महिला विश्व कप में भारत को लगा झटका: धीमी ओवर गति ने घटाई मैच फीस, खेल भावना पर कोई आंच नहीं

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क्रिकेट का मैदान, जहाँ बल्ले और गेंद का रोमांचक द्वंद्व होता है, अक्सर अप्रत्याशित मोड़ों से भरा होता है। लेकिन कभी-कभी, स्कोरबोर्ड और विकेटों के खेल से इतर, कुछ नियम ऐसे भी होते हैं जो मैदान पर खिलाड़ियों के प्रदर्शन से सीधे तौर पर संबंधित न होकर भी, टीम को महंगी कीमत चुकाने पर मजबूर कर देते हैं। ऐसा ही कुछ हाल ही में महिला विश्व कप में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए एक मुकाबले में देखने को मिला, जहाँ भारतीय टीम को धीमी ओवर गति (Slow Over-Rate) के लिए दंडित किया गया। यह सिर्फ जुर्माने की बात नहीं, बल्कि यह इस बात का प्रमाण है कि आधुनिक क्रिकेट में समय का प्रबंधन कितना महत्वपूर्ण हो गया है।

मैदान पर क्या हुआ? एक बारीक चूक का बड़ा असर

विशाखापट्टनम में खेले गए उस बेहद रोमांचक मुकाबले में, भारतीय महिला टीम ने ऑस्ट्रेलिया के सामने 330 रनों का एक विशाल और चुनौतीपूर्ण लक्ष्य रखा। यह एक ऐसा स्कोर था जिस पर किसी भी टीम को गर्व होता, और जिसने जीत की उम्मीदें खूब बढ़ाईं। लेकिन क्रिकेट के देवता, या शायद कहें तो आईसीसी के नियम, हमेशा स्कोरबोर्ड तक ही सीमित नहीं रहते। मैच के अंत में, एक अप्रत्याशित मोड़ आया जब यह पता चला कि भारतीय टीम ने निर्धारित समय सीमा के भीतर अपने पूरे ओवर नहीं फेंके थे। जब सभी समय-भत्तों (time allowances) को ध्यान में रखा गया, तब भी टीम एक ओवर पीछे थी।

परिणामस्वरूप, मैच रेफरी मिचेल पेरेरा ने आईसीसी की अंतर्राष्ट्रीय पैनल के दिशानिर्देशों के आधार पर भारतीय टीम पर मैच फीस का पाँच प्रतिशत जुर्माना लगाया। यह सोचनीय है कि एक तरफ 330 रनों का शानदार प्रदर्शन, जो विपक्षी टीम के लिए एक पहाड़ जैसा लक्ष्य था, और दूसरी तरफ घड़ी की सूई ने एक तकनीकी चूक के लिए हिसाब बराबर कर दिया। यह दर्शाता है कि क्रिकेट अब सिर्फ कौशल का नहीं, बल्कि अनुशासन और समयबद्धता का भी खेल है, जहाँ हर छोटी से छोटी चीज़ पर पैनी नज़र रखी जाती है।

धीमी ओवर गति: नियम और उनका महत्व – क्यों बनाए गए ये कायदे?

तो, यह `धीमी ओवर गति` की अवधारणा क्या है और आईसीसी इस पर इतनी सख्ती क्यों बरतती है? आईसीसी (ICC) के खिलाड़ी और खिलाड़ी सहायक कर्मियों के लिए आचार संहिता के अनुच्छेद 2.22 में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि यदि कोई टीम निर्धारित समय में अपने ओवर पूरे करने में विफल रहती है, तो प्रत्येक कम ओवर के लिए खिलाड़ियों पर उनकी मैच फीस का पाँच प्रतिशत जुर्माना लगाया जाएगा। यह नियम सिर्फ दंड देने के लिए नहीं है, बल्कि इसका एक गहरा उद्देश्य है।

इस नियम का मूल मकसद खेल को गति देना और यह सुनिश्चित करना है कि मैच समय पर समाप्त हों, ताकि दर्शक और ब्रॉडकास्टर दोनों के लिए यह आकर्षक बना रहे। दर्शक खेल देखने आते हैं, न कि खिलाड़ियों को रणनीतियों पर बहुत अधिक समय लगाते या मैदान पर बिना किसी ठोस कारण के खड़े रहते देखने के लिए। यह नियम खेल के प्रवाह को बनाए रखने और अनावश्यक देरी को रोकने के लिए बनाया गया है, जो आधुनिक खेल में दर्शकों की रुचि बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करता है कि मैच एक निश्चित समय-सीमा के भीतर संपन्न हो, जिससे आयोजकों और दर्शकों दोनों को सुविधा होती है।

कप्तान हरमनप्रीत कौर की प्रतिक्रिया: खेल भावना का एक उदाहरण

इस पूरे मामले में, भारतीय कप्तान हरमनप्रीत कौर ने अपने ऊपर लगाए गए आरोप को स्वीकार कर लिया और प्रस्तावित दंड को भी बिना किसी हिचकिचाहट के मान लिया। इसका मतलब था कि किसी औपचारिक सुनवाई की कोई आवश्यकता नहीं थी, जिससे प्रक्रिया सरल बनी रही। यह खेल भावना का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है – अपनी टीम की ओर से हुई गलती को स्वीकार करना और अंतर्राष्ट्रीय नियमों का सम्मान करना। मैदान पर अंपायर सू रेडफर्न और निमाली पेरेरा, तीसरे अंपायर किम कॉटन और चौथे अंपायर जैकलीन विलियम्स जैसे अनुभवी अधिकारियों ने यह आरोप लगाया था, और कप्तान ने बिना किसी हील-हवाले के इसे स्वीकार कर लिया। यह दर्शाता है कि टीम के भीतर भी नियमों के प्रति स्पष्टता और गहरा सम्मान है, जो पेशेवर क्रिकेट के लिए आवश्यक है।

आगे की राह: सीख और रणनीति – घड़ी भी है एक प्रतिद्वंद्वी!

हालांकि यह जुर्माना टीम के लिए आर्थिक रूप से बहुत बड़ा झटका नहीं है (आखिरकार, एक सफल विश्व कप अभियान की तुलना में पांच प्रतिशत छोटी रकम है), लेकिन यह एक महत्वपूर्ण सबक है। विश्व कप जैसे बड़े मंच पर, हर छोटी से छोटी बात मायने रखती है। धीमी ओवर गति न केवल जुर्माने का कारण बन सकती है, बल्कि कुछ परिस्थितियों में, जैसे कि टेस्ट क्रिकेट में, यह टीम के महत्वपूर्ण पॉइंट्स भी काट सकती है, जो टूर्नामेंट की तालिका में भारी पड़ सकते हैं। एक कप्तान के लिए, यह एक अतिरिक्त और जटिल जिम्मेदारी है कि वह न केवल बल्लेबाजी और गेंदबाजी रणनीतियों का कुशलता से प्रबंधन करे, बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि टीम समय सीमा का सख्ती से पालन करे। अब से, भारतीय टीम और खासकर कप्तान हरमनप्रीत कौर को मैच के दौरान ओवरों की गति पर अतिरिक्त और निरंतर ध्यान देना होगा। यह एक छोटी सी चूक हो सकती है, लेकिन बड़े टूर्नामेंट्स में छोटी चूकें भी भारी पड़ सकती हैं। क्रिकेट में, घड़ी की टिक-टिक भी एक अदृश्य प्रतिद्वंद्वी होती है, और उसे भी समय पर मात देना पड़ता है!

प्रमोद विश्वनाथ

बेंगलुरु के वरिष्ठ खेल पत्रकार प्रमोद विश्वनाथ फुटबॉल और एथलेटिक्स के विशेषज्ञ हैं। आठ वर्षों के अनुभव ने उन्हें एक अनूठी शैली विकसित करने में मदद की है।

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