला भी शामिल हुए। बैठक का माहौल शुरू से ही गर्म था, खासकर भारतीय और पाकिस्तानी प्रतिनिधियों के बीच।

पीसीबी अध्यक्ष मोहसिन नकवी ने बैठक की शुरुआत में मंगोलिया को नई सदस्यता के लिए और नेपाल को वेस्टइंडीज पर जीत के लिए बधाई दी। लेकिन भारतीय टीम की एशिया कप जीत का जिक्र नहीं हुआ। तभी आशीष शेलार ने पुरजोर तरीके से हस्तक्षेप किया और सवाल किया कि भारतीय टीम को क्यों बधाई नहीं दी जा रही है। एक पल के लिए तो ऐसा लगा जैसे अपनी शानदार जीत का जश्न मनाने के लिए भी भारत को `आदेश` देना पड़ा हो। अंततः, नकवी को भारतीय टीम को बधाई देनी पड़ी।

जब विरोध में लॉगआउट कर गए भारतीय प्रतिनिधि

असली तकरार तब शुरू हुई जब ट्रॉफी के मुद्दे पर चर्चा हुई। भारतीय प्रतिनिधियों ने इस बात पर जोर दिया कि ट्रॉफी न दिए जाने का एक स्पष्ट और स्वीकार्य समाधान निकलना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि BCCI इस मामले को ICC तक ले जाने की धमकी पहले ही दे चुका है। बहस इतनी गरमागरम हो गई कि आशीष शेलार ने विरोध में वर्चुअल मीटिंग से लॉगआउट कर दिया। यह उनके विरोध का एक सशक्त तरीका था, जिसने मामले की गंभीरता को और बढ़ा दिया।

बाद में, शेलार फिर से मीटिंग में शामिल हुए, और तब यह तय किया गया कि इस मुद्दे को हल करने के लिए एसीसी के पांच टेस्ट खेलने वाले देश – भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश – आपस में मिलेंगे। यह एक तरह से जुलाई की ढाका AGM का ही विस्तार था, जिसे भारत के विरोध के कारण स्थगित कर दिया गया था।

आगे क्या? पांच देशों का conclave और खेल भावना की कसौटी

यह निर्णय लिया गया है कि बीसीसीआई, बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (BCB), श्रीलंका क्रिकेट (SLC), अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (ACB) और पीसीबी के सदस्य इस मुद्दे पर एक औपचारिक बैठक करेंगे। यह बैठक ऑफसेट होगी, यानी आमने-सामने की चर्चा के माध्यम से इस गतिरोध को तोड़ने का प्रयास किया जाएगा।

यह घटना सिर्फ एक ट्रॉफी न मिलने तक सीमित नहीं है। यह अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में प्रोटोकॉल, सम्मान और सबसे बढ़कर, खेल भावना के महत्व पर सवाल उठाती है। क्रिकेट, जिसे अक्सर `जेंटलमैन गेम` कहा जाता है, में इस तरह की कड़वाहट और कूटनीतिक ड्रामा उसकी छवि को धूमिल करता है। उम्मीद है कि पांच टेस्ट खेलने वाले देशों की यह बैठक न केवल ट्रॉफी विवाद को सुलझाएगी, बल्कि एशियाई क्रिकेट में सौहार्द और सम्मान की भावना को भी बहाल करेगी। आखिरकार, खेल का उद्देश्य प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ एकता और मैत्री को बढ़ावा देना भी होता है, न कि उसे कूटनीतिक अखाड़ा बनाना।

प्रमोद विश्वनाथ

बेंगलुरु के वरिष्ठ खेल पत्रकार प्रमोद विश्वनाथ फुटबॉल और एथलेटिक्स के विशेषज्ञ हैं। आठ वर्षों के अनुभव ने उन्हें एक अनूठी शैली विकसित करने में मदद की है।

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