भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए घरेलू विश्व कप से ठीक पहले, शीर्ष क्रम में नए चेहरों का आगमन किसी सोने की खान जैसा था। स्मृति मंधाना के साथ सलामी जोड़ी में आईं प्रतीक्षा रावल और नंबर तीन पर हरलीन देओल, दोनों ने ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी शुरुआत धमाकेदार अंदाज़ में की। वेस्टइंडीज और आयरलैंड जैसी टीमों के खिलाफ घरेलू सीरीज में, उन्होंने effortlessly अपने रन बनाए, शतक जड़े और लगातार अच्छा प्रदर्शन किया। कागज़ पर तो भारत का शीर्ष क्रम किसी अभेद्य किले जैसा लगने लगा था।
जब `हनीमून पीरियड` ख़त्म हुआ: असली इम्तिहान की शुरुआत
लेकिन क्रिकेट की दुनिया में असली पहचान तब बनती है, जब आप कठिन परिस्थितियों और मजबूत विरोधियों के सामने प्रदर्शन करते हैं। जैसे ही इंग्लैंड में इंग्लैंड और घर पर ऑस्ट्रेलियाई टीम जैसी दिग्गज टीमों से मुकाबले शुरू हुए, भारतीय शीर्ष क्रम की वो चमक थोड़ी फीकी पड़ने लगी, जो कमज़ोर टीमों के खिलाफ रन बरसाने से ढकी हुई थी। यह सिर्फ एक संयोग नहीं था, बल्कि एक पैटर्न था जो धीरे-धीरे सामने आने लगा।
स्मृति मंधाना पर अत्यधिक निर्भरता की कड़वी सच्चाई
आंकड़े बताते हैं कि रावल और मंधाना की सलामी जोड़ी ने 19 एकदिवसीय मैचों में 6.05 रन प्रति ओवर की दर से रन बनाए हैं, जो महिला वनडे इतिहास में 1000 से अधिक रन बनाने वाली जोड़ियों में सबसे तेज़ है। यह वाकई प्रभावशाली है। लेकिन कहानी तब बदल जाती है, जब स्मृति मंधाना जल्द आउट हो जाती हैं।
जब मंधाना पहली विकेट के रूप में गिरती हैं, तो रावल-देओल जोड़ी का रन रेट 4.31 तक गिर जाता है। यह एक बड़ी चिंता का विषय है। सोचिए, अगर आपकी सबसे विस्फोटक खिलाड़ी पवेलियन लौट जाए, तो क्या टीम का इंजन इतना धीमा पड़ जाना चाहिए? वहीं, अगर रावल पहले आउट होती हैं और मंधाना-देओल साथ खेलती हैं, तो रन रेट 6.39 तक पहुंच जाता है। यह स्पष्ट करता है कि मंधाना की मौजूदगी, खासकर मध्य ओवरों में, पारी को गति देने में कितनी महत्वपूर्ण है।
बल्लेबाज | पारियां | रन | खेली गई गेंदें | औसत | रन रेट | शतक/अर्धशतक |
---|---|---|---|---|---|---|
रावल-देओल | 11 | 425 | 591 | 42.5 | 4.31 | 0/4 |
मंधाना-देओल | 7 | 338 | 317 | 48.28 | 6.39 | 1/2 |
*रावल की शुरुआत के बाद के आंकड़े
साउथैम्पटन में, जब मंधाना के आउट होने के बाद रावल और देओल ने 10 ओवर में केवल 46 रन जोड़े (4.6 रन प्रति ओवर), तो मध्य क्रम पर दबाव बढ़ गया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ, 114 रन की ठोस सलामी साझेदारी के बाद, रावल और देओल ने 53 गेंदों में केवल 28 रन जोड़े (3.16 रन प्रति ओवर)। टीम को अच्छी शुरुआत के बावजूद बड़ा स्कोर नहीं मिल पाया और ऑस्ट्रेलिया ने आसानी से लक्ष्य हासिल कर लिया।
हरलीन देओल का `सुरक्षा पहले` दृष्टिकोण: किसके लिए?
एक अच्छे नंबर तीन बल्लेबाज के लिए धैर्य और दबाव को सोखने की क्षमता ज़रूरी है, लेकिन हरलीन देओल का `सेफ्टी-फर्स्ट` दृष्टिकोण अक्सर उलटा पड़ जाता है। उनकी डॉट बॉल खेलने की उच्च दर टीम पर और अधिक दबाव डालती है। कल्पना कीजिए, एक बल्लेबाज जो शुरुआती दौर में गेंदें बर्बाद करता है और फिर पारी को गति देने में विफल रहता है। भारतीय टीम में मंधाना और आक्रामक जेमिमा रोड्रिग्स के बीच तीन ऐसे बल्लेबाज हैं, जो धीमी शुरुआत करते हैं। यह एक ट्रैफिक जाम की तरह है, जहाँ गेंदें तो निकलती जाती हैं, लेकिन रन नहीं बनते।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे वनडे में, हरलीन ने 70 रन की मजबूत सलामी साझेदारी के बाद क्रीज पर आकर पहली 12 गेंदों पर केवल 4 रन बनाए। यह स्पष्ट रूप से टीम के लिए अच्छा संकेत नहीं था। अपनी वापसी के बाद से 22 पारियों में से केवल सात बार ही हरलीन 10 ओवर से अधिक क्रीज पर टिकी हैं, जब उनका स्ट्राइक रेट बेहतर होता है। बाकी 15 बार, वह गियर बदलने में नाकाम रही हैं, जिससे टीम की गति बाधित हुई है।
गेंदें | पारियां | रन | खेली गई गेंदें | रन रेट | स्ट्राइक रेट | आउट | डॉट गेंद% | बाउंड्री% |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|
0-30 | 22 | 345 | 552 | 3.75 | 62.5 | 7 | 64.1 | 7.24 |
31-60 | 15 | 294 | 325 | 5.42 | 90.46 | 8 | 45.5 | 9.84 |
61-90 | 7 | 99 | 83 | 7.15 | 119.27 | 5 | 33.7 | 14.45 |
91-120 | 1 | 30 | 13 | 13.84 | 230.76 | 1 | 30.7 | 53.84 |
देओल की वापसी के बाद उनकी पारी का ग्राफ
प्रतीक्षा रावल और स्पिन का “भूलभुलैया”
प्रतीक्षा रावल की शुरुआत भले ही शानदार रही हो, लेकिन मध्य ओवरों में गुणवत्तापूर्ण स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ उनकी कमजोरी खुलकर सामने आई है। उनकी धीमी बल्लेबाजी न केवल रनों की गति को रोकती है, बल्कि स्ट्राइक रोटेशन को भी बाधित करती है, जिससे विरोधी टीमों को भारत को दबाव में रखने का मौका मिलता है।
गेंदबाजी | पारियां | रन | खेली गई गेंदें | रन रेट | स्ट्राइक रेट | आउट | डॉट गेंद% | बाउंड्री% |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|
तेज | 19 | 507 | 577 | 5.27 | 87.86 | 4 | 48.7 | 11.61 |
स्पिन | 16 | 363 | 463 | 4.7 | 78.4 | 14 | 52.8 | 8.6 |
रावल का तेज और स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ प्रदर्शन
उनकी ऊंची डॉट बॉल प्रतिशत और कम बाउंड्री प्रतिशत स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ उनकी कमज़ोरी को दर्शाता है। विशेष रूप से लेफ्ट-आर्म स्पिन के खिलाफ, उनकी बाउंड्री प्रतिशत 5.76 तक गिर जाती है, जबकि स्ट्राइक रेट 72.43 तक नीचे आ जाता है। 19 मैचों में 8 बार वह लेफ्ट-आर्म स्पिनरों का शिकार बनी हैं, जिसमें चल रहे विश्व कप के दोनों मैच भी शामिल हैं।
श्रीलंका और पाकिस्तान के खिलाफ, मंधाना के जल्दी आउट होने का मतलब था कि देओल की धीमी शुरुआत और रावल की स्पिन के खिलाफ हिचकिचाहट ने रनों के प्रवाह में बाधा डाली। विरोधी कप्तान के लिए यह भारत को रोकने की एक स्पष्ट रणनीति बन गई। इन मौकों पर भारत का स्कोर 124/6 और 159/5 तक गिर गया, जिसके बाद निचले क्रम के खिलाड़ियों को टीम को मुश्किल से निकालने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी।
विश्व कप की घड़ी: अब बहाने नहीं, प्रदर्शन चाहिए
अब देओल और रावल के लिए `हनीमून फेज` खत्म हो चुका है, और भारतीय टीम के लिए भी। घरेलू विश्व कप का अभियान अब कठिन दौर में प्रवेश कर रहा है, जहाँ भारत को लगातार चार मैच उन टीमों के खिलाफ खेलने हैं, जिन्होंने 2022 विश्व कप में उनकी उम्मीदों पर पानी फेरा था। अब जवाबदेही और उम्मीदों को प्रदर्शन के साथ संरेखित करने का समय है।
यदि प्रबंधन अपने `स्थापित` शीर्ष पांच पर भरोसा कर रहा है, तो सामरिक और/या तकनीकी सुधारों की सख्त ज़रूरत है। इन दोनों खिलाड़ियों को शैफाली वर्मा जैसे `एक्स-फैक्टर` खिलाड़ी के ऊपर विश्व कप टीम में उनकी निरंतरता के आधार पर चुना गया था। लेकिन निरंतरता और इरादा (intent) एक दूसरे के विरोधी नहीं होने चाहिए। शीर्ष क्रम में भारत को दोनों की ज़रूरत है। यह सिर्फ रनों की संख्या का खेल नहीं है, बल्कि उन रनों की गति का भी है, जो टीम को जीत की ओर ले जाए। क्या भारतीय टीम इस `स्ट्राइक रेट` की पहेली को सुलझा पाएगी? आने वाले मैच ही इसका जवाब देंगे।