क्रिकेट के भूले-बिसरे अध्याय: ‘थप्पड़कांड’ की पुरानी फाइलें क्यों खुल रही हैं?

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क्रिकेट जगत सिर्फ चौकों-छक्कों और विकेटों का खेल नहीं, बल्कि अपने साथ कई ऐसे किस्से भी समेटे रहता है, जिनकी गूँज सालों बाद भी सुनाई देती है। हाल ही में, एक बार फिर 2008 के इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में हुए `थप्पड़कांड` ने सुर्खियाँ बटोरी हैं, जब पूर्व आईपीएल चेयरमैन ललित मोदी ने इससे जुड़ा एक वीडियो सार्वजनिक किया। इस घटना ने एक बार फिर पूर्व भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह के पुराने घावों को कुरेद दिया है, और उन्होंने ललित मोदी के इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

जब मैदान पर टूटा था धैर्य: 2008 का `थप्पड़कांड`

2008 का आईपीएल, अपने पहले सीज़न में ही रोमांच और विवादों का अखाड़ा बन गया था। एक मैच के बाद, मुंबई इंडियंस के कप्तान हरभजन सिंह और किंग्स इलेवन पंजाब के तेज गेंदबाज एस. श्रीसंत के बीच मैदान पर ही एक अप्रत्याशित घटना घटी। पोस्ट-मैच हैंडशेक के दौरान, हरभजन ने श्रीसंत को कथित तौर पर थप्पड़ मार दिया। यह घटना कैमरे में कैद हो गई, और श्रीसंत को मैदान पर रोते हुए देखा गया, जिससे क्रिकेट जगत में भूचाल आ गया।

हरभजन सिंह को अपने इस आक्रामक व्यवहार के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा। उन्हें शेष सीज़न के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था, और बाद में बीसीसीआई ने उन्हें पांच एकदिवसीय मैचों के लिए भी निलंबित कर दिया। इस घटना के लिए हरभजन ने सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी, और समय के साथ यह प्रकरण क्रिकेट के इतिहास के पन्नों में दब सा गया, एक कड़वी याद बनकर रह गया, जिसे शायद हर कोई भूलना चाहता था।

ललित मोदी ने फिर क्यों छेड़ी पुरानी राग?

मामले को 15 साल से अधिक का समय बीत चुका है। हरभजन और श्रीसंत, दोनों ही अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुके हैं। हरभजन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया है और अब एक क्रिकेट विशेषज्ञ और राजनेता के रूप में सक्रिय हैं, जबकि श्रीसंत भी कई उतार-चढ़ाव के बाद मैदान पर वापसी कर चुके हैं। ऐसे में, 29 अगस्त को पूर्व आईपीएल चेयरमैन और कमिश्नर ललित मोदी ने अचानक से इस पुरानी घटना से जुड़ा एक वीडियो क्लिप सार्वजनिक करके, जैसे जले पर नमक छिड़कने का काम किया। उन्होंने यह वीडियो माइकल क्लार्क के साथ एक `बियोंड 23 क्रिकेट पॉडकास्ट` के दौरान साझा किया, और देखते ही देखते यह क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।

हरभजन का तीखा पलटवार: `इसकी कोई जरूरत नहीं थी!`

इस वीडियो के सामने आने के बाद `टर्बनेटर` हरभजन सिंह का गुस्सा फूट पड़ा है। उन्होंने इस कदम पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी।

हरभजन सिंह ने कहा: “मुझे समझ नहीं आता कि इसे सार्वजनिक करने की क्या आवश्यकता थी। सब अलग सोचते हैं। जो हुआ वह गलत था, और मैं इसके लिए पहले ही माफी मांग चुका हूँ। एक खिलाड़ी के तौर पर, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। लोग अपनी गलतियों से सीखते हैं, और अगर उस समय मुझमें पर्याप्त समझ होती, तो मैं ऐसा नहीं करता।”

हरभजन ने ललित मोदी की मंशा पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि मोदी उस समय शायद `प्रभाव में` थे या सिर्फ `मजाक कर रहे थे` जब उन्होंने यह वीडियो जारी किया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर वह मोदी की जगह होते, तो वह कभी ऐसा कोई वीडियो बाहर नहीं आने देते, क्योंकि यह एक संवेदनशील मामला था। हरभजन की इस प्रतिक्रिया में एक परिपक्व खिलाड़ी का दर्द और पुरानी गलतियों से सीख लेने का भाव साफ झलक रहा है।

डिजिटल युग में अतीत: क्या कुछ कहानियों को दफ़्न रहने देना बेहतर नहीं?

आज के डिजिटल युग में, जहाँ हर पल कैमरे में कैद हो जाता है और सोशल मीडिया पर एक क्लिक से कोई भी पुरानी चीज़ फिर से वायरल हो सकती है, अतीत से पीछा छुड़ाना मुश्किल हो गया है। `थप्पड़कांड` का यह पुनरुत्थान हमें कई महत्वपूर्ण सवाल पूछने पर मजबूर करता है:

  • क्या किसी पुरानी और सुलझ चुकी घटना को दोबारा सार्वजनिक करने का कोई वास्तविक उद्देश्य होता है, सिवाय सनसनी फैलाने के?
  • क्या सार्वजनिक हस्तियों की यह जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे अतीत के घावों को कुरेदने की बजाय, खेल भावना और सामंजस्य को बढ़ावा दें?
  • और सबसे बढ़कर, क्या हर पुरानी `बोतल` को खोलना वाकई जरूरी है, भले ही उसमें पुरानी शराब की जगह सिर्फ कड़वी यादें ही क्यों न भरी हों?

ऐसा लगता है कि कुछ लोगों को क्रिकेट के मैदान से ज़्यादा, सोशल मीडिया के मैदान में पुरानी गेंदें उछालने में मज़ा आता है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि समय और माफी के बावजूद, कुछ विवादों को हमेशा के लिए पीछे छोड़ना कठिन होता है, खासकर जब उन्हें जानबूझकर फिर से जिंदा किया जाए।

निष्कर्ष: आगे बढ़ो, पर इतिहास से सीखो

हरभजन सिंह की प्रतिक्रिया बिलकुल स्वाभाविक है। किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन के एक अप्रिय अध्याय को, जिससे उसने माफी मांगकर आगे बढ़ना सीख लिया है, बार-बार सार्वजनिक रूप से उछाले जाने पर बुरा लगेगा। `थप्पड़कांड` का यह नया अध्याय हमें याद दिलाता है कि क्रिकेट केवल एक खेल नहीं, बल्कि भावनाओं का एक संगम है। इसमें जीत-हार, दोस्ती-दुश्मनी, और कभी-कभी मानवीय त्रुटियाँ भी शामिल होती हैं।

और कभी-कभी, कुछ कहानियों को वक्त के साथ शांत होने देना ही बेहतर होता है, ताकि नई और बेहतर कहानियों के लिए जगह बन सके। ललित मोदी का यह कदम जहाँ कुछ लोगों के लिए मनोरंजन हो सकता है, वहीं हरभजन जैसे खिलाड़ियों के लिए यह अतीत की एक अनावश्यक और दर्दनाक याद को फिर से जीवित करने जैसा है। खेल और जीवन दोनों में, आगे बढ़ना और गलतियों से सीखना महत्वपूर्ण है, लेकिन पुराने ज़ख्मों को बेवजह कुरेदना शायद ही किसी के हित में होता है।

निरव धनराज

दिल्ली के प्रतिभाशाली खेल पत्रकार निरव धनराज हॉकी और बैडमिंटन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। उनकी रिपोर्टिंग में खिलाड़ियों की मानसिकता की गहरी समझ झलकती है।

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