भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही टेस्ट सीरीज़ अपने निर्णायक मोड़ पर आ चुकी है। चौथा टेस्ट मैच मैनचेस्टर में खेला जाना है और इस मैच का नतीजा सीरीज़ का भविष्य तय कर सकता है। ऐसे में, भारतीय टीम प्रबंधन के सामने एक बड़ी पहेली खड़ी है – टीम का चयन। यह सिर्फ़ 11 खिलाड़ियों को मैदान पर उतारने का मामला नहीं, बल्कि एक जटिल रणनीतिक दांव है, जहाँ हर खिलाड़ी की फिटनेस, वर्कलोड और मैच की अहमियत को तौला जा रहा है।
भारतीय टीम के सहायक कोच रियान टेन डोएशेट ने मीडिया से बातचीत में कुछ संकेत दिए हैं, जो इस पहेली को सुलझाने में मदद कर सकते हैं, लेकिन साथ ही कुछ नई उलझनें भी पैदा करते हैं।
जसप्रीत बुमराह: वापसी की आहट और वर्कलोड की चिंता
इस पहेली का सबसे बड़ा टुकड़ा हैं जसप्रीत बुमराह। डोएशेट के संकेतों से स्पष्ट है कि बुमराह मैनचेस्टर में वापसी कर सकते हैं। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं, क्योंकि सीरीज़ दांव पर है और बुमराह जैसा विश्वस्तरीय गेंदबाज़ ऐसे महत्वपूर्ण मौकों पर टीम के लिए ब्रह्मास्त्र साबित होता है। उनकी मौजूदगी से विरोधी टीम के बल्लेबाज़ों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनता है और वह कभी भी मैच का रुख़ बदलने की क्षमता रखते हैं।
हालांकि, उनके वर्कलोड को लेकर हमेशा से चिंता रही है। भारतीय टीम प्रबंधन ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि बुमराह सीरीज़ के पाँच में से सिर्फ़ तीन टेस्ट खेलेंगे। लेकिन, क्या अब परिस्थितियों के दबाव में यह रणनीति बदल जाएगी? डोएशेट ने कहा कि अंतिम निर्णय मैनचेस्टर में लिया जाएगा, लेकिन सीरीज़ की अहमियत को देखते हुए बुमराह को खिलाने पर झुकाव स्पष्ट है। यह दिखाता है कि टीम जीत के लिए हर संभव क़दम उठाने को तैयार है, भले ही इसके लिए पूर्व निर्धारित योजनाओं में बदलाव करना पड़े।
मोहम्मद सिराज: `शेर` का दिल और वर्कलोड का प्रबंधन
वर्कलोड की बात करें तो मोहम्मद सिराज का नाम भी इस सूची में जुड़ गया है। सिराज ने अब तक खेले गए तीनों टेस्ट मैचों में अपनी पूरी जान लगा दी है। उनकी ऊर्जा और आक्रामकता ने टीम को कई बार महत्वपूर्ण सफलताएं दिलाई हैं। डोएशेट ने उनकी `शेर-दिल` प्रकृति की सराहना करते हुए कहा कि वह काम से कभी नहीं कतराते और गेंद हाथ में आते ही हमेशा कुछ-न-कुछ होने का एहसास होता है।
मगर, एक `शेर` को भी आराम की ज़रूरत होती है ताकि वह अपनी पूरी क्षमता से दहाड़ सके। सिराज की लगातार प्रदर्शन करने की इच्छाशक्ति ही उनके वर्कलोड को और महत्वपूर्ण बना देती है। टीम प्रबंधन को यह सुनिश्चित करना होगा कि सिराज को पर्याप्त आराम मिले ताकि वह फ़िट रहकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दे सकें, बजाय इसके कि वह अधिक खेलने के चक्कर में चोटिल हो जाएं। यह एक महीन रेखा है जिस पर टीम को बहुत सावधानी से चलना होगा।
चोटों का साया: अर्शदीप सिंह और ऋषभ पंत की मुश्किलें
अर्शदीप सिंह की चोट
चोटों ने इस पहेली को और भी उलझा दिया है। युवा तेज़ गेंदबाज़ अर्शदीप सिंह को अभ्यास के दौरान चोट लगी है। डोएशेट ने बताया कि गेंद रोकने की कोशिश में उन्हें कट लग गया। उनकी चोट की गंभीरता अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसने टीम संयोजन की संभावनाओं में एक और परत जोड़ दी है। मेडिकल टीम और डॉक्टरों की रिपोर्ट यह तय करेगी कि क्या उन्हें टांके लगेंगे और यह अगले कुछ दिनों की हमारी योजना के लिए महत्वपूर्ण होगा। किसी भी प्रमुख मैच से पहले इस तरह की अचानक चोटें टीम के लिए सिरदर्द बन जाती हैं।
ऋषभ पंत की उंगली का दर्द
और फिर आते हैं ऋषभ पंत, जिनके बाएं हाथ की उंगली में पिछली टेस्ट में विकेटकीपिंग करते हुए चोट लग गई थी। पंत ने उस मैच में दर्द में बल्लेबाज़ी की, लेकिन बाक़ी मैच में विकेटकीपिंग नहीं की। यह स्थिति किसी भी टीम के लिए आदर्श नहीं होती, ख़ासकर जब आप एक निर्णायक सीरीज़ में हों। डोएशेट ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पंत मैनचेस्टर के लिए फिट हो जाएंगे, क्योंकि टीम बीच मैच में विकेटकीपर बदलने की स्थिति से बचना चाहती है। पंत को आराम दिया गया है और उनकी उंगली को ठीक होने के लिए अधिक से अधिक समय दिया जा रहा है। यदि पंत पूरी तरह फ़िट नहीं होते हैं, तो ध्रुव जुरेल जैसे युवा विकेटकीपर भी समीकरण में आ सकते हैं, लेकिन निश्चित रूप से पंत की फिटनेस ही पहली प्राथमिकता है।
अंतिम निर्णय की जटिलता
कुल मिलाकर, भारतीय टीम प्रबंधन के सामने `किसको खिलाएं और किसको बचाएं` की एक जटिल चुनौती है। प्रत्येक खिलाड़ी की फ़िटनेस, विरोधी टीम की ताकत, मैनचेस्टर की पिच की प्रकृति और आगे के ओवल टेस्ट को ध्यान में रखते हुए ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। यह सिर्फ़ खिलाड़ियों का चयन नहीं, बल्कि एक रणनीतिक शतरंज की बिसात है, जहाँ एक भी ग़लत चाल सीरीज़ का रुख़ बदल सकती है। उम्मीद है कि टीम इंडिया अपनी इस `पहेली` को सफलतापूर्वक सुलझाकर मैनचेस्टर में जीत का परचम लहराएगी और सीरीज़ में अपनी पकड़ मज़बूत करेगी।