फिडे महिला शतरंज विश्व कप 2025 के फाइनल में भारत की दो दिग्गज खिलाड़ियों – अनुभवी कोनेरू हम्पी और युवा सनसनी दिव्या देशमुख – के बीच पहला मुकाबला 41 चालों के बाद ड्रॉ पर समाप्त हुआ। जार्जिया के बटुमी में खेला गया यह मैच रणनीतिक सूझबूझ, दबाव और अप्रत्याशित मोड़ों से भरपूर था, जिसने भारतीय शतरंज प्रेमियों को अगले मुकाबले के लिए और भी उत्सुक कर दिया है। यह सिर्फ एक टूर्नामेंट का फाइनल नहीं, बल्कि भारतीय शतरंज के भविष्य का एक गौरवशाली अध्याय था, जहाँ जीत चाहे किसी की भी हो, पदक भारत के नाम ही दर्ज होना था। उम्मीदों का भार था, रोमांच चरम पर।
शुरुआती बढ़त और छूटे अवसर
सफेद मोहरों के साथ उतरीं दिव्या देशमुख ने खेल की शुरुआत आक्रामक ढंग से की। क्वीन के गैम्बिट एक्सेप्टेड ओपनिंग में उन्होंने जल्द ही एक स्पष्ट बढ़त हासिल कर ली। कोनेरू हम्पी ने बाद में स्वीकार किया कि उन्होंने इस चरण में कुछ गलत चालें चली थीं, जिसके परिणामस्वरूप 11वीं चाल तक दिव्या की स्थिति शतरंज इंजन द्वारा काफी बेहतर आंकी जा रही थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि युवा दिव्या अपनी रणनीति के साथ पूरी तरह तैयार थीं और अनुभवी हम्पी को मुश्किल में डाल रही थीं, जैसे कोई निडर शिकारी अपने शिकार को फंसा रहा हो।
हालांकि, शतरंज की बिसात पर हर चाल मायने रखती है और परिस्थितियां कभी भी पलट सकती हैं। दिव्या इस शुरुआती बढ़त को ठोस परिणाम में बदलने में सफल नहीं रहीं। 14वीं चाल तक आते-आते खेल एक बार फिर बराबरी पर आ गया। यह दिव्या के लिए एक छूटा हुआ अवसर था, जिसने हम्पी को खेल में वापस आने का मौका दिया। एक पल के लिए ऐसा लगा मानो किस्मत ने युवा खिलाड़ी का साथ छोड़ दिया हो, या शायद अनुभव ने रणनीति की धार को कुंद कर दिया।
समय का दबाव और साहसिक निर्णय
मैच के बीच में दिव्या देशमुख को समय के भारी दबाव का सामना करना पड़ा। 25वीं चाल तक उनके पास घड़ी में पांच मिनट से भी कम समय बचा था, जो ऐसी तनावपूर्ण स्थिति में एक बड़ा मानसिक बोझ होता है। आश्चर्यजनक रूप से, 29वीं चाल पर जब उन्हें तीन-बार दोहराव (three-fold repetition) के माध्यम से ड्रॉ लेने का स्पष्ट मौका मिला, तो उन्होंने उसे ठुकरा दिया। यह निर्णय उनके निडर स्वभाव और जीत की तीव्र इच्छा को दर्शाता था, भले ही इसका मतलब जोखिम उठाना हो। कुछ विशेषज्ञ इसे युवा आत्मविश्वास मान सकते थे, तो कुछ इसे एक खतरनाक जुआ। दिव्या की इस `मनाही` ने मैच में और भी रोमांच भर दिया। मानो वह कह रही हों, “जीतूंगी या सीखूंगी, पर हार नहीं मानूंगी!” यह दांव उन्हें या तो शिखर पर ले जा सकता था, या गहरे गर्त में धकेल सकता था।
अनुभवी हम्पी की वापसी और व्यावहारिक ड्रॉ
अनुभवी कोनेरू हम्पी ने इस स्थिति में अपनी मानसिक दृढ़ता और अनुभव का प्रदर्शन किया। उन्होंने अपनी स्थिति को धीरे-धीरे मजबूत किया और दबाव को झेलते हुए वापसी की। 34वीं चाल पर हम्पी ने एक हल्की सी चूक की, जब उन्होंने अपने प्यादे को d5 पर बढ़ाया। यह दिव्या के लिए एक और सुनहरा अवसर हो सकता था, लेकिन समय के दबाव और सही चाल खोजने में असमर्थता के कारण, दिव्या इस मौके को भी भुना नहीं पाईं। शतरंज के खेल में अक्सर `लगभग` जीत और `वास्तविक` जीत के बीच यही महीन रेखा होती है।
अंततः, 41वीं चाल पर, खिलाड़ियों ने एक बार फिर एक ही स्थिति को तीन बार दोहराया, और इस बार कोनेरू हम्पी ने ड्रॉ का दावा किया। यह हम्पी के लिए एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ड्रॉ माना जा सकता है, क्योंकि अगले गेम में सफेद मोहरों के साथ खेलने का मौका उन्हें मिलेगा। पूरे टूर्नामेंट में हम्पी का सफेद मोहरों के साथ प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है और वे अब तक अजेय रही हैं। यह ड्रॉ उन्हें अगले गेम में मनोवैज्ञानिक बढ़त दे सकता है, जहाँ वे अपनी पसंदीदा स्थिति से खेल को समाप्त करने का प्रयास करेंगी।
आगे क्या? भारतीय शतरंज की उम्मीदें
फिडे महिला शतरंज विश्व कप का फाइनल अभी समाप्त नहीं हुआ है। दूसरा गेम रविवार, 27 जुलाई को भारतीय समयानुसार शाम 4:45 बजे से खेला जाएगा। यदि दूसरा गेम भी ड्रॉ रहता है या दोनों खिलाड़ी एक-एक जीत हासिल करते हैं, तो विश्व कप का भाग्य सोमवार को होने वाले टाई-ब्रेक मुकाबलों पर निर्भर करेगा। हर भारतीय शतरंज प्रेमी की निगाहें अब इन दो धुरंधरों पर टिकी हैं।
यह `ऑल-इंडियन` फाइनल न केवल भारतीय शतरंज के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, बल्कि यह देश में महिला शतरंज की बढ़ती लोकप्रियता और शक्ति का भी प्रतीक है। कोनेरू हम्पी और दिव्या देशमुख दोनों ही अपनी-अपनी क्षमताओं के साथ विश्व मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। पहले गेम के ड्रॉ होने के बाद, अगले मुकाबले की उत्सुकता चरम पर है। कौन सी भारतीय खिलाड़ी विश्व चैंपियन का ताज अपने नाम करेगी, यह देखने के लिए हमें इंतजार करना होगा। लेकिन एक बात निश्चित है – यह फाइनल भारतीय शतरंज के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज किया जाएगा और दोनों खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से देश का गौरव बढ़ाया है।