सूर्यकुमार यादव की फॉर्म: क्या कप्तान पर भारी पड़ रहा है दबाव?

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एशिया कप 2025 का महामुकाबला, भारत और पाकिस्तान के बीच फाइनल, एक ऐसा मंच जहां हर खिलाड़ी अपनी छाप छोड़ना चाहता है। लेकिन, भारतीय खेमे में एक नाम है जिस पर सबकी निगाहें टिकी हैं – कप्तान सूर्यकुमार यादव। उनके नाम के साथ `मिस्टर 360` का टैग जुड़ा है, लेकिन हालिया प्रदर्शन को देखकर सवाल उठने लगे हैं: क्या उनके बल्ले से वो `तूफान` शांत हो गया है, जिसके लिए उन्हें जाना जाता है?

आईपीएल का सितारा बनाम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की चुनौती

जिस बल्लेबाज ने इस साल इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में 717 रन बनाकर गेंदबाजों के छक्के छुड़ा दिए थे, वही बल्लेबाज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में रन बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है। 2025 में, सूर्यकुमार ने 10 पारियों में मात्र 99 रन बनाए हैं, उनका स्ट्राइक रेट 110 का रहा है। यह आंकड़े उस खिलाड़ी के नहीं लगते, जो मैदान के हर कोने में शॉट खेलने की क्षमता रखता है। टीम के सबसे विस्फोटक बल्लेबाजों में से एक की यह स्थिति, विशेषकर पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल से पहले, भारतीय टीम प्रबंधन के लिए निश्चित रूप से चिंता का विषय है।

एशिया कप में भी उनका प्रदर्शन मिला-जुला रहा है। समूह चरण में पाकिस्तान के खिलाफ नाबाद 47 रन की पारी भले ही राहत देने वाली थी, लेकिन सुपर फोर में उसी पाकिस्तान के सामने उनका खाता भी न खोल पाना, उनकी मौजूदा फॉर्म की कहानी बयां करता है।

इरफान पठान की पैनी नजर और स्वीप शॉट का रहस्य

पूर्व भारतीय ऑलराउंडर इरफान पठान ने भी इस चिंता को उजागर किया है। सोनी स्पोर्ट्स पर बात करते हुए, इरफान ने विशेष रूप से सूर्यकुमार के स्वीप शॉट खेलते हुए आउट होने की प्रवृत्ति पर जोर दिया। इरफान ने कहा, `अगर उनका बल्ला बोलेगा, तो उनकी कप्तानी को भी फायदा मिलेगा। सूर्यकुमार यादव का स्वीप खेलते हुए आउट होना निश्चित रूप से चिंता का विषय है, और यह पूरा साल ऐसा ही रहा है।`

यह विडंबना ही है कि जिस स्वीप शॉट ने `मिस्टर 360` को कई बार सफलता दिलाई, अब वही उनकी कमजोर कड़ी बन गया है। इरफान ने सलाह दी कि जब फॉर्म साथ न दे रही हो, तो सीधे बल्ले से खेलने पर जोर देना चाहिए, खासकर तेज गेंदबाजों के खिलाफ। लेकिन सूर्यकुमार को स्पिनर के खिलाफ भी स्वीप पर आउट होते देखा गया। यह एक तकनीकी पहलू है जिस पर `स्काई` को गंभीरता से विचार करना होगा, क्योंकि एक ही शॉट पर बार-बार आउट होना, आत्मविश्वास को भी प्रभावित करता है।

कप्तानी का बोझ और बल्लेबाजी पर असर

पिछले साल जुलाई में, रोहित शर्मा के बाद जब कप्तानी की बागडोर सूर्यकुमार यादव को सौंपी गई, तो कई लोगों ने इसे स्वाभाविक कदम माना। लेकिन आंकड़ों पर गौर करें तो ऐसा लगता है कि नेतृत्व का बोझ उनके बल्ले पर भारी पड़ रहा है। कप्तान के रूप में, उन्होंने 19 पारियों में मात्र 329 रन बनाए हैं, औसत 19.35 का रहा है। उनकी आखिरी अर्धशतकीय पारी कप्तान के तौर पर अक्टूबर 2024 में बांग्लादेश के खिलाफ थी, जब उन्होंने 75 रन बनाए थे। इसके बाद से, 20 रन का आंकड़ा भी उन्होंने सिर्फ छह बार पार किया है।

कप्तानी सिर्फ मैदान पर रणनीति बनाने का खेल नहीं है, यह एक अदृश्य दबाव भी लाती है जो कई बार बेहतरीन खिलाड़ियों के प्रदर्शन को भी प्रभावित कर देता है। मैदान पर हर फैसले की जिम्मेदारी, टीम के प्रदर्शन का दबाव, और खुद की बल्लेबाजी को संभालना – यह सब मिलकर एक खिलाड़ी को मानसिक रूप से थका सकता है। शायद `स्काई` भी इसी दौर से गुजर रहे हैं, जहां उन्हें अपने खेल और नेतृत्व के बीच संतुलन साधना है।

फाइनल से पहले उम्मीदें और चुनौतियां

भारतीय टीम को एशिया कप 2025 का खिताब जीतने के लिए सूर्यकुमार के बल्ले का चलना बेहद जरूरी है। उनकी आक्रामक बल्लेबाजी मध्यक्रम को मजबूती देती है और विरोधी गेंदबाजों पर दबाव बनाती है। फाइनल जैसे बड़े मुकाबले में उनसे एक बड़ी पारी की उम्मीद रहेगी, जो न सिर्फ उनके व्यक्तिगत फॉर्म के लिए महत्वपूर्ण होगी, बल्कि टीम के मनोबल को भी बढ़ाएगी।

यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या `मिस्टर 360` इस दबाव को झेलकर अपने पुराने रंग में लौट पाते हैं और भारतीय टीम को जीत दिलाते हैं। उनकी वापसी सिर्फ एक खिलाड़ी की वापसी नहीं होगी, बल्कि भारतीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश भी होगा – कि मुश्किल वक्त में भी बड़े खिलाड़ी हार नहीं मानते और चुनौती को स्वीकार कर अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हैं। उम्मीद है कि `स्काई` एक बार फिर आकाश में चमकेंगे और अपने नाम को सार्थक करेंगे।

निरव धनराज

दिल्ली के प्रतिभाशाली खेल पत्रकार निरव धनराज हॉकी और बैडमिंटन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। उनकी रिपोर्टिंग में खिलाड़ियों की मानसिकता की गहरी समझ झलकती है।

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