FIDE का ‘फास्ट क्लासिक’ प्रयोग: क्या शतरंज अब और तेज़ होगा?

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शतरंज, सदियों से धैर्य, रणनीति और गहन सोच का खेल रहा है। एक आम क्लासिक शतरंज का मुकाबला घंटों, यहाँ तक कि कभी-कभी पूरे दिन भी चल सकता है। लेकिन, आधुनिक युग की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में, जब हर कोई समय की कमी से जूझ रहा है, तो क्या शतरंज भी खुद को बदलने की तैयारी कर रहा है? ऐसा लगता है, क्योंकि शतरंज की वैश्विक नियामक संस्था, फेडरेशन इंटरनेशनेल डेस एचेक्स (FIDE), ने एक महत्वाकांक्षी पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया है जिसे `फास्ट क्लासिक` नाम दिया गया है। यह पहल मानक रेटिंग (Standard Rating) वाले टूर्नामेंट्स के लिए समय नियंत्रण (Time Control) को छोटा करने पर केंद्रित है।

समय के साथ कदमताल: `फास्ट क्लासिक` की ज़रूरत क्यों?

कल्पना कीजिए, आप एक व्यस्त पेशेवर हैं या एक छात्र हैं जिसके पास सीमित समय है, लेकिन आप शतरंज के प्रति जुनूनी हैं। पारंपरिक क्लासिक मैच खेलने के लिए आपको घंटों का एक बड़ा हिस्सा निकालना पड़ता है। यही वह जगह है जहाँ `फास्ट क्लासिक` की अवधारणा प्रासंगिक हो जाती है। FIDE ने खिलाड़ियों और आयोजकों की बढ़ती मांग का संज्ञान लिया है, जो चाहते हैं कि शतरंज के गंभीर, प्रतिस्पर्धी स्वरूप में भी समय की बचत हो सके। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे सदियों पुराने बरगद के पेड़ को अपने पत्तों को मौसम के हिसाब से बदलने की ज़रूरत पड़े ताकि वह हरा-भरा रह सके।

शतरंज के संरक्षक और ज्यूरिख चेस चैलेंज के आयोजक ओलेग स्क्वोर्त्सोव ने मूल विचार प्रस्तावित किया था: ऐसे इवेंट्स जहाँ राउंड 2 से 3 घंटे में समाप्त हो जाएँ, जिससे एक ही दिन में दो राउंड खेलना संभव हो सके। यह न केवल खिलाड़ियों के लिए सुविधाजनक है, बल्कि आयोजकों के लिए भी टूर्नामेंट को अधिक कुशल और लागत प्रभावी बनाता है। कौन नहीं चाहेगा कि खेल की गंभीरता बरकरार रहे और समय भी कम लगे?

तो, यह `फास्ट क्लासिक` है क्या?

फिलहाल, मानक रेटिंग के लिए न्यूनतम समय नियंत्रण खिलाड़ी की रेटिंग पर निर्भर करता है:

  • यदि कोई एक खिलाड़ी 2400 या उससे अधिक रेटेड है: प्रति खिलाड़ी 120 मिनट।
  • यदि कोई एक खिलाड़ी 1800 या उससे अधिक रेटेड है: प्रति खिलाड़ी 90 मिनट।
  • यदि दोनों खिलाड़ी 1800 से कम रेटेड हैं: प्रति खिलाड़ी 60 मिनट।

लेकिन `फास्ट क्लासिक` पायलट प्रोजेक्ट में, समय नियंत्रण को काफी कम कर दिया गया है: प्रति खिलाड़ी 45 मिनट और प्रति चाल 30 सेकंड का इन्क्रीमेंट (पहली चाल से शुरू)। इसका मतलब है कि मैच तेज़ी से समाप्त होंगे, लेकिन खिलाड़ियों को फिर भी पर्याप्त समय मिलेगा ताकि वे अपनी रणनीतियों को क्रियान्वित कर सकें और गंभीर खेल खेल सकें। यह तेज़ गति वाली ट्रेन की तरह है जो आपको समय पर मंज़िल तक पहुँचाती है, लेकिन यात्रा के दौरान दृश्यों का आनंद लेने का मौका भी देती है।

पायलट प्रोजेक्ट में कौन से टूर्नामेंट शामिल हैं?

यह जानने के लिए कि यह नया प्रारूप कैसा प्रदर्शन करता है, FIDE ने तीन प्रमुख टूर्नामेंटों को इस पायलट प्रोजेक्ट का हिस्सा बनाया है:

  • क़तर कप (7-13 सितंबर)
  • क्यूसीए ट्रेनिंग सेंटर सितंबर टूर्नामेंट क्लासिकल (25-27 सितंबर)
  • महिला विश्व टीम चैंपियनशिप (17-24 नवंबर)

इन इवेंट्स के परिणाम खिलाड़ियों की मानक रेटिंग में गिने जाएँगे। हालाँकि, एक महत्वपूर्ण शर्त यह है कि इन टूर्नामेंट्स में कोई भी टाइटल नॉर्म्स प्रदान नहीं किए जाएँगे। इसका मतलब है कि खिलाड़ी ग्रैंडमास्टर या इंटरनेशनल मास्टर जैसे खिताब हासिल करने के लिए इन मैचों पर निर्भर नहीं रह सकते, लेकिन उनकी रेटिंग ज़रूर प्रभावित होगी। आयोजक एक दिन में दो से अधिक राउंड निर्धारित नहीं कर सकते, जिससे खिलाड़ियों को पर्याप्त आराम और तैयारी का समय मिल सके। यह एक परीक्षण चरण है, जहाँ हर पहलू का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जा रहा है।

शतरंज के भविष्य पर असर: एक नए युग की शुरुआत?

`फास्ट क्लासिक` का सफल कार्यान्वयन शतरंज के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल सकता है। यह न केवल अधिक खिलाड़ियों को क्लासिक प्रारूप में भाग लेने के लिए आकर्षित कर सकता है, बल्कि टूर्नामेंट आयोजकों के लिए भी अधिक लचीलापन प्रदान कर सकता है। कम समय के मैचों का मतलब है कि एक टूर्नामेंट कम दिनों में पूरा किया जा सकता है, जिससे लागत कम होगी और पहुंच बढ़ेगी। क्या यह शतरंज को ओलंपिक में एक आकर्षक खेल के रूप में स्थापित करने में भी मदद कर सकता है? यह एक दिलचस्प संभावना है।

FIDE इस मामले की गंभीरता को समझता है और पूरी जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ रहा है। पायलट इवेंट्स वास्तविक दुनिया के परीक्षण के रूप में काम करेंगे। उनके समापन के बाद, FIDE परिणामों का गहन विश्लेषण करेगा और प्रतिभागियों से प्रतिक्रिया एकत्र करेगा, तभी आगे के कार्यान्वयन पर कोई निर्णय लिया जाएगा। यह एक समझदारी भरा कदम है – ठीक वैसे ही जैसे एक नया सॉफ़्टवेयर लॉन्च करने से पहले बीटा परीक्षण किया जाता है।

निष्कर्ष: बदलाव, लेकिन बुद्धिमत्ता के साथ

शतरंज, अपनी सदियों पुरानी विरासत के बावजूद, आधुनिक दुनिया की मांगों के प्रति संवेदनशील है। `फास्ट क्लासिक` पहल एक साहसिक कदम है जो खेल को अधिक समावेशी और सुलभ बनाने का वादा करता है, जबकि इसकी बौद्धिक गहराई और प्रतिस्पर्धी भावना को बनाए रखता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह पायलट प्रोजेक्ट कैसे परिणाम देता है और क्या `फास्ट क्लासिक` वास्तव में शतरंज के इतिहास में एक नया अध्याय लिखता है। समय आ गया है कि धैर्य का खेल भी समय के साथ दौड़ने को तैयार हो!

निरव धनराज

दिल्ली के प्रतिभाशाली खेल पत्रकार निरव धनराज हॉकी और बैडमिंटन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। उनकी रिपोर्टिंग में खिलाड़ियों की मानसिकता की गहरी समझ झलकती है।

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