रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की है, जिसके साथ ही उनके उल्लेखनीय करियर का समापन हो गया है। उनका करियर दो बिल्कुल अलग-अलग चरणों में बंटा हुआ था। पहले 27 टेस्ट मैचों में, वह मध्यक्रम के एक सामान्य बल्लेबाज थे, जिनका बल्लेबाजी औसत 40 से कम था। हालांकि, वनडे क्रिकेट की तरह ही, जब उन्हें देश के लिए ओपनिंग करने के लिए आगे किया गया, तो उनके भाग्य में नाटकीय बदलाव आया। विशाखापत्तनम टेस्ट 2019 से लेकर धर्मशाला टेस्ट 2024 तक, टेस्ट बल्लेबाज के रूप में रोहित का औसत 50 था और वह न केवल दुनिया के अग्रणी ओपनर्स में से एक थे, बल्कि इस फॉर्मेट में भारत के लिए सबसे आगे रहने वाले बल्लेबाज भी थे।
भारत के बाहर का संघर्ष
रोहित ने भारत के लिए अपने पहले दो टेस्ट मैचों (कोलकाता और मुंबई में वेस्टइंडीज के खिलाफ) में दो शतक लगाकर अपने टेस्ट करियर की शानदार शुरुआत की, लेकिन उसके बाद उन्हें इस फॉर्मेट में एक बड़ी गिरावट का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपने पहले 27 टेस्ट में केवल 1585 रन 39.6 के औसत से बनाए। इस दौरान उनकी विफलता दर (Failure Rate) लगभग 50% थी और उन्होंने इस समय-सीमा में केवल एक बार तीन अंकों का आंकड़ा पार किया – 2017 में नागपुर में श्रीलंका के खिलाफ, जो उनके डेब्यू के चार साल बाद था! हालांकि घर पर उनका प्रदर्शन शानदार रहा, लेकिन भारत के बाहर उनके आंकड़े चौंकाने वाले थे। उन्होंने 18 विदेशी टेस्ट में केवल 816 रन 26.3 के औसत से बनाए थे। देश के बाहर उन्होंने कोई शतक नहीं लगाया था। लिमिटेड-ओवर्स क्रिकेट में एक आधुनिक महान खिलाड़ी होने के बावजूद, वह अपने लॉन्ग-फॉर्म करियर के crossroads पर थे और एक बल्लेबाज के तौर पर रोहित के लिए समय तेजी से निकल रहा था।
विजाग में दोहरे शतक
रोहित का दक्षिण अफ्रीका दौरा भयानक रहा और उसके बाद ऑस्ट्रेलिया में भी एक कठिन दौरा हुआ। टेस्ट प्लेइंग इलेवन से उन्हें बाहर करने की मांग बढ़ने लगी। उनके करियर के संकट में होने पर, रोहित को भारत के लिए ओपनिंग करने के लिए एक आखिरी उपाय के तौर पर आगे किया गया। यह एक मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ। रोहित ने इस अवसर का भरपूर फायदा उठाया! उन्होंने विजाग में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज के पहले मैच की दोनों पारियों में शतक जड़ा, ऐसा करने वाले वह छठे भारतीय बल्लेबाज बने। इस शानदार प्रदर्शन ने रोहित शर्मा – टेस्ट ओपनर – को जन्म दिया और टेस्ट क्रिकेट में भारत के लिए एक नया अध्याय खोला।
टेस्ट ओपनर के तौर पर दबदबा
अक्टूबर 2019 में विजाग टेस्ट से लेकर मार्च 2024 में धर्मशाला में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज के अंत तक, रोहित – टेस्ट ओपनर के तौर पर – नई ऊंचाइयों पर पहुंचे और दुनिया के प्रमुख टॉप-ऑर्डर बल्लेबाजों में शुमार हो गए! इस समय-सीमा में वह दुनिया के सभी ओपनर्स में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी थे और उन्होंने 32 मैचों में 50.03 के औसत से 2552 रन बनाए, जिसमें नौ शतक और 7 अर्द्धशतक शामिल थे। इस अवधि में कम से कम 10 टेस्ट खेलने वाले 15 ओपनर्स में से, केवल दिमुथ करुणारत्ने (52.4) का बल्लेबाजी औसत रोहित के 50.03 से अधिक था। इन साढ़े चार सालों में किसी भी ओपनिंग बल्लेबाज ने रोहित के 9 शतकों से ज्यादा शतक नहीं लगाए।
प्रदर्शन का समय और संदर्भ
टेस्ट ओपनर के तौर पर रोहित का उदय भारत के बिग 3 (विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे) के लिए एक अशांत समय के साथ हुआ। कोहली, पुजारा और रहाणे का 2020 और 2021 में खराब प्रदर्शन रहा। इस अवधि में कोहली का औसत 26.1, पुजारा का 26.2 और रहाणे का 25 था और रोहित पर कदम बढ़ाने और योगदान देने का दबाव था। इस समय-सीमा (2020-2021) में रोहित ने सभी अन्य भारतीय बल्लेबाजों से बेहतर प्रदर्शन किया और सिर्फ 11 टेस्ट में 47.68 के औसत से 906 रन बनाए! 2021 में चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ उनकी 161 रनों की पारी (भारत सीरीज में 0-1 से पीछे था) को व्यापक रूप से भारतीय धरती पर किसी भी बल्लेबाज द्वारा बनाए गए महानतम शतकों में गिना जाता है। रोहित ने विजाग 2019 और धर्मशाला 2024 के बीच घर पर 20 टेस्ट खेले और 54.43 के औसत और 65.4 के स्ट्राइक रेट से 1633 रन बनाए। इस समय-सीमा में घर पर किसी भी भारतीय ने रोहित से ज्यादा रन नहीं बनाए। जिस दर से उन्होंने रन बनाए वह भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि इसने न केवल विपक्षी गेंदबाजों को demoralize किया, बल्कि भारतीय गेंदबाजों को विपक्षी टीम को दो बार आउट करने के लिए पर्याप्त समय भी दिया।
विदेशी प्रदर्शन में बदलाव
जहां रोहित का भारत में हमेशा अच्छा रिकॉर्ड रहा, वहीं उनके टेस्ट करियर में बड़ा बदलाव उनके विदेशी प्रदर्शनों में आया। इस अवधि में उन्होंने भारत के बाहर 12 टेस्ट में 43.76 के औसत से 919 रन बनाए, जिसमें दो शतक और पांच अर्द्धशतक शामिल थे। ब्रिसबेन और सिडनी में शुभमन गिल के साथ उनकी ओपनिंग साझेदारी से लेकर लॉर्ड्स में बड़ी जीत में उनके 83 रनों तक और अंततः सितंबर 2021 में ओवल टेस्ट में अपना पहला विदेशी शतक दर्ज करने तक, ओपनर के तौर पर रोहित का कद बढ़ा और उन्होंने इस अवधि के दौरान भारत की कुछ सबसे महत्वपूर्ण विदेशी जीतों में योगदान दिया।
रोहित ने अपने करियर के आखिरी आठ टेस्ट में अपनी फॉर्म में बड़ी गिरावट देखी और 15 पारियों में केवल 164 रन 10.93 के औसत से बनाए। इनमें बांग्लादेश के खिलाफ दो घरेलू टेस्ट, न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन घरेलू टेस्ट और ऑस्ट्रेलिया में तीन विदेशी टेस्ट शामिल थे। हालांकि, सबसे लंबे फॉर्मेट में उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि ओपनर के तौर पर उनका योगदान था – जब अक्टूबर 2019 और मार्च 2024 के बीच भारतीय टीम दबाव में थी और बाकी बल्लेबाज संघर्ष कर रहे थे, तब उन्होंने अपने खेल का स्तर बढ़ाया। रोहित ने उस समय मुश्किल रन बनाए जब टीम को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। और यही भारतीय टेस्ट क्रिकेट के लिए उनकी सबसे बड़ी विरासत है!