जब विराट कोहली के शब्दों ने ईशांत शर्मा को दिलाई ‘सजा’ और ‘जीत’: श्रीलंका दौरे का वो अनकहा किस्सा

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भारतीय क्रिकेट इतिहास में कुछ अध्याय ऐसे हैं जो अपने नायक के व्यक्तित्व से पूरी तरह रंगे हुए हैं। विराट कोहली का टेस्ट कप्तानी का दौर ऐसा ही एक सुनहरा अध्याय है, जिसे आक्रामकता, जुनून और कभी न हार मानने वाली भावना के लिए जाना जाता है। उन्होंने भारतीय टीम को टेस्ट रैंकिंग में सातवें स्थान से उठाकर शिखर पर पहुंचाया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी आक्रामक शैली की एक दिलचस्प कहानी में, उनके सबसे भरोसेमंद तेज गेंदबाजों में से एक, ईशांत शर्मा को मैदान पर इतना उत्तेजित कर दिया था कि उन्हें एक मैच का प्रतिबंध झेलना पड़ा?

कोहली की आक्रामक कप्तानी का आगाज़

यह बात 2015 के श्रीलंका दौरे की है, जब विराट कोहली ने एमएस धोनी के संन्यास के बाद पूर्णकालिक टेस्ट कप्तान के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी। कोहली का इरादा साफ था: विरोधी टीम को उसी की भाषा में जवाब देना, चाहे कुछ भी हो जाए। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने एक नई पहचान बनाई, जहां हर खिलाड़ी मैदान पर अपनी पूरी जान लगा देता था, और ईशांत शर्मा इस आक्रामक सेना के एक महत्वपूर्ण सिपाही थे।

मैदान पर चिंगारी और `असहज` शांति

कहानी शुरू होती है दूसरे टेस्ट के दौरान। श्रीलंकाई तेज गेंदबाज धम्मिका प्रसाद ईशांत पर लगातार बाउंसर फेंक रहे थे। ईशांत ने एक रन लिया और नॉन-स्ट्राइकर एंड पर पहुंचते ही प्रसाद को छेड़ा, “तुम इतने धीमे हो कि मुझे सिर पर चोट नहीं पहुंचा सकते।” यह टिप्पणी आग में घी का काम कर गई। दोनों के बीच मौखिक बहस चलती रही, तभी अचानक दिनेश चांदीमल तीसरे मैन से आकर ईशांत को कोहनी मार गए।

यह सब कुछ ही पलों में हुआ। अश्विन आउट हुए और ईशांत अपने जूते बदलने के लिए ड्रेसिंग रूम की ओर भागे। उन्हें लगा मामला शांत हो गया है। बाहर, रवि शास्त्री (तत्कालीन टीम निदेशक) और श्रीलंकाई टीम के मैनेजर के बीच बातचीत चल रही थी। ईशांत अपनी दुनिया में थे, उन्हें अगले पल आने वाले तूफान का अंदाजा नहीं था।

विराट का `प्रेरणादायक` इंजेक्शन

ईशांत ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि **विराट कोहली को पता था कि उन्हें कैसे उकसाना है।** ड्रेसिंग रूम में आते ही विराट ने ईशांत से कहा, “वह तुम्हारे पीछे तुम्हें मारने आया था, और तुमने कुछ नहीं किया? धम्मिका प्रसाद तुम्हें मारने आया था!” इसके बाद उन्होंने ईशांत को चांदीमल द्वारा कोहनी मारने का वीडियो दिखाया। ईशांत का कहना है कि उस पल वह **`पागल`** हो गए थे। जो गुस्सा अंदर दबा था, वह कोहली के शब्दों और वीडियो को देखकर भड़क उठा। उनका सुरक्षात्मक स्वभाव जाग गया। मैदान पर उनकी मैच फीस पहले ही कट चुकी थी (पहले टेस्ट में दो श्रीलंकाई बल्लेबाजों को `सेंड-ऑफ` देने के लिए), लेकिन अब उनका गुस्सा सातवें आसमान पर था।

“विराट मुझे उकसाना जानता है। मैं बेखबर था। तभी विराट ने मुझसे कहा, `वो तेरे पीछे तुझे मारने आ गया, और तूने कुछ नहीं किया? धम्मिका प्रसाद तुझे मारने आया था।` फिर उसने मुझे वह क्लिप दिखाई जहाँ चांदीमल ने मुझे कोहनी मारी थी। और मैं कसम खाता हूँ, मैं पागल हो गया। मैं आमतौर पर इतना आक्रामक नहीं होता, लेकिन उस दिन, मेरा सुरक्षात्मक मोड हावी हो गया।” – ईशांत शर्मा

गुस्सा, विकेट और प्रतिबंध का चक्र

मैदान पर वापस आते ही, ईशांत ने मानो अपना सारा गुस्सा गेंदों में उतार दिया। उन्होंने तीन श्रीलंकाई बल्लेबाजों को आउट किया और उनके सामने आक्रामक तरीके से जश्न मनाया। परिणाम? उन्हें एक मैच का प्रतिबंध झेलना पड़ा। यह घटना विराट कोहली की कप्तानी का एक सटीक उदाहरण बन गई – जहां आक्रामकता कभी-कभी हद पार कर जाती थी, लेकिन अक्सर टीम के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आती थी। एक कप्तान की जुबान से निकले कुछ शब्द किसी खिलाड़ी के खेल को किस हद तक प्रभावित कर सकते हैं, यह उसका एक जीता-जागता प्रमाण था। कोहली ने ईशांत के अंदर की आग को पहचाना और उसे हवा दी, भले ही इसकी कीमत प्रतिबंध के रूप में चुकानी पड़ी।

प्रतिबंध के बाद जीत का शिल्पकार

हालांकि इस घटना के कारण ईशांत को बाहर बैठना पड़ा, लेकिन उन्होंने उसी सीरीज के निर्णायक और महत्वपूर्ण मैच में जबरदस्त भूमिका निभाई। कोलंबो में, उन्होंने आठ विकेट लेकर भारत को सीरीज जिताने में मदद की और इसी दौरान अपने 200 टेस्ट विकेट भी पूरे किए। यह कहानी सिर्फ एक निलंबन की नहीं, बल्कि एक कप्तान की अपनी टीम से सर्वोत्तम प्रदर्शन निकालने की अनूठी शैली की भी है, भले ही इसके लिए जोखिम उठाना पड़े। विराट की प्रेरणा ने ईशांत को सजा दिलाई, लेकिन उसी प्रेरणा ने उन्हें वापसी करने और चमकने का भी मौका दिया।

यह किस्सा बताता है कि खेल के मैदान पर सिर्फ कौशल ही नहीं, बल्कि खिलाड़ियों का मनोविज्ञान, कप्तान की नेतृत्व शैली और क्षणिक भावनाएं भी कितनी महत्वपूर्ण होती हैं। विराट कोहली की कप्तानी का यही वो अनूठा रंग था, जिसने भारतीय टेस्ट क्रिकेट को एक नई दिशा दी – विवादित सही, पर प्रभावी ज़रूर।

निरव धनराज

दिल्ली के प्रतिभाशाली खेल पत्रकार निरव धनराज हॉकी और बैडमिंटन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। उनकी रिपोर्टिंग में खिलाड़ियों की मानसिकता की गहरी समझ झलकती है।

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