गौतम गंभीर का सीधा सवाल: क्या सपाट पिचें टेस्ट क्रिकेट के लिए ‘ज़हर’ हैं?

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हाल ही में वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में भारत ने 2-0 से क्लीन स्वीप करते हुए शानदार जीत हासिल की। यह जीत भारतीय टीम के आत्मविश्वास को बढ़ाने वाली थी, लेकिन टीम के हेड कोच गौतम गंभीर ने इस जीत के बाद जो कहा, वह क्रिकेट जगत में एक नई बहस का केंद्र बन गया है। गंभीर ने दिल्ली की पिच की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि ऐसी सपाट पिचें टेस्ट क्रिकेट की मूल भावना को नुकसान पहुंचा सकती हैं। क्या वाकई पिचें इतनी बेजान थीं कि एक जीत के बावजूद कोच को चिंता व्यक्त करनी पड़ी?

दिल्ली की पिच: जहां `कैरी` ने तेज गेंदबाजों को रुलाया

दिल्ली में खेले गए टेस्ट मैच का फैसला पांचवें दिन के पहले घंटे में ही हो गया, जो भारत के लिए एक सीधी जीत का संकेत था। लेकिन गौतम गंभीर की पारखी नजरों में, इस सीधी जीत के पीछे एक बड़ी कमी थी – पिच पर `कैरी` (गेंद का उछाल और स्लिप तक पहुंचना) का अभाव। गंभीर के अनुसार, जब बल्लेबाज गेंद को किनारे से छूते हैं, तो गेंद पहली या दूसरी स्लिप तक पहुंचने के बजाय अक्सर टप्पा खाकर जमीन पर ही गिर जाती है। यह स्थिति तेज गेंदबाजों के लिए बेहद हताशाजनक होती है, क्योंकि उनकी बेहतरीन कोशिशें भी उचित फल नहीं दे पातीं।

“मुझे लगता है कि हमें यहां एक बेहतर विकेट मिल सकता था,” गंभीर ने स्पष्ट शब्दों में कहा। “हाँ, हमें पांचवें दिन परिणाम तो मिला, लेकिन फिर भी, मुझे लगता है कि किनारों (बल्ले के) को कैरी करना चाहिए।”

सोचिए, एक तेज गेंदबाज पूरे जोश और सटीकता के साथ गेंद फेंकता है, बल्लेबाज किनारे से छूता है, और स्लिप में खड़ा क्षेत्ररक्षक उम्मीद से हाथ फैलाता है, लेकिन गेंद बस उसके सामने टप्पा खाकर लुढ़क जाती है। यह न केवल गेंदबाज के मनोबल को तोड़ता है, बल्कि खेल के रोमांच को भी कम करता है।

तेज गेंदबाजों का महत्व: सिर्फ स्पिनरों के भरोसे नहीं

भारतीय पिचों को पारंपरिक रूप से स्पिन गेंदबाजों के लिए मददगार माना जाता है, और घरेलू सीरीज में स्पिनरों का दबदबा कोई नई बात नहीं है। न्यूजीलैंड के खिलाफ 3-0 की हार के बाद, जहां पिचें अत्यधिक स्पिन-अनुकूल थीं, भारत ने अहमदाबाद और दिल्ली में तुलनात्मक रूप से सपाट पिचें तैयार कीं। अहमदाबाद में वेस्टइंडीज के बल्लेबाजों ने संघर्ष किया, लेकिन दिल्ली में उन्होंने खुद को बेहतर तरीके से समायोजित कर लिया। गंभीर ने इस बात पर जोर दिया कि भले ही स्पिनरों की भूमिका महत्वपूर्ण हो, लेकिन जब टीम में जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज जैसे विश्व स्तरीय तेज गेंदबाज हों, तो उन्हें भी अपनी प्रतिभा दिखाने का उचित मौका मिलना चाहिए।

एक ऐसी पिच पर जहां तेज गेंदबाज अपनी पूरी ऊर्जा लगा दें, लेकिन गेंद को कोई खास मदद न मिले, तो यह न केवल उन खिलाड़ियों के लिए, बल्कि खेल की समग्र गुणवत्ता के लिए भी चिंता का विषय है। गंभीर की चिंता केवल जीत-हार तक सीमित नहीं है, बल्कि टेस्ट क्रिकेट के उस मौलिक सिद्धांत को बनाए रखने की है, जहां हर तरह के गेंदबाज को कुछ मदद मिले और हर बल्लेबाज को अपनी तकनीक का असली इम्तिहान देना पड़े।

टेस्ट क्रिकेट का भविष्य: अच्छी पिचों की अनिवार्यता

गौतम गंभीर का मानना है कि टेस्ट क्रिकेट को `जीवित` रखने की जिम्मेदारी हम सभी की है, और इसकी पहली शर्त है उत्कृष्ट सतहों पर खेलना। सपाट और बेजान पिचें खेल को नीरस बना देती हैं, जहां न तो बल्लेबाजों को अपनी पूरी क्षमता दिखानी पड़ती है और न ही गेंदबाजों को अपनी कला का जौहर दिखाने का पूरा अवसर मिलता है। ऐसे में, यह डर सताने लगता है कि दर्शक धीरे-धीरे खेल से दूरी बनाना शुरू कर सकते हैं।

एक रोमांचक टेस्ट मैच वह होता है जहां हर सत्र में खेल की दिशा बदलती है, जहां तेज गेंदबाज अपनी गति और स्विंग से बल्लेबाजों को परेशान करते हैं, स्पिनर अपनी विविधताओं से जाल बुनते हैं, और बल्लेबाज धैर्य व कौशल का प्रदर्शन करते हैं। अगर पिच इतनी सपाट हो कि गेंद मुश्किल से उछले, तो तेज गेंदबाजों की खतरनाक बाउंसर भी बेमानी हो जाती है, और बल्लेबाजों के लिए बचाव करना या रन बनाना एक आसान काम बन जाता है। यह खेल की स्वाभाविक चुनौती और रणनीति को कम कर देता है, जिससे टेस्ट क्रिकेट का असली `टेस्ट` ही खत्म हो जाता है।

आगे की राह: कोलकाता में उम्मीदें और निगाहें

अब सभी की निगाहें 14 नवंबर से कोलकाता के ऐतिहासिक ईडन गार्डन्स में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शुरू होने वाले पहले टेस्ट मैच पर टिकी हैं। क्या ईडन गार्डन्स की पिच गौतम गंभीर की उम्मीदों पर खरी उतरेगी? क्या हमें एक ऐसी संतुलित सतह देखने को मिलेगी जहां तेज गेंदबाजों को कुछ `कैरी` मिलेगी, स्पिनरों को उचित टर्न, और बल्लेबाजों को वास्तविक कौशल और धैर्य का परिचय देना पड़ेगा? यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय क्रिकेट प्रबंधन इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर क्या रुख अपनाता है और क्या गंभीर की बात को गंभीरता से लिया जाता है।

गंभीर का बयान सिर्फ एक शिकायत नहीं, बल्कि टेस्ट क्रिकेट के प्रति उनके गहरे जुनून और उसके दीर्घकालिक स्वास्थ्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह एक महत्वपूर्ण याद दिलाता है कि केवल जीतना ही सब कुछ नहीं है, बल्कि जिस तरीके से वह जीत हासिल की जाती है, और जिस खेल को हम प्यार करते हैं, उसकी गुणवत्ता भी उतनी ही मायने रखती है।

प्रमोद विश्वनाथ

बेंगलुरु के वरिष्ठ खेल पत्रकार प्रमोद विश्वनाथ फुटबॉल और एथलेटिक्स के विशेषज्ञ हैं। आठ वर्षों के अनुभव ने उन्हें एक अनूठी शैली विकसित करने में मदद की है।

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