महिला वनडे विश्व कप 2025: क्या इस बार एशिया तोड़ेगा पश्चिमी देशों का एकाधिकार?

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महिला क्रिकेट का सबसे बड़ा महासंग्राम, महिला वनडे विश्व कप 2025, एक बार फिर दस्तक देने को तैयार है। लेकिन इस बार चर्चा सिर्फ मैदान पर चौकों-छक्कों की नहीं, बल्कि इतिहास बदलने की है। श्रीलंकाई कप्तान चमारी अथापथ्थु ने एक ऐसी उम्मीद जगाई है, जो सदियों से एशियाई क्रिकेट प्रेमियों के दिल में दबी थी: क्या इस बार विश्व कप की ट्रॉफी पश्चिमी देशों के हाथों से फिसलकर एशिया के आँगन में आएगी?

एशियाई देशों का दशकों पुराना सपना

अब तक, महिला क्रिकेट विश्व कप का खिताब केवल ऑस्ट्रेलिया (सात बार), इंग्लैंड (चार बार) और न्यूजीलैंड (एक बार) के नाम रहा है। भारत दो बार करीब आकर भी चूक गया, फाइनल में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से हारकर। ऐसे में अथापथ्थु का यह बयान, कि वे श्रीलंका, भारत, पाकिस्तान या बांग्लादेश में से किसी भी एशियाई टीम को कप उठाते देखना चाहेंगी, सिर्फ एक इच्छा नहीं, बल्कि एक पूरे महाद्वीप की आकांक्षा है। इस बार विश्व कप भारत और श्रीलंका की सह-मेजबानी में हो रहा है, जो इस सपने को और भी मजबूत बनाता है। क्या यह संयोग है या नियति, कि जब एशियाई क्रिकेट अपने चरम पर है, तब विश्व कप की मेज़बानी भी यहीं हो रही है?

श्रीलंका की वापसी: एक नई पहचान की तलाश

श्रीलंकाई टीम आठ साल के लंबे अंतराल के बाद विश्व कप में वापसी कर रही है। यह वापसी सिर्फ संख्या बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि अपनी पहचान बनाने के लिए है। अथापथ्थु की अगुवाई में टीम ने पिछले 12 महीनों में शानदार प्रदर्शन किया है। पिछले साल एशिया कप T20 का ताज पहनना और इस साल ट्राई-नेशन सीरीज में उपविजेता रहना (दक्षिण अफ्रीका को हराकर, हालांकि फाइनल भारत से हारे) उनकी बढ़ती ताकत का प्रमाण है। उनका तात्कालिक लक्ष्य सेमीफाइनल तक पहुँचना है – एक ऐसा कदम, जो उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। कप्तान अथापथ्थु का कहना है कि वे बिना किसी अतिरिक्त दबाव के अपना सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खेलना चाहती हैं।

घरेलू मैदान का अदम्य फायदा

सात में से पांच लीग मैच कोलंबो के आर प्रेमदासा स्टेडियम में खेले जाएंगे। यह श्रीलंकाई टीम के लिए एक अभेद्य किला साबित हो सकता है। अथापथ्थु कहती हैं, “हम घरेलू परिस्थितियों को किसी और से बेहतर जानते हैं।” पिच की बारीकियां, मौसम का मिजाज, और दर्शक दीर्घा से मिलने वाला उत्साह – यह सब एक टीम को अदम्य बना सकता है। यह एक ऐसा `अदृश्य खिलाड़ी` है, जो विपक्षी टीमों के पसीने छुड़ा सकता है, विशेषकर उन टीमों के लिए जो उपमहाद्वीप की धीमी और नीची पिचों पर खेलने की आदी नहीं हैं। हालांकि, कप्तान ने यह भी चेताया कि फायदा होने के बावजूद प्रदर्शन करना ही पड़ेगा।

भारत: प्रबल दावेदार, पर दबाव भी अधिक

अथापथ्थु मानती हैं कि भारतीय टीम प्रबल दावेदार है। भारतीय खिलाड़ी घरेलू परिस्थितियों में माहिर हैं और उनका अनुभव भी कहीं अधिक है। लेकिन कप्तान की नज़र में यही भारत के लिए `दबाव` भी है। “भारत पर थोड़ा अधिक दबाव होगा,” वे कहती हैं। यह एक रणनीतिक टिप्पणी है – दबाव अक्सर मजबूत टीमों को भी लड़खड़ा देता है। महिला प्रीमियर लीग (WPL) में खेलने के अनुभव के कारण अथापथ्थु भारतीय खिलाड़ियों की ताकत और कमजोरी से भली-भांति परिचित हैं, जो उनकी टीम के लिए एक गुप्त हथियार हो सकता है। उन्हें पता है कि स्मृति मंधाना कहाँ कमज़ोर पड़ती हैं और हरमनप्रीत कौर कब आग उगलती हैं।

युवा ऊर्जा और अनुभवी मार्गदर्शन का संगम

अब श्रीलंकाई टीम केवल चमारी अथापथ्थु के कंधे पर सवार नहीं है। युवा खिलाड़ियों का एक उभरता हुआ समूह है, जो दबाव को संभालना जानता है। अथापथ्थु ने खुद कहा, “अब यह सिर्फ मेरे बारे में नहीं है। हमारे पास युवा खिलाड़ी हैं जो दबाव को संभालना जानते हैं, और वे बहुत अच्छा काम कर रहे हैं।” अनुभव और युवा जोश का यह मिश्रण टीम को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकता है। यह सिर्फ एक खिलाड़ी का खेल नहीं, बल्कि एक एकजुट इकाई का प्रदर्शन होगा, जहाँ अनुभवी खिलाड़ी मार्गदर्शन करेंगे और युवा अपने जोश से मैदान को ऊर्जा देंगे।

क्या एशियाई क्रिकेट का स्वर्णिम युग आ गया है?

महिला क्रिकेट बदल रहा है। यह अब केवल कुछ गिने-चुने देशों का खेल नहीं रहा। एशियाई टीमें न केवल प्रतिस्पर्धा कर रही हैं, बल्कि जीत भी रही हैं। 2025 का विश्व कप एक ऐसा मंच है, जहाँ यह बदलाव पूरी दुनिया के सामने आएगा। क्या चमारी अथापथ्थु का यह सपना हकीकत में बदलेगा? यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इतना तय है कि इस बार महिला क्रिकेट विश्व कप में एशियाई टीमों की चुनौती को कोई हल्के में नहीं ले सकता। यह सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक महाद्वीप की गौरव गाथा लिखने का अवसर है, एक ऐसा अध्याय जो क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जा सकता है।

निरव धनराज

दिल्ली के प्रतिभाशाली खेल पत्रकार निरव धनराज हॉकी और बैडमिंटन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। उनकी रिपोर्टिंग में खिलाड़ियों की मानसिकता की गहरी समझ झलकती है।

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