एशिया कप का एक ऐसा मुकाबला जिसे क्रिकेट प्रेमी शायद ही भूल पाएंगे! भारत और श्रीलंका के बीच खेला गया यह रोमांचक मैच सुपर ओवर तक जा पहुँचा था, जहाँ हर गेंद पर दाँव लगा था और दर्शक अपनी साँसें थामे हुए थे। लेकिन इस सुपर ओवर में एक ऐसा क्षण आया, जिसने न सिर्फ मैच के परिणाम पर असर डाला, बल्कि क्रिकेट के नियमों की जटिलता पर भी एक गहरी बहस छेड़ दी। यह कहानी सिर्फ एक खेल की नहीं, बल्कि उस समय और नियम के तालमेल की है, जो क्रिकेट को इतना अप्रत्याशित और दिलचस्प बनाता है।
जब मैदान पर मच गया हंगामा: शनाका का `अजीब` नॉट आउट
श्रीलंका की ओर से बल्लेबाजी कर रहे थे कप्तान दासुन शनाका। भारतीय गेंदबाज अर्शदीप सिंह ने एक सटीक यॉर्कर फेंकी, जिसे शनाका खेलने से चूक गए। गेंद सीधे विकेटकीपर संजू सैमसन के पास गई। अर्शदीप ने तुरंत कैच-आउट की अपील की। उसी पल, सैमसन ने बिजली की फुर्ती से गेंद स्टंप्स पर मारी और शनाका को अपनी क्रीज से बाहर पाया। अंपायर ने कुछ देर विचार करने के बाद पहले कैच-आउट का इशारा कर दिया, लेकिन शनाका ने बिना देरी किए DRS (निर्णय समीक्षा प्रणाली) का उपयोग किया।
मैदान पर हर कोई हैरान था। शनाका साफ तौर पर क्रीज से बाहर थे, और सैमसन का थ्रो भी सीधा स्टंप्स पर लगा था। फिर भी, वे आउट नहीं दिए गए! यह क्रिकेट के नियमों की एक अद्भुत पेचीदगी थी।
MCC का वो नियम जिसने बदल दिया खेल का चेहरा
तीसरे अंपायर ने रीप्ले देखा। यह स्पष्ट था कि गेंद का बल्ले से कोई संपर्क नहीं हुआ था, यानी शनाका कैच-आउट नहीं थे। अब यहाँ आता है नियमों का वो पेचीदा मोड़: एमसीसी (मेलबर्न क्रिकेट क्लब) के नियम 20.1.1.2 के अनुसार, “गेंद उस घटना के तुरंत बाद `डेड` (निष्क्रिय) मान ली जाती है, जो बर्खास्तगी का कारण बनती है।”
इसका मतलब यह था कि जब फील्ड अंपायर ने सबसे पहले कैच-आउट का फैसला दिया (भले ही वह गलत था), तो गेंद उसी क्षण `डेड` घोषित हो चुकी थी। एक `डेड` गेंद पर कोई बल्लेबाज रन-आउट नहीं हो सकता। क्रिकेट के नियम-शास्त्र की ऐसी गहराई देखकर कोई भी हैरान रह सकता है! दासुन शनाका, जो अपनी क्रीज से बाहर थे और स्पष्ट रूप से रन-आउट हो सकते थे, नियमों की इसी बारीकी के कारण `नॉट आउट` करार दिए गए। भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव और टीम कुछ पल के लिए इस फैसले से हैरान थे, पर नियम तो नियम होते हैं, और उनकी व्याख्या सर्वोपरि!
नियमों में `ग्रे एरिया` और खेल का रोमांच
श्रीलंका के कोच सनथ जयसूर्या ने भी इस घटना पर टिप्पणी करते हुए स्वीकार किया कि नियमों में कुछ `ग्रे एरिया` हैं, जिन पर विचार करने की आवश्यकता है। यह सही है कि ऐसे जटिल क्षण अक्सर खेल के अधिकारियों, खिलाड़ियों और प्रशंसकों को सोचने पर मजबूर करते हैं। यह घटना नियमों के प्रति गहरी समझ और सतर्कता की मांग करती है, लेकिन क्रिकेट की सुंदरता इन्हीं नियमों और उनकी व्याख्या में भी निहित है।
शनाका को भले ही एक अप्रत्याशित जीवनदान मिला, लेकिन वे इसका फायदा नहीं उठा सके और अगली ही गेंद पर आउट हो गए। श्रीलंका की टीम सुपर ओवर में सिर्फ दो रन ही बना पाई, जो भारत जैसी मजबूत टीम के लिए कोई चुनौती नहीं थी।
भारत की निर्णायक जीत और नियमों की यादगार गाथा
भारत को जीत के लिए सिर्फ तीन रनों का लक्ष्य मिला। क्रीज पर आए सूर्यकुमार यादव ने पहली ही गेंद पर शानदार चौका लगाकर भारत को एक रोमांचक जीत दिलाई और टीम एशिया कप फाइनल में अजेय रहकर आगे बढ़ी।
यह मैच सिर्फ एक जीत या हार से कहीं बढ़कर था। इसने हमें दिखाया कि क्रिकेट कितना अप्रत्याशित हो सकता है, और कैसे नियमों की एक बारीक व्याख्या भी खेल का पूरा चेहरा बदल सकती है। यह घटना हमेशा उन यादगार पलों में शुमार रहेगी, जहां दिमाग और नियम मिलकर मैदान के एक्शन को एक अलग ही आयाम देते हैं। भारतीय टीम ने भले ही नियम की इस `अटपटी` व्याख्या के बावजूद अपनी जीत सुनिश्चित की, लेकिन दासुन शनाका का यह `नॉट आउट` रन-आउट क्रिकेट इतिहास में एक दिलचस्प किस्सा बनकर हमेशा याद किया जाएगा, जो हमें यह भी सिखाता है कि खेल के नियमों को जानना कितना महत्वपूर्ण है!