जमैका का ऐतिहासिक सबीना पार्क मैदान क्रिकेट इतिहास में एक नया अध्याय लिख रहा है। वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के बीच चल रही फ्रैंक वॉरेल ट्रॉफी टेस्ट श्रृंखला का अंतिम और तीसरा मैच यहाँ डे-नाइट फॉर्मेट में गुलाबी गेंद से खेला जा रहा है। इस ऐतिहासिक मुकाबले के आयोजन को लेकर पिछले कई हफ्तों से अनिश्चितता बनी हुई थी, कि क्या यह वाकई में गुलाबी गेंद का टेस्ट होगा या नहीं। लेकिन अब सारी आशंकाएं दूर हो गई हैं और मैदान दूधिया रोशनी से जगमगा उठा है, शाब्दिक अर्थों में!
इतिहास बनने से पहले की तैयारी
सबीना पार्क में डे-नाइट टेस्ट का आयोजन आसान नहीं था। मैदान की फ्लडलाइट्स की रोशनी का स्तर अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है या नहीं, इसे प्रमाणित करने के लिए विशेष प्रयास किए गए। यहाँ तक कि इस काम के लिए मेक्सिको से एक विशेषज्ञ को भी बुलाया गया, जिन्होंने रोशनी के स्तर की जांच की। जमैका सरकार ने भी इस ऐतिहासिक इवेंट को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई। संस्कृति, लिंग, मनोरंजन और खेल मंत्री ओलिविया ग्रांज ने स्वयं इस टेस्ट को हरी झंडी मिलने की पुष्टि की, जो अपने आप में एक अनोखी बात थी। 9 जुलाई की शाम को पहली बार क्रिकेट सत्र के लिए लाइट्स को आधिकारिक तौर पर चालू किया गया। लगभग आधे घंटे तक सभी संबंधित लोग, जिनमें ऑस्ट्रेलियाई और वेस्टइंडीज के खिलाड़ी शामिल थे, नए माहौल के साथ सामंजस्य बिठाने की कोशिश करते दिखे। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज काले साइडस्क्रीन के सामने गुलाबी गेंद का सामना करने की आदत डाल रहे थे, जबकि फील्डर मैदान के अलग-अलग हिस्सों में कैचिंग का अभ्यास कर रहे थे, जिनमें दो संभावित `अंधेरे` स्पॉट भी शामिल थे। एक दिन बाद वेस्टइंडीज टीम ने भी मैच अधिकारियों, जिसमें रेफरी जवागल श्रीनाथ भी शामिल थे, की मौजूदगी में यही अभ्यास किया। आखिरकार, सबीना पार्क को डे-नाइट टेस्ट क्रिकेट के लिए `ग्रीन लाइट` मिल गई, जिसने जमैका क्रिकेट और सरकार से जुड़े लोगों को खुश कर दिया।
`इवेंट` का रंग बनाम हकीकत की फीकी चमक
स्थानीय आयोजक इस मैच को सिर्फ एक क्रिकेट मुकाबले के तौर पर नहीं, बल्कि एक भव्य `इवेंट` के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं। पहले कुछ दिनों के लिए स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों के प्रदर्शन की योजना है ताकि दर्शकों को स्टेडियम तक खींचा जा सके। लेकिन अफसोस की बात यह है कि मैदान में दर्शकों की उपस्थिति को लेकर ज्यादा उत्साह नहीं है। दो करारी हार झेलने के बाद वेस्टइंडीज टीम सम्मान बचाने के लिए खेल रही है, लेकिन जमैका के दर्शक टिकट खरीदने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। हालत यह है कि आयोजकों को जॉर्ज हेडली स्टैंड, जहाँ अटलांटा ओलंपिक सीटें लगी हैं, उसे अभी के लिए बंद करना पड़ा है। यह सीधे तौर पर कम टिकट बिक्री में दर्शकों की underwhelming दिलचस्पी का नतीजा है। ऑस्ट्रेलियाई प्रशंसकों का एक छोटा समूह जरूर मैदान में होगा, लेकिन पूरी संभावना है कि क्राउड इस तीसरे टेस्ट मैच में वो जान नहीं डाल पाएगा, जो आमतौर पर टेस्ट क्रिकेट में देखने को मिलती है, खासकर तब जब ट्रॉफी पहले ही पैट कमिंस की टीम ने अपने पास रख ली हो। शायद यह `पिंक बॉल ग्लो-अप` मैदान के बाहर ज्यादा महसूस हो रहा है बजाय मैदान के अंदर।
पिच का मिजाज और गुलाबी गेंद का असर
जहाँ लाइट्स और माहौल पर सबकी निगाहें हैं, वहीं सबीना पार्क की पिच भी कम दिलचस्प नहीं है। यह पिच हरी-भरी दिख रही है जिसमें ऊपर काफी घास है, लेकिन सतह सूखी लग रही है और मैच की पूर्व संध्या पर ग्राउंड स्टाफ को इसे पानी देना पड़ा। गुलाबी ड्यूक्स गेंद नेट्स सत्र के दौरान काफी स्विंग हुई है और किंग्स्टन में अगले कुछ दिनों में खेल के रुख में इसकी बड़ी भूमिका होगी। ड्यूक्स गेंद की सीम और शाम की नमी गेंदबाजों के लिए घातक साबित हो सकती है। किंग्स्टन में दिन के दौरान भयानक गर्मी और अत्यधिक आर्द्रता होती है, इसलिए गेंदबाज दिन ढलने के बाद गेंदबाजी करके खुश होंगे। इसका कारण सिर्फ लाइट्स के नीचे मिलने वाले फायदे ही नहीं हैं, बल्कि सूर्यास्त के बाद चलने वाली ठंडी हवा का लाभ उठाना भी है, जो उन्हें थोड़ी राहत देगी।
वेस्टइंडीज: सम्मान बचाने की चुनौती और टीम संयोजन
वेस्टइंडीज टीम के लिए यह सीरीज बेहद निराशाजनक रही है। वे पहले ही 0-2 से पिछड़ चुके हैं और यह मैच सिर्फ सम्मान बचाने का मौका है। टीम चयन को लेकर कप्तान क्रेग ब्रेथवेट पर सवाल उठ रहे हैं, जिन्होंने अपने 100वें टेस्ट के बाद से 4 पारियों में सिर्फ 15 रन बनाए हैं। शायद अब समय आ गया है कि उन्हें बाहर बिठाया जाए और युवा मिकाइल लुई को मौका मिले, जो इंतजार कर रहे हैं। तीसरे नंबर पर भी बदलाव हो सकता है क्योंकि केसी कार्टी अब तक खुद को साबित करने में असफल रहे हैं। रोस्टन चेज ने यह भी संकेत दिया कि ग्रेनेडा में चार तेज गेंदबाजों की रणनीति असफल रहने के बाद उप-कप्तान जोमेल वॉरिकन की वापसी हो सकती है। वेस्टइंडीज के खिलाड़ी नेट्स में काफी आक्रामक तरीके से बल्लेबाजी करते दिखे, मानो वे टी20 मोड में हों, हर गेंद को मैदान के अलग-अलग हिस्सों में भेजने की कोशिश कर रहे थे। अगर यह कोई संकेत है, तो मैच बेहद मनोरंजक हो सकता है, और शायद उम्मीद से जल्दी खत्म भी हो जाए।
ऑस्ट्रेलिया: प्रयोग का मैदान और साहसिक फैसले
दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया ने ट्रॉफी पहले ही जीत ली है और उनके लिए यह मैच एशेज से पहले अपनी टीम संयोजन और खिलाड़ियों का परीक्षण करने का अंतिम मौका है। कप्तान पैट कमिंस ने पहले दो टेस्ट में अपनी प्लेइंग इलेवन की घोषणा बहुत जल्दी कर दी थी, लेकिन इस बार उन्होंने पत्ते नहीं खोले, जिससे अटकलों का दौर शुरू हो गया। सबसे बड़ी अटकल यह है कि क्या वे ऑफ स्पिनर नाथन लियोन की जगह स्कॉट बोलैंड को शामिल कर चार तेज गेंदबाजों के साथ उतरेंगे। लियोन इस सीरीज में महंगे साबित हुए हैं (लगभग 4.7 प्रति ओवर), लेकिन विकेट भी लिए हैं। सबीना पार्क में सीधी बाउंड्री छोटी हैं, इसलिए लियोन को बाहर करना एक बहुत ही साहसिक कदम होगा। सैम कॉन्स्टास ओपनिंग में उस्मान ख्वाजा के स्थायी साथी बन सकते हैं या नहीं, इस पर भी सबकी निगाहें होंगी। यह मैच ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए अपनी गहराई और अलग-अलग रणनीतियों को परखने का महत्वपूर्ण अवसर है।
कुल मिलाकर, जमैका का यह डे-नाइट टेस्ट कई मायनों में खास है। यह सबीना पार्क के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, दोनों टीमों के लिए अपनी रणनीतियों और खिलाड़ियों को परखने का मौका है, और दर्शकों की कमी व तकनीकी चुनौतियों के बावजूद, गुलाबी गेंद के जादू और पिच के मिजाज के साथ मिलकर यह एक अप्रत्याशित और मनोरंजक मुकाबला बन सकता है। देखते हैं सबीना पार्क की `गुलाबी चमक` में कौन बेहतर प्रदर्शन करता है।