क्रिकेट के इतिहास में कुछ टीमें अपनी खास पहचान के लिए जानी जाती हैं। वेस्टइंडीज की टीम उनमें से एक थी, जिसे उसकी घातक तेज गेंदबाजी के लिए दुनिया भर में खौफ का दूसरा नाम माना जाता था। माइकल होल्डिंग, एंडी रॉबर्ट्स, मैल्कम मार्शल, जोएल गार्नर, कर्टली एम्ब्रोस और कर्टनी वॉल्श जैसे नामों ने विपक्षी बल्लेबाजों के पसीने छुड़ा दिए थे। उनकी बाउंसरें सिर्फ गेंद नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक हथियार होती थीं। लेकिन, क्या वह दौर अब पूरी तरह से अतीत की बात हो चुका है?
गावस्कर का तीखा सवाल और बिशप की चुप्पी
हाल ही में भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेले गए दूसरे टेस्ट मैच के पहले दिन लाइव टीवी कमेंट्री के दौरान एक ऐसा पल आया, जिसने इस गंभीर सवाल को फिर से सबके सामने ला खड़ा किया। महान भारतीय बल्लेबाज और अब एक मुखर कमेंटेटर सुनील गावस्कर ने वेस्टइंडीज के पूर्व तेज गेंदबाज इयान बिशप को सीधे तौर पर ललकारा। वेस्टइंडीज के गेंदबाजों – जयडेन सील्स और एंडरसन फिलिप – ने नई गेंद से पहले आधे घंटे में एक भी बाउंसर नहीं फेंकी थी। भारतीय सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल और केएल राहुल आसानी से रन बटोर रहे थे।
“छह ओवर हो गए हैं नई गेंद से और वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों की तरफ से एक भी बाउंसर नहीं आई है। क्या हो रहा है, इयान? वेस्टइंडीज की तेज गेंदबाजी को क्या हो गया है?” – सुनील गावस्कर
गावस्कर का यह सवाल सिर्फ एक टिप्पणी नहीं था, यह एक युग के पतन पर एक करारा प्रहार था। इयान बिशप, जो खुद वेस्टइंडीज की तेज गेंदबाजी की शान रहे हैं, इस सवाल से स्तब्ध रह गए। कुछ पल के लिए उनके पास कोई जवाब नहीं था। उनकी चुप्पी ने उस दर्द को और गहरा कर दिया, जिसे हर क्रिकेट प्रेमी महसूस कर रहा था।
हालांकि, साथी कमेंटेटर हर्षा भोगले ने माहौल को हल्का करने की कोशिश की। अपनी चिरपरिचित मुस्कान के साथ उन्होंने कहा, “वह कमेंट्री बॉक्स में हैं, यहां से बाउंसर डालना थोड़ा मुश्किल है।” यह सुनकर थोड़ी हंसी आई, लेकिन गावस्कर के सवाल की गंभीरता जस की तस बनी रही। अंततः, बिशप ने एक कमजोर-सा जवाब दिया, “मुझे यकीन है कि सील्स जैसे खिलाड़ी जल्द ही एक बाउंसर फेंकेंगे।” उम्मीद से भरा यह जवाब क्या सिर्फ एक औपचारिकता थी या वेस्टइंडीज क्रिकेट के लिए एक सच्ची प्रार्थना?
मैदान पर भारत का दबदबा और वेस्टइंडीज की कमजोरी
कमेंट्री बॉक्स के बाहर, अरुण जेटली स्टेडियम में, मैदान पर कहानी बिल्कुल स्पष्ट थी। भारतीय टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और एक मजबूत शुरुआत दी। यशस्वी जायसवाल और केएल राहुल ने शुरुआती सावधानी के बाद तेजी से रन बटोरे। राहुल ने सील्स के खिलाफ लगातार दो शानदार बाउंड्री लगाकर अपनी क्लास दिखाई, तो जायसवाल ने फिलिप के खिलाफ `बुलेट जैसी` सीधी ड्राइव से अपने इरादे साफ कर दिए।
वेस्टइंडीज की तेज गेंदबाजी, जिसमें कभी आग और गति होती थी, अब कहीं से भी वैसी घातक नहीं दिख रही थी। राहुल को आउट करने में स्पिनर जोमेल वारिकन को कामयाबी मिली, लेकिन यह तेज गेंदबाजों की विफलता को और उजागर करता है। जायसवाल ने अपना शानदार फॉर्म जारी रखा, जबकि नंबर तीन पर आए साई सुदर्शन ने भी संयम भरी शुरुआत की, जिससे भारतीय पारी को और मजबूती मिली।
दिलचस्प बात यह भी रही कि पहले सत्र में विराट कोहली के नाम के नारे लगा रहे दर्शक, लंच तक यशस्वी जायसवाल के नाम का जयघोष करने लगे। यह बदलती प्राथमिकता और वर्तमान प्रदर्शन का सीधा प्रमाण था।
एक युग का अंत या नई शुरुआत की तलाश?
गावस्कर का वह सवाल सिर्फ एक मैच के बारे में नहीं था; यह वेस्टइंडीज क्रिकेट की आत्मा के बारे में था। एक समय था जब उनके तेज गेंदबाज किसी भी पिच पर कहर बरपा सकते थे, लेकिन आज उन्हें बाउंसर फेंकने के लिए भी याद दिलाना पड़ रहा है। क्या यह वेस्टइंडीज क्रिकेट के लिए एक वेक-अप कॉल है? या फिर यह सिर्फ बदलते क्रिकेट के परिदृश्य की एक झलक है, जहां स्पिनर भी उतनी ही अहमियत रखते हैं?
वेस्टइंडीज के पास अभी भी प्रतिभा है, लेकिन उन्हें अपनी उस `आग` को फिर से खोजने की जरूरत है, जिसने उन्हें एक समय दुनिया की सबसे खतरनाक टीम बनाया था। गावस्कर की टिप्पणी भले ही तीखी थी, लेकिन यह शायद उस देश के लिए एक प्रेरणा है, जिसने क्रिकेट को कई अमर हीरो दिए हैं। उम्मीद है कि इयान बिशप की छोटी-सी उम्मीद जल्द ही बड़े बदलाव में बदलेगी।