शतरंज, जिसे अक्सर “राजाओं का खेल” और “दिमाग की कसरत” कहा जाता है, अपनी बौद्धिक शुद्धता और अखंडता के लिए जाना जाता है। लेकिन कभी-कभी, इस प्रतिष्ठित खेल पर भी बेईमानी का साया पड़ जाता है। ऐसा ही एक मामला 2024 की स्पेनिश टीम चैंपियनशिप में सामने आया, जिसने पूरी दुनिया के शतरंज प्रेमियों को चौंका दिया। कहानी है एक युवा और प्रतिभाशाली ग्रैंडमास्टर किरिल शेवचेंको की, जिन पर धोखाधड़ी का आरोप लगा और जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें अपने करियर की सबसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ी: उनका ग्रैंडमास्टर खिताब वापस ले लिया गया और उन पर तीन साल का वैश्विक प्रतिबंध लगा दिया गया।
स्पेनिश चैंपियनशिप में अजीबोगरीब घटनाक्रम
मेलिला, स्पेन में आयोजित यह चैंपियनशिप एक आम टूर्नामेंट की तरह ही शुरू हुई थी। खेल के पहले दौर में, 22 वर्षीय ग्रैंडमास्टर किरिल शेवचेंको ने अमीनो बासम को हराया। दूसरे दौर में, उनका मुकाबला स्पेन के दिग्गज खिलाड़ी फ्रांसिस्को वेलेजो से था। यहीं से कहानी में एक अजीब मोड़ आया। वेलेजो ने देखा कि शेवचेंको बार-बार अपनी सीट छोड़कर एक ही शौचालय में लंबे समय तक जा रहे थे। यह पैटर्न इतना असामान्य था कि वेलेजो को संदेह हुआ और उन्होंने आर्बिटर को सूचित किया। दिलचस्प बात यह थी कि बासम, उनके पहले प्रतिद्वंद्वी, ने भी इसी तरह की शिकायत दर्ज कराई थी।
अखाड़े के अंदर तकनीक का ऐसा उपयोग, जहां हर चाल दिमाग की उपज होनी चाहिए, एक विडंबना ही है। आयोजकों ने जांच शुरू की, और जल्द ही, शौचालय के अंदर से दो स्मार्टफोन बरामद हुए। इनमें से एक फोन के साथ एक नोट भी मिला, जिसे बाद में शेवचेंको द्वारा लिखा गया बताया गया। नियम स्पष्ट थे: खिलाड़ियों को खेल शुरू होने से पहले सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जमा करने होते हैं। यह तो ऐसा था मानो, कोई खिलाड़ी रणभूमि में धनुष की जगह मिसाइल लेकर आया हो।
जांच, खंडन और FIDE का हस्तक्षेप
सबूतों के आधार पर, शेवचेंको को टूर्नामेंट से बाहर कर दिया गया और उनके सभी परिणाम रद्द कर दिए गए। उनकी टीम, सिला ने इस फैसले के खिलाफ अपील की, यह तर्क देते हुए कि फोन का शेवचेंको से जुड़ाव निर्णायक रूप से साबित नहीं हुआ था, हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि संदेह गंभीर थे। शेवचेंको ने खुद सभी आरोपों से इनकार किया, लेकिन बाद में उन्होंने सिला टीम छोड़ दी और अपनी फीस भी वापस कर दी।
मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। FIDE (विश्व शतरंज महासंघ) की एथिक्स एंड डिसिप्लिनरी कमीशन (EDC) की फर्स्ट इंस्टेंस चैंबर ने इस मामले की गहन समीक्षा की। पांच महीने की लंबी प्रक्रिया, जिसमें ऑनलाइन सुनवाई और पत्राचार शामिल था, के बाद एक सर्वसम्मत निर्णय दिया गया। लेकिन कहानी में अभी एक और मोड़ बाकी था।
अंतिम निर्णय: खिताब की वापसी और प्रतिबंध
मामले ने FIDE EDC के अपील चैंबर तक का सफर तय किया, जिसकी अध्यक्षता योलेंडर परसाउड कर रही थीं। शेवचेंको ने अपने खिलाफ हुए फैसले को चुनौती दी, वहीं FIDE फेयर प्ले कमीशन (FPL) ने भी क्रॉस-अपील दायर की, जिसमें पहले लगाए गए प्रतिबंधों को और कड़ा करने की मांग की गई थी।
अंततः, अपील चैंबर ने शेवचेंको की अपील को सर्वसम्मति से खारिज कर दिया और उनके अपराध की पुष्टि की। FPL की क्रॉस-अपील को स्वीकार करते हुए, पहले के प्रतिबंधों को और सख्त कर दिया गया। यह निर्णय शतरंज के खेल की अखंडता को बनाए रखने के लिए FIDE की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह एक ऐसा क्षण था जब शतरंज की दुनिया ने एक स्वर में कहा, “खेल में बेईमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
लगाए गए प्रतिबंध:
- तीन साल के लिए सभी FIDE-रेटेड आयोजनों से विश्वव्यापी प्रतिबंध।
- इस प्रतिबंध का एक साल निलंबित रहेगा, जो भविष्य में किसी भी कदाचार की अनुपस्थिति पर निर्भर करेगा।
- प्रतिबंध 19 अक्टूबर 2024 से 18 अक्टूबर 2026 तक प्रभावी रहेगा, निलंबित हिस्सा 18 अक्टूबर 2027 तक लागू रहेगा।
- सबसे महत्वपूर्ण: ग्रैंडमास्टर (GM) का खिताब इस निर्णय के प्रकाशन की तिथि से वापस ले लिया गया।
FIDE मैनेजमेंट बोर्ड की डिप्टी चेयर, दाना रेज़नीसे ने शतरंज की अखंडता के प्रति FIDE की दृढ़ प्रतिबद्धता पर जोर दिया: “यह FIDE के विभिन्न डिवीजनों – जिसमें फेयर प्ले, आर्बिटर्स और एथिक्स शामिल हैं – में पता लगाने वाली प्रणालियों को मजबूत करने, निवारक प्रशिक्षण को परिष्कृत करने और आवश्यकता पड़ने पर त्वरित अनुशासनात्मक प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के बढ़ते प्रयासों को दर्शाता है।”
एक युवा करियर का अंत और एक कड़ा संदेश
किरिल शेवचेंको एक युवा और होनहार खिलाड़ी थे, जिन्होंने कम उम्र में ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल किया था। लेकिन एक गलत कदम ने उनके करियर को लगभग खत्म कर दिया है। यह फैसला न केवल शेवचेंको के लिए एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि यह उन सभी खिलाड़ियों के लिए एक कड़ा संदेश है जो शॉर्टकट अपनाने या खेल की पवित्रता को भंग करने की सोचते हैं।
FIDE ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शतरंज सिर्फ चालों का खेल नहीं है, बल्कि यह नैतिकता, सम्मान और निष्पक्ष खेल के सिद्धांतों का भी खेल है। तकनीक ने हमें कई सुविधाएं दी हैं, लेकिन जब इसका उपयोग खेल को धोखा देने के लिए किया जाता है, तो इसके परिणाम गंभीर होते हैं। यह घटना शतरंज के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज हो गई है, जो हमें याद दिलाती है कि ईमानदारी ही किसी भी खेल की असली पूंजी होती है।