क्रिकेट के मैदान पर ‘रवैया’ बनाम ‘प्रदर्शन’: युवा हर्षित राणा पर श्रीकांत का तीखा प्रहार

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दुबई का अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम, एशिया कप 2025 का एक अहम सुपर फोर मुकाबला। भारत और श्रीलंका आमने-सामने थे। मुकाबला रोमांचक रहा और अंततः सुपर ओवर तक खिंच गया, जहाँ भारत ने बाजी मारी। लेकिन इस मैच ने सिर्फ क्रिकेट प्रेमियों का दिल ही नहीं जीता, बल्कि एक नई बहस को भी जन्म दिया – क्रिकेट के मैदान पर `रवैया` कितना मायने रखता है? यह सवाल खड़ा हुआ भारतीय टीम के युवा तेज गेंदबाज हर्षित राणा के प्रदर्शन और उनके खास `अंदाज` को लेकर, जिस पर 1983 विश्व कप विजेता कृष्णमाचारी श्रीकांत ने तीखे बोल बोले हैं।

जब `फिल्मी नौटंकी` पर भड़के दिग्गज श्रीकांत

शुक्रवार को श्रीलंका के खिलाफ हुए इस मैच में हर्षित राणा का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। अपने चार ओवरों के कोटे में उन्होंने 54 रन लुटाए और सिर्फ एक विकेट ले पाए। श्रीलंकाई बल्लेबाजों ने उनकी गेंदों पर जमकर रन बटोरे, जिससे हर्षित की पहले से ही अनुभवी गेंदबाजों पर तरजीह दिए जाने को लेकर उठ रहे सवाल और गहरे हो गए।

इस प्रदर्शन के बाद, पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज और अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाने वाले कृष्णमाचारी श्रीकांत ने हर्षित राणा को आड़े हाथों लिया। उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर स्पष्ट शब्दों में कहा:

“हर्षित राणा बहुत ज्यादा फिल्मी नौटंकी करते हैं। यह सभी फिल्मी प्रतिक्रियाएं किसी काम की नहीं हैं, आपको असल में अच्छी गेंदबाजी करनी होती है। वह आईपीएल में भी ये सभी फिल्मी प्रतिक्रियाएं करते हैं। यह अच्छा रवैया नहीं है, यह सिर्फ दिखावा है। आक्रामकता अलग है, लेकिन इतनी कम उम्र में इतना दिखावा करना ही आज उनके लिए महंगा साबित हुआ।”

श्रीकांत के ये शब्द सिर्फ एक खिलाड़ी की आलोचना नहीं थे, बल्कि युवा प्रतिभाओं के लिए एक बड़ी सीख की तरह थे। उन्होंने आक्रामकता और दिखावे के बीच की पतली रेखा को स्पष्ट किया। क्रिकेट जैसे खेल में जहां दबाव हर गेंद पर होता है, वहां असली क्षमता प्रदर्शन से झलकती है, न कि अतिरंजित हाव-भाव से। यह एक ऐसी सीख है जो मैदान पर अक्सर कड़वे अनुभवों से ही मिलती है।

प्रदर्शन बनाम दिखावा: एक कड़वी सच्चाई

यह पहली बार नहीं है जब किसी युवा खिलाड़ी के `रवैया` पर सवाल उठे हों। क्रिकेट की दुनिया में कई ऐसे उदाहरण हैं जब खिलाड़ियों को उनकी आक्रामकता के लिए सराहा गया, लेकिन वहीं `अहंकार` या `शोबाजी` को कभी पसंद नहीं किया गया। श्रीकांत का बयान इस बात पर जोर देता है कि मैदान पर आपकी कला और कौशल ही आपकी पहचान होनी चाहिए। आखिर, अंत में तो आंकड़े ही बोलते हैं।

एक युवा तेज गेंदबाज के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कदम रखना अपने आप में एक बड़ी चुनौती होती है। ऐसे में, जब चयन अनुभवी खिलाड़ियों पर तरजीह देकर किया गया हो, तो दबाव और भी बढ़ जाता है। हर्षित राणा को शायद इस बात का अहसास हो गया होगा कि टॉप-स्तरीय क्रिकेट में हर गलती और हर हाव-भाव पर पैनी नजर रखी जाती है। यह क्रिकेट का वह पहलू है जहाँ `तकनीकी दक्षता` हमेशा `भावनात्मक प्रदर्शन` पर भारी पड़ती है।

स्पिन जादूगरों ने बचाई लाज, पेसर्स की कमजोरियां उजागर

मैच की बात करें तो भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका स्पिनरों ने निभाई। श्रीकांत ने भी इस बात को स्वीकार किया: “भारत कुलदीप यादव और वरुण चक्रवर्ती के बीच के चार ओवरों की वजह से जीता। उन दोनों ने जादुई गेंदबाजी की। कलाई के स्पिनर हमेशा संभावित मैच विजेता होते हैं, जो आज साबित हो गया।”

इसके विपरीत, श्रीलंकाई बल्लेबाजों ने भारतीय तेज गेंदबाजों को खूब धोया, जिससे कुछ कमजोरियां उजागर हुईं। श्रीकांत ने यहां तक कहा कि अगर पिच पर टर्न न हो तो अक्षर पटेल को भी आसानी से रन दिए जा सकते हैं। यह दर्शाता है कि भारतीय गेंदबाजी आक्रमण में अभी भी कुछ ऐसे पहलू हैं जिन पर काम करने की जरूरत है, खासकर तेज गेंदबाजी विभाग में जहां युवा खिलाड़ियों को और परिपक्वता दिखानी होगी। श्रीलंका ने इस मुकाबले में अद्भुत जुझारूपन दिखाया। पथुम निसंका (107 रन) और कुसल परेरा (58 रन) ने दूसरे विकेट के लिए 127 रनों की धमाकेदार साझेदारी की और भारत को लगभग चौंका ही दिया था। भले ही भारत सुपर ओवर में विजयी रहा, लेकिन यह मैच कई सबक दे गया।

अंततः, क्रिकेट का मैदान प्रतिभा, कड़ी मेहनत और सही रवैये का संगम है। हर्षित राणा जैसे युवा खिलाड़ियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जहां उन्हें दिग्गज क्रिकेटरों की बातों पर गंभीरता से विचार करना होगा। `शोबाजी` से दर्शकों का मनोरंजन हो सकता है, लेकिन `प्रदर्शन` ही आपको क्रिकेट की किताबों में अमर बनाता है। उम्मीद है कि हर्षित इस आलोचना को सकारात्मक रूप से लेंगे और एक बेहतर, अधिक प्रभावी गेंदबाज के रूप में उभरेंगे, जहां उनकी गेंदें बोलेंगी, न कि उनके हाव-भाव। क्योंकि अंत में, यह खेल सिर्फ हुनर का है, नौटंकी का नहीं।

निरव धनराज

दिल्ली के प्रतिभाशाली खेल पत्रकार निरव धनराज हॉकी और बैडमिंटन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। उनकी रिपोर्टिंग में खिलाड़ियों की मानसिकता की गहरी समझ झलकती है।

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