पाकिस्तान डोमेस्टिक क्रिकेट: कराची क्यों हुआ फर्स्ट क्लास से बाहर? पीसीबी के बदलाव की पूरी कहानी

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पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने अपने घरेलू क्रिकेट ढांचे में एक बड़ा और कुछ हद तक चौंकाने वाला बदलाव किया है। इस पुनर्गठन का सबसे अहम पहलू यह है कि पाकिस्तान के क्रिकेट के सबसे बड़े केंद्रों में से एक, कराची, अब देश की प्रमुख फर्स्ट क्लास प्रतियोगिता, कायदे-आजम ट्रॉफी, में सीधे तौर पर शामिल नहीं रहेगा।

पीसीबी ने कायदे-आजम ट्रॉफी में भाग लेने वाली टीमों की संख्या को 18 से घटाकर मात्र 8 कर दिया है। इस कटौती का सीधा असर कराची पर पड़ा है, जिसके दो टीमें – कराची व्हाइट्स और कराची ब्लूज – पिछले सीज़न तक इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट का हिस्सा थीं। अब ये दोनों टीमें गैर-फर्स्ट क्लास स्तर की हनीफ मोहम्मद ट्रॉफी में भेज दी गई हैं।

क्रिकेट की दुनिया में कराची का महत्व किसी परिचय का मोहताज नहीं है। यह शहर पाकिस्तान में प्रतिभा का एक प्रमुख स्रोत रहा है और कायदे-आजम ट्रॉफी को रिकॉर्ड 21 बार जीत चुका है। इसकी तुलना अक्सर भारत में मुंबई से की जाती है, जिसने रणजी ट्रॉफी पर 42 बार कब्ज़ा किया है। ऐसे ऐतिहासिक और प्रभावशाली क्रिकेट केंद्र का शीर्ष घरेलू टूर्नामेंट से बाहर होना कई लोगों के लिए हैरानी की बात है।

पाकिस्तान के पूर्व विकेटकीपर-बल्लेबाज, कामरान अकमल, इस फैसले से खासे नाखुश दिखे। उन्होंने कहा, “मेरे लिए यह चौंकाने वाला है कि इतने बड़े क्षेत्र, इतनी बड़ी टीम को, जिसने हमेशा फर्स्ट क्लास क्रिकेट में दबदबा बनाए रखा है, उसे पदावनत कर दिया गया है। कराची ने वर्षों से बहुत सारे टॉप खिलाड़ी दिए हैं। टॉप आठ टीमों के फर्स्ट क्लास टूर्नामेंट खेलने और कराची का उनमें से एक न होना, मुझे नहीं लगता कि यह एक अच्छा फैसला है – 110 प्रतिशत कराची की एक टीम वहां होनी चाहिए।”

अकमल ने पीसीबी के दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए कहा, “क्षेत्र में बहुत प्रतिभा है। अगर उन्हें फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने को नहीं मिलता तो इन सभी लड़कों का क्या कसूर है? अगर आप यह मॉडल लाने की योजना बना रहे थे, तो आपको सभी टीमों को पहले से सूचित करना चाहिए था – शायद 2026-27 सीज़न के लिए। अचानक ऐसा फैसला सुनाना और किसी पर भरोसा न करना सही तरीका नहीं है।”

उन्होंने पाकिस्तान क्रिकेट के सिस्टम पर भी सवाल उठाए। “हमारा सिस्टम मजबूत नहीं है। इसमें योग्यता नहीं है, और क्रिकेट की गुणवत्ता में कमी है। ये पाकिस्तान क्रिकेट के लिए तीन गंभीर चिंताएं हैं। यह कोई अच्छा संकेत नहीं है। हमारा क्रिकेट संघर्ष कर रहा है, और जो भी पीसीबी में आता है वह अपने तरीके से एक घरेलू मॉडल बनाने की कोशिश करता है। यह एक आदर्श दृष्टिकोण नहीं है। जब तक पेशेवर लोगों को नहीं लाया जाता, चीजें ऐसी ही रहेंगी – हम पिछले छह या सात वर्षों से ऐसा ही देख रहे हैं।” अकमल ने थोड़ी मायूसी भरे अंदाज़ में कहा, “लेकिन अब हमें इसकी आदत हो गई है। क्रिकेट की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है। तो हाँ, मेरे लिए यह हैरानी की बात है कि कराची की कोई टीम नहीं है।”

हालांकि, पाकिस्तान के पूर्व विकेटकीपर-बल्लेबाज और कप्तान रशीद लतीफ, इस पीसीबी के कदम में कुछ भी गलत नहीं मानते। उन्होंने कहा, “घरेलू ढांचा पिछले छह-सात वर्षों से बदल रहा है और टीमों की संख्या भी बदल रही है। कराची की टीमों के पास कायदे-आजम ट्रॉफी के लिए क्वालीफाई करने का मौका है। मैं खुद कराची का निवासी हूं और कह सकता हूं कि मैं इस फैसले से सहज हूं।”

कराची के पास अब शीर्ष स्तर पर लौटने का रास्ता है। हनीफ मोहम्मद ट्रॉफी 15 अगस्त से खेली जाएगी, जिसमें शीर्ष दो टीमें कायदे-आजम ट्रॉफी के लिए क्वालीफाई करेंगी। कराची की टीमों के साथ, फैसलाबाद, रावलपिंडी, फाटा, लाहौर रीजन ब्लूज, हैदराबाद, मुल्तान, क्वेटा, डी.एम. जमाली, एजेके, और लरकाना सहित 10 अन्य क्षेत्रीय टीमें हनीफ मोहम्मद ट्रॉफी में हिस्सा लेंगी।

इस बीच, छह टीमें जिन्होंने कायदे-आजम ट्रॉफी के लिए सीधी जगह बनाई है, वे हैं लाहौर रीजन व्हाइट्स, सियालकोट, पेशावर, इस्लामाबाद, एबटाबाद और बहावलपुर। हनीफ मोहम्मद ट्रॉफी से क्वालीफाई करने वाली दो टीमों के साथ, ये आठ टीमें 22 सितंबर से 7 नवंबर तक चलने वाले 29 मैचों के सिंगल-लीग प्रारूप में प्रतिस्पर्धा करेंगी। पिछले साल कायदे-आजम ट्रॉफी का खिताब सियालकोट ने जीता था।

यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कराची की टीमें हनीफ मोहम्मद ट्रॉफी से क्वालीफाई कर पाती हैं और क्या पीसीबी का यह नया, छोटा ढांचा पाकिस्तान में फर्स्ट क्लास क्रिकेट के स्तर को ऊपर उठाने में सफल होता है, या यह सिर्फ एक और बदलाव साबित होता है जिसकी `आदत` हो गई है, जैसा कि कामरान अकमल ने कहा।

प्रमोद विश्वनाथ

बेंगलुरु के वरिष्ठ खेल पत्रकार प्रमोद विश्वनाथ फुटबॉल और एथलेटिक्स के विशेषज्ञ हैं। आठ वर्षों के अनुभव ने उन्हें एक अनूठी शैली विकसित करने में मदद की है।

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