केन्या के काकुमा शरणार्थी शिविर में 28 जून को एक बेहद खास दिन था। इस दिन 330 से अधिक युवा लड़कियों ने एक विशेष शतरंज कार्यक्रम में भाग लिया। यह कोई सामान्य आयोजन नहीं था, बल्कि प्रेरणादायक बातचीत, दोस्ताना शतरंज के मुकाबले और सीधे जुड़ाव का एक यादगार अवसर था। जो रिश्ता अक्सर वर्चुअल माध्यमों से जुड़ता था, वह इस दिन शिविर की जमीन पर एक जीवंत उत्सव के रूप में साकार हुआ, जिसका मुख्य उद्देश्य शतरंज के ज़रिए लड़कियों को सशक्त बनाना था।
यह कार्यक्रम FIDE के `चेस फॉर प्रोटेक्शन` प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसे विशेष रूप से विस्थापित समुदायों के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस व्यापक पहल के तहत, FIDE कमीशन फॉर विमेन चेस द्वारा `गर्ल्स क्लब` चलाया जाता है, जो काकुमा शिविर में रहने वाली लड़कियों को लगातार समर्थन, प्रशिक्षण और आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करता है। सामान्य तौर पर, `गर्ल्स क्लब` अंतर्राष्ट्रीय कोचों और एक स्थानीय प्रशिक्षक के साथ साप्ताहिक ऑनलाइन सत्र आयोजित करता है। ये सत्र केवल शतरंज सिखाने तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि लड़कियों को अनुशासन, आत्मविश्वास और दुनिया से जुड़े होने का महत्वपूर्ण अहसास भी देते हैं।
शरणार्थी शिविर में आयोजन: एक चुनौती, एक संदेश
यह समझना ज़रूरी है कि किसी शरणार्थी शिविर में इस तरह का बड़ा कार्यक्रम आयोजित करना कोई आसान काम नहीं है। वहां पहुंचना, लॉजिस्टिक्स संभालना, ज़रूरी अनुमतियां प्राप्त करना और सभी तक जानकारी पहुंचाना – हर कदम पर सावधानीपूर्वक योजना और स्थानीय भागीदारों के साथ मजबूत समन्वय की आवश्यकता होती है। इसके बावजूद, व्यक्तिगत रूप से वहां मौजूद होने और लड़कियों से सीधे जुड़ने का प्रभाव शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। यह शिविर की लड़कियों और उनके समुदाय को एक स्पष्ट और शक्तिशाली संदेश देता है: `हम आपको देख रहे हैं। हम आपकी परवाह करते हैं। और हम आपके लिए यह करने के लिए यहां हैं।` इस संदेश का गहरा असर हुआ। शिविर के विभिन्न स्कूलों से 330 से अधिक लड़कियों की भागीदारी इस बात का प्रमाण है, और यह उपस्थिति कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों के लिए बेहद प्रेरणादायक थी।
शतरंज के मोहरों से जीवन के पाठ
इस विशेष दिन का सबसे यादगार पल `द गिफ्ट ऑफ चेस` की निदेशक, फाइलिस नगिगी का प्रेरणादायक संबोधन था। उन्होंने विशेष रूप से इस कार्यक्रम के लिए काकुमा की यात्रा की थी और उनकी बातचीत का शीर्षक था `रानियों की तरह उठना: शतरंज के माध्यम से जीवन के पाठ`। फाइलिस ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए शतरंज के हर मोहरे को जीवन के लिए एक रूपक के तौर पर इस्तेमाल किया और लचीलेपन व आशा के संदेश में गहरे जीवन पाठों को पिरोया:
- प्यादा (Pawn): छोटे कदम, बड़े सपने। संदेश साफ था – चलते रहो। तुम अपने जीवन को बदल सकती हो।
- घोड़ा (Knight): साहसी बनो, अलग सोचो। भले ही सीधा रास्ता न दिखे, तुम अपना रास्ता ढूंढ सकती हो।
- ऊंट (Bishop): अपने उद्देश्य का पालन करो। अपनी यात्रा पर केंद्रित और समर्पित रहो।
- हाथी (Rook): ताकत बनाओ, दृढ़ रहो। अपने और दूसरों के लिए एक मजबूत नींव बनो।
- रानी (Queen): शक्ति और नेतृत्व। याद रखो, तुम्हारे पास नेतृत्व करने, रक्षा करने और जीतने की शक्ति है।
फाइलिस का संदेश लड़कियों के दिलों तक पहुंचा और इसने उन्हें यह सोचने पर मजबूर किया कि कैसे शतरंज सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि जीवन की चुनौतियों का सामना करने और आगे बढ़ने का एक तरीका भी है।
उदार समर्थन और भविष्य की ओर
इस कार्यक्रम की एक और महत्वपूर्ण बात यह थी कि इस बढ़ते हुए शतरंज समुदाय को अब ज़रूरी उपकरण भी मिले हैं। `द गिफ्ट ऑफ चेस` ने 100 शतरंज सेट दान किए, और DGT ने 100 डिजिटल शतरंज घड़ियां दीं। ये उपकरण अगले ही दिन, 29 जून को `चेस फॉर प्रोटेक्शन` कार्यक्रम के सभी शरणार्थियों के लिए आयोजित होने वाले बड़े टूर्नामेंट में तुरंत इस्तेमाल किए जाएंगे, जिसमें `गर्ल्स क्लब` की लड़कियां भी शामिल होंगी।
हमें उम्मीद है कि यह केवल शुरुआत है। निरंतर समर्थन और ऐसे अवसरों के साथ, हमारा मानना है कि अगली शतरंज ओलंपियाड में शरणार्थी टीम में ऐसे सदस्य शामिल हो सकते हैं जिन्होंने शतरंज की दुनिया में अपने पहले कदम यहीं काकुमा में रखे हैं।
`चेस फॉर प्रोटेक्शन` परियोजना FIDE और UNHCR के बीच निरंतर सहयोग का परिणाम है, जिनकी साझा दृष्टि शतरंज के माध्यम से समावेश और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है, और जो काकुमा के असाधारण लोगों को लगातार प्रेरित और सक्षम बना रही है। यह कहानी दर्शाती है कि कैसे एक खेल, सही इरादे और समर्थन के साथ, सबसे कठिन परिस्थितियों में भी आशा और अवसर की किरण बन सकता है।