एक ऐसी पहल जो 80 से अधिक देशों की 580 से अधिक महिला खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमकने का अवसर दे रही है।
शतरंज: सदियों पुरानी कला, आधुनिक परिप्रेक्ष्य में महिलाएँ
शतरंज, एक ऐसा खेल जो सदियों से रणनीति, धैर्य और मानसिक कौशल का प्रतीक रहा है। इसकी बिसात पर राजा, रानी, हाथी, घोड़े, ऊंट और प्यादे अपनी चालों से दुनिया को मंत्रमुग्ध करते आए हैं। लेकिन इस गौरवशाली इतिहास में, महिलाओं की भूमिका अक्सर हाशिए पर रही है। यह सिर्फ खेल की बात नहीं, बल्कि सामाजिक मान्यताओं और अवसर की कमी का प्रतिबिंब था। हालाँकि, समय बदल रहा है, और अब `रानी` सिर्फ अपने `राजा` की रक्षा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वह पूरे बोर्ड पर अपनी धाक जमाने को तैयार है। फिडे (FIDE) की एक अभिनव पहल, `क्वीन गैम्बिट चैलेंज`, इसी बदलाव की अग्रदूत बनकर उभरी है।
`क्वीन गैम्बिट चैलेंज` – एक रणनीतिक मोहरा
यह नाम सुनते ही कई लोगों को लोकप्रिय टीवी श्रृंखला `द क्वीन`स गैम्बिट` याद आती होगी, जिसने शतरंज की दुनिया में महिलाओं की असाधारण क्षमता को दर्शाया था। फिडे की `क्वीन गैम्बिट चैलेंज` पहल भी इसी भावना को आगे बढ़ाती है। यह सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि महिला शतरंज खिलाड़ियों को सशक्त बनाने, उनके कौशल को निखारने और उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमकने के लिए तैयार करने का एक विस्तृत कार्यक्रम है। इसका ‘मध्यवर्ती चरण’ (Intermediate Stage) विशेष रूप से उन महिला खिलाड़ियों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो अपने मूलभूत कौशल पर निर्माण करना चाहती हैं और उच्च स्तर की प्रतिस्पर्धा के लिए खुद को तैयार करना चाहती हैं।
वैश्विक एकजुटता की मिसाल: 80+ देशों की 580+ महिलाएँ
इस कार्यक्रम की सबसे प्रभावशाली बात इसकी वैश्विक पहुँच है। कल्पना कीजिए, दुनिया के 80 से अधिक देशों से 580 से अधिक महिलाएँ, एक ही मंच पर, एक ही जुनून के साथ। यह महज एक संख्या नहीं, बल्कि संस्कृतियों, भाषाओं और पृष्ठभूमि की विविधता के बावजूद, शतरंज के प्रति एक साझा प्रेम का प्रतीक है। यह कार्यक्रम एक वैश्विक बहनचारे (sisterhood) का निर्माण कर रहा है, जहाँ हर खिलाड़ी दूसरी खिलाड़ी की प्रेरणा और समर्थन का स्रोत है। यह दिखाता है कि कैसे खेल सीमाओं को तोड़कर लोगों को एक साथ ला सकता है।
प्रशिक्षण, कौशल और आत्मविश्वास: ओलंपियाड की तैयारी
यह चुनौती केवल भागीदारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गहन प्रशिक्षण और कौशल विकास पर केंद्रित है। इसमें अनुभवी कोचों द्वारा मुफ्त ऑनलाइन प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। मुख्य रूप से `मिडिलगेम` और `एंडगेम` की व्यावहारिक तकनीकों, उन्नत रणनीतियों और टूर्नामेंट की तैयारी पर जोर दिया जाता है। इसका लक्ष्य सिर्फ एक बेहतर खिलाड़ी बनाना नहीं, बल्कि उन्हें शतरंज ओलंपियाड जैसे प्रतिष्ठित आयोजनों में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार करना है। यह एक ऐसा मंच है जो आत्मविश्वास जगाता है, रणनीतिक सोच को बढ़ावा देता है और दबाव में बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता विकसित करता है।
जैसा कि फिडे महिला शतरंज आयोग की अध्यक्ष अनास्तासिया सोरोकिना ने जोर दिया, “यह पहल सिर्फ शतरंज की चालों को सिखाने से कहीं बढ़कर है; यह आत्मविश्वास का निर्माण करती है और भविष्य की ओलंपियाड टीमों के लिए मार्ग प्रशस्त करती है।”
नेतृत्व और समर्थन: पीछे खड़े स्तंभ
इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को सफल बनाने के पीछे फिडे के कई दूरदर्शी नेतृत्वकर्ताओं और समर्पित कोचों का हाथ है। ट्रिस-एन रिचर्ड्स (मुख्य समन्वयक), अनास्तासिया सोरोकिना और फ्रांसिस्को क्रूज़ (फिडे अमेरिका के उपाध्यक्ष) जैसे व्यक्तित्वों ने इस पहल को न केवल शुरू किया, बल्कि इसे लगातार पोषित भी किया। दर्जनों अनुभवी कोचों की टीम, जिनमें लियोनिड सैंडलर, जोमो पीटरसन और खदीजा लैट्रेचे स्टील जैसे नाम शामिल हैं, अपनी विशेषज्ञता और ज्ञान के साथ इन महिला खिलाड़ियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। यह उनके अटूट समर्पण का ही परिणाम है कि यह कार्यक्रम इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं तक पहुँचने में सफल रहा है।
भविष्य की बिसात: महिला शतरंज का उज्ज्वल कल
मध्यवर्ती चरण, जो 20 सितंबर से 2 नवंबर, 2025 तक चलेगा, एक स्पष्ट संरचना के साथ आयोजित किया जा रहा है, जिसमें लचीलेपन और कठोरता का संतुलन है। अंग्रेजी, फ्रेंच और स्पेनिश भाषाओं में सत्र विभिन्न आयु समूहों और समय क्षेत्रों के अनुरूप बनाए गए हैं। इस चरण के सफल समापन के बाद, अगले चरण में राष्ट्रीय महिला टीमों को उनके पहले ओलंपियाड के लिए तैयार किया जाएगा, जिसकी शुरुआत मार्च 2026 में होगी।
यह कार्यक्रम सिर्फ शतरंज के खेल तक सीमित नहीं है। यह महिला सशक्तिकरण की एक गाथा है, एक वैश्विक एकता की कहानी है, और खेल के माध्यम से सामाजिक बाधाओं को तोड़ने का एक सफल प्रयास है। शायद यह दुनिया को बताने का वक्त आ गया है कि रानी सिर्फ राजा की रक्षा के लिए नहीं होती, बल्कि वह पूरे बोर्ड पर राज करने का दम रखती है, और `क्वीन गैम्बिट चैलेंज` इस दावे को सच साबित कर रहा है। आने वाले समय में, यह पहल अंतरराष्ट्रीय शतरंज के मंच पर महिला प्रतिनिधित्व को और भी ऊँचाइयों पर ले जाने का वादा करती है।