सूर्यकुमार यादव: एक सपने का बोझ और तीन कप्तानों की विरासत

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भारतीय टी20 टीम के वर्तमान कप्तान सूर्यकुमार यादव, जिन्हें क्रिकेट जगत “स्काई” के नाम से जानता है, अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी और अनूठी शैली के लिए प्रसिद्ध हैं। लेकिन हाल ही में उन्होंने एक ऐसे अफसोस का खुलासा किया है, जो उनके चमकदार करियर में एक छोटे से बादल की तरह तैरता है। यह अफसोस है भारतीय क्रिकेट के महानतम कप्तानों में से एक, महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में कभी न खेल पाने का। यह सिर्फ एक खिलाड़ी का बयान नहीं, बल्कि नेतृत्व की विविध शैलियों और उनसे मिलने वाली प्रेरणाओं पर एक दिलचस्प अंतर्दृष्टि है, जिसने स्काई के खेल और सोच को आकार दिया है।

धोनी की कप्तानी: एक अनमोल अवसर जो हाथ से फिसल गया

स्काई ने अपने करियर का एक दशक घरेलू क्रिकेट में बिताने के बाद 2021 में अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया। यह वह समय था जब धोनी भारतीय टीम की कप्तानी छोड़ चुके थे। सूर्यकुमार यादव ने `जियो कनेक्ट 2025` में अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि वे हमेशा धोनी की कप्तानी में खेलना चाहते थे, लेकिन उन्हें यह अवसर कभी नहीं मिला। उनके लिए धोनी सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि ऑब्जर्वेशन का एक जीवित स्कूल थे। जब भी वे आईपीएल में धोनी के खिलाफ खेलते थे, उनकी नजरें विकेट के पीछे खड़े उस शांतचित्त कप्तान पर टिकी रहती थीं।

“मैंने हमेशा धोनी को विकेट के पीछे से खेलते हुए देखा है। वह बेहद शांत रहते हैं। उनसे मैंने एक चीज सीखी है कि दबाव भरी परिस्थितियों में भी शांत कैसे रहा जाए। वह खेल को चारों ओर से देखते हैं, समझते हैं कि क्या हो रहा है, और फिर कोई फैसला लेते हैं।”

यह कहना गलत नहीं होगा कि धोनी की `कैप्टन कूल` वाली उपाधि सिर्फ मीडिया की देन नहीं थी, बल्कि यह उनके नेतृत्व की एक बुनियादी विशेषता थी, जिसे विरोधी खेमे के खिलाड़ी भी करीब से महसूस करते थे। एक ऐसे खिलाड़ी के लिए, जो मैदान पर अक्सर अपनी रचनात्मकता और जोखिम लेने के लिए जाना जाता है, धोनी की शांति एक सीखने योग्य गुण रही होगी।

विराट कोहली की ऊर्जा: सीमाओं को धकेलने वाला गुरु

सूर्यकुमार यादव का अंतरराष्ट्रीय डेब्यू विराट कोहली की कप्तानी में हुआ, एक ऐसे कप्तान जो अपनी ऊर्जा और मैदान पर जोश के लिए जाने जाते हैं। स्काई ने कोहली के बारे में कहा:

“मैंने विराट भाई की कप्तानी में पदार्पण किया। वह एक बहुत सख्त टास्क मास्टर हैं। वह आपकी सीमाओं को धकेलते हैं और आपसे सर्वश्रेष्ठ चाहते हैं। मैं मानता हूं कि सभी कप्तान अपने खिलाड़ियों से सर्वश्रेष्ठ चाहते हैं, लेकिन वह मैदान पर और बाहर भी पूरी ऊर्जा से भरे रहते थे। वह थोड़े अलग थे।”

कोहली का नेतृत्व शैली खिलाड़ियों को उनकी क्षमताओं की पराकाष्ठा तक ले जाने पर केंद्रित थी। उनकी आक्रामक मुद्रा और जीतने का जुनून हर किसी में संक्रामक रूप से फैल जाता था। स्काई जैसे बल्लेबाज के लिए, जिन्हें अपनी प्रतिभा को तराशने की जरूरत थी, कोहली का यह `पुश` शायद बेहद जरूरी था। यह एक विरोधाभासी लेकिन पूरक सीख थी – जहां धोनी ने शांत रहना सिखाया, वहीं कोहली ने अपनी सीमाओं को चुनौती देना सिखाया।

रोहित शर्मा की समावेशिता: हर किसी के लिए खुला दरवाजा

रोहित शर्मा, जिनके साथ सूर्यकुमार यादव ने मुंबई इंडियंस और भारतीय टीम दोनों में बड़े पैमाने पर क्रिकेट खेला है, उनके नेतृत्व का एक और महत्वपूर्ण स्तंभ साबित हुए हैं। रोहित की खासियत थी टीम में हर किसी को सहज महसूस कराना।

“रोहित भाई, जिनके तहत मैंने आईपीएल फ्रेंचाइजी और भारत के लिए बहुत क्रिकेट खेला। वह ऐसे व्यक्ति हैं जो हर किसी को अपने आसपास सहज महसूस कराते हैं, सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा। उनका दरवाजा 24/7 सभी के लिए खुला रहता था। यह एक अलग गुण है जो मैंने उनसे और अन्य कप्तानों से भी सीखा है।”

हाल ही में टी20 विश्व कप 2024 के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उनका मैच-विनिंग कैच, रोहित की कप्तानी में टीम भावना और विश्वास का ही एक प्रमाण था। रोहित की शैली ऐसी है जो एक परिवारिक माहौल बनाती है, जहां युवा खिलाड़ी बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी बात रख सकते हैं। यह उस `बैलेंस` का प्रतीक है जिसकी किसी भी टीम को जरूरत होती है – कठोरता और सहजता का मिश्रण।

नेतृत्व की विरासत और स्काई की राह

सूर्यकुमार यादव का यह खुलासा सिर्फ एक अफसोस नहीं है, बल्कि भारतीय क्रिकेट के नेतृत्व की एक समृद्ध tapestry का अवलोकन है। यह दिखाता है कि कैसे एक युवा खिलाड़ी, चाहे वह कितना भी प्रतिभाशाली क्यों न हो, अपने वरिष्ठों से, चाहे वे सीधे मार्गदर्शक हों या सिर्फ अवलोकन का विषय, कितना कुछ सीख सकता है।

धोनी की रणनीति और शांति, कोहली की जुनून और सीमाओं को धकेलने की क्षमता, और रोहित की समावेशी और आरामदायक कप्तानी – इन सभी ने मिलकर सूर्यकुमार यादव के खेल और शायद उनके खुद के नेतृत्व दृष्टिकोण को आकार दिया है। अब जब वह खुद भारतीय टी20 टीम का नेतृत्व कर रहे हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि वह इन महान कप्तानों से मिली सीख को अपनी शैली में कैसे ढालते हैं। यह सिर्फ एक खिलाड़ी की कहानी नहीं है, बल्कि आधुनिक क्रिकेट में नेतृत्व के विकास और पीढ़ी दर पीढ़ी ज्ञान के हस्तांतरण की एक पेचीदा गाथा है।

निरव धनराज

दिल्ली के प्रतिभाशाली खेल पत्रकार निरव धनराज हॉकी और बैडमिंटन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। उनकी रिपोर्टिंग में खिलाड़ियों की मानसिकता की गहरी समझ झलकती है।

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