भारतीय क्रिकेट में हाल ही में एक ऐसी खबर आई है जिसने लाखों प्रशंसकों के दिलों में हलचल मचा दी है: रोहित शर्मा, जिन्हें प्यार से `हिटमैन` के नाम से जाना जाता है, अब वनडे क्रिकेट में भारतीय टीम की कप्तानी नहीं करेंगे। इस पद पर युवा और प्रतिभाशाली शुभमन गिल को नियुक्त किया गया है, जिसके साथ ही रोहित के कप्तानी के युग का अंत हो गया है। लेकिन यह सिर्फ एक बदलाव नहीं, बल्कि एक ऐसे सवाल को जन्म देता है जो क्रिकेट प्रेमियों और विशेषज्ञों के बीच गरमागरम बहस का विषय बन गया है: क्या कप्तानी का बोझ उतरने के बाद रोहित की आक्रामक बल्लेबाजी का अंदाज़ भी बदल जाएगा?
कप्तान के तौर पर रोहित शर्मा ने अपनी एक अलग छाप छोड़ी है। उन्होंने मैदान पर हमेशा से ही एक बेखौफ और आक्रामक ब्रांड की क्रिकेट खेली है, खासकर ओपनर के तौर पर पहली गेंद से ही विपक्षी गेंदबाजों पर दबाव बनाने का उनका तरीका अद्भुत रहा है। उनके निस्वार्थ इरादे और मैदान पर प्रदर्शन को आंकड़ों का भी समर्थन मिला है। 2023 वनडे विश्व कप और 2025 चैंपियंस ट्रॉफी दोनों में, रोहित ने शीर्ष पांच में किसी भी भारतीय बल्लेबाज से बेहतर स्ट्राइक-रेट से बल्लेबाजी की थी। वह सिर्फ रन नहीं बनाते थे, बल्कि टीम के लिए मंच तैयार करते थे।
लेकिन अब, जब कप्तानी की बागडोर उनके हाथ से निकल चुकी है, तो पूर्व भारतीय क्रिकेटर और उनके पूर्व साथी रॉबिन उथप्पा ने इस बदलाव पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। उथप्पा का मानना है कि कप्तानी से हटाए जाने के बाद रोहित का बल्लेबाजी में थोड़ा अधिक सतर्क रुख अपनाना स्वाभाविक हो सकता है।
उथप्पा ने `द किमअप्पा शो` पर बोलते हुए कहा, “रोहित शर्मा ने पिछले तीन-चार सालों में वनडे क्रिकेट में भी अपनी आक्रामकता बढ़ाई है। मुझे लगता है कि यह उनके लिए एक तरह का परिवर्तन रहा है… उन्हें शायद लगा होगा कि उन्हें मोर्चे से नेतृत्व करना है। अब, वह शायद थोड़ा अधिक सतर्क रहेंगे क्योंकि एक कप्तान को टीम से बाहर करना कहीं ज़्यादा मुश्किल होता, जबकि अब एक खिलाड़ी के तौर पर यह आसान होगा।”
उथप्पा का तर्क स्पष्ट है: एक कप्तान को टीम से बाहर करना कहीं ज़्यादा मुश्किल होता है, जबकि एक साधारण खिलाड़ी के लिए प्रदर्शन के आधार पर जगह बनाना लगातार दबाव का काम है। चयनकर्ताओं ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि रोहित और विराट कोहली जैसे वरिष्ठ खिलाड़ियों का चयन अब `योग्यता के आधार पर` होगा। यह एक ऐसी तलवार है जो हर खिलाड़ी के सिर पर लटकी रहती है, और यह मानसिक रूप से एक अलग तरह का दबाव पैदा करता है। क्या यह विडंबना नहीं कि कप्तानी का बोझ उतरने के बाद, प्रदर्शन का बोझ उस आक्रामक खेल को धीमा कर दे जिसकी रोहित से हमेशा उम्मीद की जाती है?
कप्तान रहते हुए रोहित खुद को मोर्चे से लीड करते थे, वह आक्रामक फैसले लेते थे और अपनी बल्लेबाजी से संदेश देते थे। अब जब वह केवल एक खिलाड़ी हैं, तो क्या वह अपने स्वाभाविक खेल को उसी निडरता से खेल पाएंगे, या उनके मन में यह विचार होगा कि एक गलत शॉट या कुछ धीमी पारियां उन्हें टीम से बाहर कर सकती हैं? यह एक सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक बदलाव है जो किसी भी खिलाड़ी के खेल को प्रभावित कर सकता है।
हालांकि, `हिटमैन` ने वनडे से संन्यास लेने की बात खारिज कर दी है, लेकिन 2027 विश्व कप तक उनकी उम्र 40 के करीब होगी। ऐसे में, केवल एक प्रारूप में सक्रिय रहने और लगातार फॉर्म व फिटनेस बनाए रखने की चुनौती बड़ी है। हालांकि, इस मोर्चे पर कुछ अच्छी खबर भी है। पूर्व भारतीय सहायक कोच अभिषेक नायर ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर बताया कि रोहित ने 10 किलोग्राम वजन कम किया है, जो उनकी फिटनेस के प्रति गंभीर प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह निश्चित रूप से उम्मीद की किरण है कि वह लंबी दौड़ के लिए तैयार हैं।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आगामी तीन मैचों की वनडे सीरीज रोहित के लिए एक नई शुरुआत होगी, सात महीनों में यह उनका पहला वनडे मुकाबला होगा। यह सीरीज न केवल उनके फॉर्म की परीक्षा होगी, बल्कि यह भी दिखाएगी कि कप्तानी के बिना `हिटमैन` किस मानसिकता के साथ मैदान पर उतरते हैं।
सवाल यह नहीं कि रोहित शर्मा रन बनाएंगे या नहीं, बल्कि यह है कि वह किस `अंदाज़` में रन बनाएंगे। क्या हम उसी बेखौफ `हिटमैन` को देखेंगे जो गेंदबाजों पर कहर बरपाता था, या कप्तानी के बाद का दबाव उन्हें थोड़ा `समझदार` बना देगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन भारतीय क्रिकेट फैंस की निगाहें उन पर टिकी होंगी, यह जानने के लिए कि क्या `किंग` रोहित अपनी विरासत को एक नए और शायद और भी प्रभावशाली तरीके से जारी रख पाएंगे।