महिला वनडे विश्व कप 2025: सोफी मोलिनक्स की वापसी से ऑस्ट्रेलिया में बढ़ी चयन की सरगर्मी

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महिला वनडे विश्व कप 2025 के लिए मंच तैयार हो चुका है, और क्रिकेट जगत की नजरें एक बार फिर से ऑस्ट्रेलिया महिला क्रिकेट टीम पर टिकी हैं। डिफेंडिंग चैंपियन के रूप में, वे अपने आठवें खिताब की तलाश में हैं, लेकिन इस बार उनकी राह में एक दिलचस्प और “मीठी” चुनौती खड़ी है – टीम चयन की। बाएं हाथ की स्पिनर सोफी मोलिनक्स की चोट से वापसी ने कोच शेली निश्के के लिए अंतिम एकादश चुनने के निर्णय को और जटिल बना दिया है।

मोलिनक्स की वापसी: एक नई उम्मीद और एक पुरानी समस्या

दिसंबर से घुटने की सर्जरी से उबरने के बाद, सोफी मोलिनक्स ने इंग्लैंड के खिलाफ वार्म-अप मैच में मैदान पर वापसी की। कप्तान एलिसा हीली ने पहले ही संकेत दे दिया था कि अगर मोलिनक्स फिट होती हैं, तो वह टीम की पहली पसंद होंगी। इंग्लैंड के खिलाफ मैच में उन्होंने 5 रन बनाए और 1 विकेट लिया, जो उनकी फिटनेस साबित करने के लिए काफी था। हालांकि, उनकी वापसी ने ऑस्ट्रेलिया के पहले वनडे विश्व कप मैच, जो बुधवार को न्यूजीलैंड के खिलाफ इंदौर में खेला जाना है, के लिए चयन की बहस को तेज कर दिया है। यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ `बहुत ज्यादा अच्छी चीज़` भी एक प्रकार की समस्या बन जाती है – डिफेंडिंग चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के लिए यह एक `मीठा दर्द` है।

स्पिन आक्रमण: एक कठिन दुविधा

मोलिनक्स की वापसी का सबसे सीधा प्रभाव स्पिन आक्रमण पर पड़ेगा। ऑस्ट्रेलियाई टीम पहले से ही दो प्रतिभाशाली लेगस्पिनर, जॉर्जिया वेरेहम और अलाना किंग, के साथ मजबूत है। इन तीनों में से किसे प्लेइंग इलेवन में जगह मिलेगी, यह शेली निश्के के लिए एक वास्तविक सिरदर्द साबित हो सकता है। यह तीनों ही खिलाड़ी अपने दम पर मैच का रुख पलटने की क्षमता रखती हैं, और ऐसी गहराई किसी भी टीम के लिए एक वरदान है, लेकिन साथ ही यह एक रणनीतिक चुनौती भी पेश करती है।

निश्के ने मोलिनक्स की वापसी पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “उन्हें मैदान पर देखकर बहुत अच्छा लगा। लगभग 12 महीने हो गए हैं, लेकिन उन्हें फिर से गेंदबाजी करते देखना हमारे और हमारी टीम के लिए बहुत अच्छी बात है।” उन्होंने आगे कहा कि आगामी दिनों में टीम को `कुछ बहुत कठिन निर्णय` लेने होंगे, क्योंकि उनके पास एक `वास्तव में अच्छा स्क्वाड` है जहां हर खिलाड़ी ने किसी न किसी बिंदु पर असाधारण प्रदर्शन किया है। ऐसे में, हर किसी को संतुष्ट रखना लगभग असंभव हो जाता है, और यही एक मजबूत टीम के चयन की असली परीक्षा होती है।

तेज गेंदबाजी और बल्लेबाजी क्रम पर भी नजर

स्पिन के अलावा, तेज गेंदबाजी आक्रमण भी चयनकर्ताओं के लिए विचारणीय विषय है। डार्सी ब्राउन ने अपनी पीठ की चोट से वापसी करते हुए इंग्लैंड के खिलाफ प्रभावशाली प्रदर्शन किया (छह ओवर में 1 विकेट देकर 30 रन)। हालांकि, मेगन शुट्ट और किम गार्थ को आमतौर पर पहली पसंद के रूप में देखा जाता है, लेकिन ब्राउन की वापसी ने प्रतिस्पर्धा को और बढ़ा दिया है।

बल्लेबाजी क्रम में, जॉर्जिया वोल, जिन्होंने अपने पहले पांच वनडे में औसतन 63.50 रन बनाए हैं, शायद शीर्ष क्रम की बल्लेबाज होंगी जिन्हें बाहर बैठना पड़ सकता है। यह एक ऐसा निर्णय है जो आंकड़ों से परे, टीम की समग्र संतुलन और परिस्थितियों पर आधारित होगा। चोटिल ग्रेस हैरिस की जगह टीम में शामिल हुईं ऑलराउंडर हेदर ग्राहम ने इंग्लैंड के खिलाफ न तो बल्लेबाजी की और न ही गेंदबाजी, जो उनकी भूमिका पर कुछ प्रश्नचिह्न लगाता है।

वार्म-अप मैच की हार: तैयारी का हिस्सा

ऑस्ट्रेलिया को इंग्लैंड के खिलाफ वार्म-अप मैच में चार विकेट से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन कोच निश्के इस परिणाम से चिंतित नहीं हैं। उन्होंने इसे एक आवश्यक तैयारी माना। ऑस्ट्रेलियाई टीम ने एक नए बल्लेबाजी क्रम का प्रयोग किया, जिसमें एशले गार्डनर और फोएबे लिचफील्ड ने तेज शुरुआत दी, लेकिन उनके आउट होने के बाद मध्यक्रम लड़खड़ा गया।

निश्के ने स्वीकार किया कि उनकी टीम ने इंग्लैंड की लेगस्पिनर सारा ग्लेन को `खासकर अच्छी तरह से नहीं खेला`, लेकिन उन्होंने जोर दिया कि यह शॉट चयन का मामला था, न कि टीम के आक्रामक दृष्टिकोण को बदलने की आवश्यकता का। उन्होंने भारत के खिलाफ खेली गई द्विपक्षीय सीरीज को `कठिन गेंदबाजी परिस्थितियों में कड़ी टक्कर` के रूप में वर्णित किया, जिसने विश्व कप के लिए बेहतरीन तैयारी प्रदान की। यह हार शायद टीम को आत्म-मंथन करने और छोटी कमियों को दूर करने का मौका देगी, जो अक्सर जीत की तुलना में अधिक मूल्यवान साबित होती है।

आगे की रणनीति: अनुकूलन और आक्रमण

ऑस्ट्रेलियाई टीम सिर्फ एक अतिरिक्त वार्म-अप मैच का विकल्प चुनकर विश्व कप में `युद्ध-कठोर` होकर उतरने के लिए तैयार है। निश्के का मानना है कि उनकी टीम `अच्छी स्थिति में` है और `पर्याप्त प्रदर्शन` कर चुकी है, साथ ही भारत में `अनुकूलित` भी हो चुकी है। यह सब आत्मविश्वास उनकी रणनीतिक योजना और खिलाड़ियों की क्षमताओं पर आधारित है।

यह विश्व कप केवल ऑस्ट्रेलिया के दबदबे को बनाए रखने की कहानी नहीं होगा, बल्कि यह शेली निश्के के नेतृत्व में उनके रणनीतिक कौशल और गहरे बेंच स्ट्रेंथ का भी परीक्षण करेगा। क्या वे इस “चयन दुविधा” को सफलता की कुंजी में बदल पाएंगे? या फिर यह उनकी राह में एक अप्रत्याशित बाधा बन जाएगी? 2025 महिला वनडे विश्व कप में इसका जवाब मिलेगा, और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्रिकेट की सबसे सफल टीमों में से एक, अपनी ही ताकत से उपजी इस चुनौती का सामना कैसे करती है।

आदित्य चंद्रमोहन

मुंबई में निवास करने वाले आदित्य चंद्रमोहन खेल पत्रकारिता में बारह वर्षों से सक्रिय हैं। क्रिकेट और कबड्डी की दुनिया में उनकी गहरी समझ है। वे खेल के सूक्ष्म पहलुओं को समझने और उन्हें सरल भाषा में प्रस्तुत करने में माहिर हैं।

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