क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, यह जुनून, दृढ़ता और कभी न हारने वाली भावना का प्रतीक भी है। यह कहानी अफगानिस्तान की उन महिला क्रिकेटरों की है, जिन्होंने संघर्षों के बावजूद अपने खेल को जीवित रखा और अब अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक नई शुरुआत की ओर देख रही हैं।
संघर्षों के बीच क्रिकेट का जुनून
2021 में अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद, महिला खिलाड़ियों के लिए अपने देश में खेलना लगभग असंभव हो गया था। खेल के मैदान से दूर, शिक्षा के अवसरों से वंचित और सार्वजनिक जीवन से बहिष्कृत, इन महिला क्रिकेटरों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपने वतन से दूर ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में शरण लेनी पड़ी। यह केवल खेल का अंत नहीं था, बल्कि एक पहचान और भविष्य का सवाल था। लेकिन उनके भीतर क्रिकेट की लौ कभी बुझी नहीं।
भारत में मिला विश्व कप का अनमोल अनुभव
एक नई सुबह की तरह, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (CA), इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के सहयोग से इन निर्वासित अफगान महिला क्रिकेटरों के लिए एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। यह कार्यक्रम 12 दिनों का था और इसका केंद्र भारत था। यह पहली बार था जब इन खिलाड़ियों को किसी वैश्विक टूर्नामेंट से जुड़ने का मौका मिला, भले ही दर्शकों के रूप में ही सही।
बेंगलुरु में प्रशिक्षण और प्रेरणा
17 पूर्व अनुबंधित अफगान महिला खिलाड़ियों के इस समूह को बेंगलुरु के प्रतिष्ठित बीसीसीआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CoE) में प्रशिक्षण लेने का अवसर मिला। भारतीय क्रिकेट के दिग्गज वीवीएस लक्ष्मण के नेतृत्व में, इन खिलाड़ियों को फिटनेस परीक्षण, मैच सिमुलेशन और विशेषज्ञ कोचिंग से गुजरना पड़ा। यह सिर्फ शारीरिक प्रशिक्षण नहीं था, बल्कि मानसिक मजबूती और खेल के प्रति उनके समर्पण को फिर से जगाने का एक माध्यम भी था। कल्पना कीजिए, लगातार चार साल के अंतराल के बाद, फिर से क्रिकेट की उस लय को महसूस करना, पसीना बहाना और रणनीति बनाना – यह किसी सपने से कम नहीं था।
गुवाहाटी में ऐतिहासिक पल
कार्यक्रम के दौरान, इन खिलाड़ियों ने गुवाहाटी के एसीए स्टेडियम में महिला वनडे विश्व कप 2025 का उद्घाटन मैच देखा, जिसमें भारत और श्रीलंका आमने-सामने थीं। विश्व कप के उत्साह और अंतर्राष्ट्रीय मैच के माहौल को करीब से अनुभव करना उनके लिए एक अविस्मरणीय पल था। यह केवल एक मैच देखना नहीं था, बल्कि भविष्य के लिए प्रेरणा और बड़े मंच पर खेलने के सपने को फिर से बुनना था।
वैश्विक एकजुटता और उम्मीद का प्रतीक
इस यात्रा के दौरान, इन खिलाड़ियों को भारत, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी शीर्ष टीमों के खिलाड़ियों से मिलने का भी मौका मिला। न्यूजीलैंड की कप्तान सोफी डिवाइन ने उन्हें एक जेड हार भेंट किया, जो साहस और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। यह एक साधारण उपहार नहीं था, बल्कि वैश्विक क्रिकेट समुदाय की ओर से समर्थन और प्रेरणा का एक शक्तिशाली संदेश था। यह दर्शाता है कि खेल कैसे सीमाओं से परे होकर एकजुटता और मानवीय भावना को बढ़ावा देता है।
“यह कहानी सिर्फ क्रिकेट की नहीं, बल्कि मानवीय भावना की जीत की है। यह उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार हैं।”
एक नए भविष्य की ओर
हालांकि ये खिलाड़ी अभी आधिकारिक तौर पर अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकतीं, लेकिन उनमें से कई ऑस्ट्रेलिया में लीग संरचनाओं में खेल रही हैं। जनवरी में मेलबर्न में एक प्रदर्शनी मैच में उनकी भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि वे खेल से जुड़े रहना चाहती हैं। आईसीसी और सहयोगी बोर्डों द्वारा प्रदान की गई यह वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण सुविधाएं एक नया मार्ग प्रशस्त कर रही हैं।
इन खिलाड़ियों का सपना अफगानिस्तान की पुरुष टीम की तरह ही एक उच्च-प्रदर्शन कार्यक्रम से गुजरना, एक सुसंगठित टीम बनाना और भविष्य में टी20 महिला विश्व कप क्वालीफायर जैसे बड़े टूर्नामेंटों में भाग लेना है। यह एक लंबा सफर है, जिसमें धैर्य और अथक प्रयास की आवश्यकता होगी, लेकिन जिस दृढ़ता और जुनून के साथ उन्होंने अब तक का सफर तय किया है, वह इस बात का संकेत है कि वे किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।
निष्कर्ष
अफगानिस्तान की महिला क्रिकेटरों की कहानी केवल खेल की नहीं, बल्कि अदम्य मानवीय भावना, अटूट उम्मीद और वैश्विक एकजुटता की है। यह दिखाता है कि कैसे खेल लोगों को जोड़ सकता है, उन्हें प्रेरित कर सकता है और उन्हें एक बेहतर भविष्य के लिए लड़ने की शक्ति दे सकता है। भारत में मिला यह विश्व कप का अनुभव उनके लिए एक नई शुरुआत है, एक ऐसी शुरुआत जो आने वाले समय में महिला क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय लिखेगी। यह दर्शाता है कि खेल कैसे राजनीतिक बाधाओं से ऊपर उठकर व्यक्तिगत सपनों और सामुदायिक सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त करता है।