शतरंज का अनोखा प्रारूप: डैनियल डारढ़ा ने क्लॉक साइमल में तोड़ा विश्व रिकॉर्ड

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हाल ही में शतरंज जगत में एक असाधारण उपलब्धि दर्ज की गई है। बेल्जियम के युवा और प्रतिभाशाली ग्रैंडमास्टर डैनियल डारढ़ा ने शतरंज की एक विशेष और चुनौतीपूर्ण प्रदर्शनी, जिसे `क्लॉक साइमल` (Clock Simul) कहा जाता है, में एक नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया है। यह कारनामा उनकी अद्भुत प्रतिभा, एकाग्रता और विशेष रूप से समय प्रबंधन कौशल का प्रमाण है।

क्लॉक साइमल क्या है और यह क्यों चुनौतीपूर्ण है?

पारंपरिक साइमलटेनियस प्रदर्शनियों में मुख्य खिलाड़ी एक साथ कई बोर्डों पर घूमकर चाल चलता है, और विपक्षी खिलाड़ी को मुख्य खिलाड़ी के वापस आने का इंतजार करना पड़ता है। इसके विपरीत, क्लॉक साइमल में हर बोर्ड पर एक घड़ी लगी होती है। विपक्षी खिलाड़ी अपनी चाल चलते ही अपनी घड़ी चला सकते हैं, और उन्हें मुख्य खिलाड़ी के पास आने की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती। इसका मतलब है कि मुख्य खिलाड़ी (इस मामले में डारढ़ा) को हर बोर्ड पर बहुत तेजी से सोचना होता है और अपनी चाल चलनी होती है ताकि उसकी अपनी घड़ी में समय समाप्त न हो जाए। यह प्रारूप मुख्य खिलाड़ी पर बेहद दबाव डालता है, क्योंकि उसे एक साथ कई गेम में समय का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करना होता है।

डारढ़ा का प्रभावशाली प्रदर्शन

डैनियल डारढ़ा ने इस कठिन परीक्षा में 50 खिलाड़ियों का एक साथ सामना किया। उनके प्रदर्शन के आंकड़े वाकई प्रभावशाली हैं: उन्होंने 40 गेम जीते, 7 ड्रॉ खेले और केवल 3 गेम हारे। इस तरह, उन्होंने कुल 43.5 अंक हासिल किए, जो 87% की असाधारण सफलता दर है।

यह स्कोर पिछले विश्व रिकॉर्ड से काफी बेहतर है। इससे पहले, डच ग्रैंडमास्टर सिप्के अर्न्स्ट ने नवंबर 2022 में 47 विरोधियों के खिलाफ क्लॉक साइमल में 35 अंक अर्जित किए थे, जो 74% की सफलता दर थी। डारढ़ा ने न केवल अधिक खिलाड़ियों के खिलाफ खेला, बल्कि उनकी जीत का प्रतिशत भी काफी अधिक रहा, जो उनके प्रभुत्व को दर्शाता है।

यह यादगार कार्यक्रम बेल्जियम के डेंजे शहर के `डे ब्रियलपोर्ट` नामक कॉन्सर्ट हॉल में आयोजित किया गया था। डारढ़ा के प्रतिद्वंद्वी कोई सामान्य खिलाड़ी नहीं थे; उनकी औसत एलो रेटिंग 1834 थी, जो क्लब स्तर के मजबूत खिलाड़ियों की श्रेणी में आते हैं। इतने सक्षम विरोधियों के खिलाफ ऐसा परिणाम हासिल करना डारढ़ा की महानता को और उजागर करता है।

आधिकारिक मान्यता की ओर

हालांकि यह रिकॉर्ड अभी अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) द्वारा आधिकारिक तौर पर प्रमाणित नहीं हुआ है, बेल्जियम शतरंज महासंघ ने आवश्यक आवेदन जमा कर दिया है। पूरी उम्मीद है कि जल्द ही इस उपलब्धि को विश्व रिकॉर्ड के रूप में मान्यता मिल जाएगी।

डैनियल डारढ़ा का यह कारनामा शतरंज की दुनिया में उनकी स्थिति को और मजबूत करता है और दिखाता है कि वह न केवल शास्त्रीय शतरंज में बल्कि इस तरह के तीव्र और दबाव भरे प्रारूपों में भी कितने कुशल हैं। 50 बोर्डों पर एक साथ समय और चालों का प्रबंधन करना किसी भी ग्रैंडमास्टर के लिए एक बड़ी चुनौती है, और डारढ़ा ने इसे शानदार ढंग से पूरा किया है। यह उपलब्धि युवा शतरंज खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत बनेगी कि कैसे दृढ़ संकल्प और कुशल समय प्रबंधन के साथ बड़ी सफलताएं हासिल की जा सकती हैं।

निरव धनराज

दिल्ली के प्रतिभाशाली खेल पत्रकार निरव धनराज हॉकी और बैडमिंटन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। उनकी रिपोर्टिंग में खिलाड़ियों की मानसिकता की गहरी समझ झलकती है।

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