महिला क्रिकेट विश्व कप 2025/26: विशाखापत्तनम में दक्षिण अफ्रीका की अविश्वसनीय जीत का रोमांच

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महिला क्रिकेट विश्व कप 2025/26 का 14वां मुकाबला क्रिकेट प्रेमियों के लिए किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं था। विशाखापत्तनम के मैदान पर बांग्लादेश और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेला गया यह मैच पल-पल अपनी दिशा बदलता रहा, जहाँ अंततः दक्षिण अफ्रीका ने नादीन डी क्लर्क की जुझारू पारी की बदौलत तीन विकेट से एक बेहद रोमांचक जीत दर्ज की। यह केवल एक जीत नहीं थी, बल्कि दबाव में धैर्य और मुश्किल परिस्थितियों में भी वापसी करने की प्रोटियाज़ टीम की क्षमता का प्रदर्शन था।

बांग्लादेश की धीमी शुरुआत और शोर्ना अख्तर का तूफान

टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय बांग्लादेश की कप्तान निगार सुल्ताना का एक साहसिक कदम था, खासकर जब उनके पिछले प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहे थे। उनकी योजना साफ थी – बोर्ड पर एक सम्मानजनक स्कोर खड़ा करना ताकि उनके गेंदबाजों को बचाव के लिए कुछ मिल सके। हालांकि, शुरुआत उम्मीदों से कहीं ज़्यादा धीमी रही। पहले 30 ओवरों में बांग्लादेश ने 126 डॉट बॉल खेलीं, जो कि हर ओवर में चार से ज़्यादा थीं। सलामी बल्लेबाज शर्मिन अख्तर ने 77 गेंदों में 50 रन बनाकर एक छोर संभाले रखा, लेकिन रन गति को बढ़ाना मुश्किल साबित हो रहा था।

ऐसा लग रहा था मानो दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाज आसानी से हावी हो रहे हैं, लेकिन कहानी में ट्विस्ट आना अभी बाकी था। 150 के स्कोर पर तीसरा विकेट गिरने के बाद, युवा शोर्ना अख्तर क्रीज पर आईं और उन्होंने आते ही मैच का रुख पलट दिया। उन्होंने सिर्फ 34 गेंदों में तीन चौकों और तीन छक्कों की मदद से एक विस्फोटक अर्धशतक जड़ा – जो महिला वनडे क्रिकेट में किसी भी बांग्लादेशी बल्लेबाज द्वारा सबसे तेज़ अर्धशतक था। उनके साथ रितु मोनी ने भी तेज़ी से रन बनाए, और अंतिम तीन ओवरों में 37 रन बटोरे गए, जिससे बांग्लादेश का स्कोर 6 विकेट पर 232 रन तक पहुँच गया। यह ऐसा स्कोर था जिसकी उम्मीद दक्षिण अफ्रीका ने शायद ही की होगी, खासकर बांग्लादेश की धीमी शुरुआत को देखते हुए।

दक्षिण अफ्रीका का लड़खड़ाता पीछा: शुरुआती झटके और चमत्कारी वापसी

233 रनों का लक्ष्य, जो पहले आसान लग रहा था, अब काफी चुनौतीपूर्ण दिखने लगा था। दक्षिण अफ्रीका की शुरुआत भी बेहद खराब रही। उनकी सबसे फॉर्म में चल रही बल्लेबाज, टैज़मिन ब्रिट्स, इस टूर्नामेंट में लगातार दूसरी बार बिना खाता खोले पवेलियन लौट गईं। उनके बाद लॉरा वोल्वार्ड्ट को भी जीवनदान मिला जब रबेया खान ने उनका कैच टपका दिया। लेकिन क्रिकेट में अक्सर ऐसा होता है कि आप जीवनदान का फायदा नहीं उठा पाते। वोल्वार्ड्ट 30 रन पर एक गलतफहमी के चलते रन-आउट हो गईं, जिससे दक्षिण अफ्रीका पर दबाव और बढ़ गया।

इसके बाद एनेके बॉश (28 रन) भी आउट हो गईं, और प्रोटियाज़ टीम 62 रन पर 3 विकेट खोकर मुश्किल में आ गई। स्थिति तब और भी बदतर हो गई जब रबेया खान ने अपनी “मैच की सर्वश्रेष्ठ गेंद” पर एनेरी डर्कसेन को बोल्ड कर दिया – एक ऐसी लेगब्रेक जिसने बल्लेबाज़ को पूरी तरह से चौंका दिया, मानो गेंद ने उससे पूछा हो “क्या तुम आउट हो?” फहीमा खातून ने भी एक शानदार टॉपस्पिन पर सिनालो जाफ्ता को आउट कर दिया, जिससे दक्षिण अफ्रीका का स्कोर 78 पर 5 विकेट हो गया। 44 गेंदों में 20 रन पर 4 विकेट खोकर, दक्षिण अफ्रीकी खेमा गहरे संकट में था। क्या यह हार की शुरुआत थी?

कप्प और ट्रायॉन का संघर्ष और नादीन डी क्लर्क का निर्णायक वार

जब टीम को एक चमत्कार की ज़रूरत थी, तब मरीज़ने कैप और क्लो ट्रायॉन ने मोर्चा संभाला। दोनों ने मिलकर पारी को संभाला और धीरे-धीरे रन गति को बढ़ाया। मारुफ़ा अख्तर की अतिरिक्त गति दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाजों को पसंद आई, और ट्रायॉन ने कुछ शानदार कट शॉट्स लगाए। कप्प ने भी फहीमा के खिलाफ एक चौका लगाकर अपने और ट्रायॉन के बीच 50 रनों की साझेदारी पूरी की। ओस का कारक, जिसकी उम्मीद दक्षिण अफ्रीकी कप्तान वोल्वार्ड्ट ने टॉस के समय की थी, अब खेल में आने लगा था, लेकिन स्पिनर्स ने फिर भी अपनी पकड़ बनाए रखी।

कप्प ने 67 गेंदों पर शानदार अर्धशतक जड़ा, जिसमें उन्होंने शोर्ना अख्तर की एक फुल-टॉस पर छक्का भी लगाया। लेकिन 56 रन के स्कोर पर वह नादीन अख्तर का शिकार बन गईं। अब 71 रन बनाने थे और ओवर बचे थे सिर्फ दस। यहीं से नादीन डी क्लर्क ने अपनी छाप छोड़ी। ट्रायॉन ने भी अपनी पारी को जारी रखा, भाग्य ने भी उनका साथ दिया जब उन्हें दो जीवनदान मिले – एक चौका कीपर के पैरों के बीच से निकला, और एक कैच सब्स्टीट्यूट फील्डर ने टपका दिया। ट्रायॉन ने 69 गेंदों पर 62 रन बनाए, लेकिन एक रन-आउट के कारण उन्हें पवेलियन लौटना पड़ा।

मैच अंतिम ओवरों में और भी रोमांचक हो गया। रन रेट आठ प्रति ओवर को छू रहा था। डी क्लर्क ने दबाव में कुछ शानदार बाउंड्री लगाईं, लेकिन बांग्लादेशी फील्डिंग ने भी कई मौके गंवाए। सबसे महत्वपूर्ण पल तब आया जब दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए केवल 10 रन चाहिए थे, और डी क्लर्क ने रबेया खान की गेंद पर एक ऊँचा शॉट खेला। डीप लॉन्ग-ऑफ पर खड़ी युवा शोर्ना अख्तर, जिन्होंने अपनी शानदार बल्लेबाजी से बांग्लादेश को मजबूत स्थिति में पहुँचाया था, उनके पास कैच पकड़कर हीरो बनने का मौका था। लेकिन शॉर्न के हाथ से वह सुनहरा अवसर फिसल गया। क्रिकेट के खेल में ऐसा होता है, एक पल का चूक पूरे मैच का नतीजा बदल देती है।

इस जीवनदान का फायदा उठाते हुए नादीन डी क्लर्क ने अगले कुछ गेंदों में एक चौका और एक निर्णायक छक्का जड़कर अपनी टीम को तीन गेंद शेष रहते जीत दिला दी। बांग्लादेशी खिलाड़ी निराशा में डूब गए, जबकि दक्षिण अफ्रीकी खेमे में जीत का जश्न मनाया जा रहा था। यह एक ऐसी जीत थी जो खेल के हर विभाग में संघर्ष और दृढ़ता को दर्शाती है।

निष्कर्ष: एक रोमांचक अभियान जारी

यह जीत दक्षिण अफ्रीका के महिला क्रिकेट विश्व कप अभियान को मजबूती प्रदान करती है, जिससे वे लगातार तीसरी जीत के साथ सेमी-फाइनल में अपनी जगह लगभग सुनिश्चित कर चुकी हैं। यह मैच बांग्लादेश के लिए सबक था कि कैसे दबाव में मौके गंवाने से जीत हाथ से निकल सकती है, भले ही आपने कितनी भी शानदार बल्लेबाजी और गेंदबाजी की हो। क्रिकेट में भाग्य भी एक अहम भूमिका निभाता है, और इस बार यह भाग्य दक्षिण अफ्रीका के साथ था, जिसने उन्हें एक और अविश्वसनीय जीत दिलाई।

आदित्य चंद्रमोहन

मुंबई में निवास करने वाले आदित्य चंद्रमोहन खेल पत्रकारिता में बारह वर्षों से सक्रिय हैं। क्रिकेट और कबड्डी की दुनिया में उनकी गहरी समझ है। वे खेल के सूक्ष्म पहलुओं को समझने और उन्हें सरल भाषा में प्रस्तुत करने में माहिर हैं।

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